कोई भी स्रोत या यंत्र जिससे ऊर्जा का दोहन किया जा सकता है ऊर्जा स्रोत कहलाता है ।
ऊर्जा संसाधनों की अत्यधिक कमी, जो जीवन को कठिन बना दें, ऊर्जा संकट कहलाती है।
जीवित रहने के लिए।
रासायनिक उर्जा उस्मा व प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
CO2, H2O प्रकाश ऊर्जा व उष्मा ऊर्जा।
नहीं हम पर्यावरण से लुप्त हुई उस मां को दोबारा प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
कार्य करने के लिए, सुविधा पूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए।
विद्युत ऊर्जा, इंधन की रासायनिक उर्जा।
क्योंकि यह प्रदूषण नहीं करती और इसका उष्मीय मान भी अधिक है।
मोहम्मदी की रासायनिक उर्जा प्रकाश व ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है।
कोयला और पेट्रोलियम जैसे इंधन जो प्राचीन समय में पौधे और जंतुओं के आंशिक अपघटन से बने है। जीवाशम इंधन कहलाते हैं।
कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, गैस हाइड्रेटस।
एल पी जी, जैव गैस।
सल्फर ऑक्साइड नाइट्रोजन के ऑक्साइड।
SO2 तथा NO2
जब SO2 तथा NO2 जैसी गैस से वर्षा के जल में घुल कर पृथ्वी पर पड़ती है तो वर्षा का जल यह हो जाता है, जिस अम्लीय वर्षा कहते हैं।
पृथ्वी (वायुमंडल) के तापमान में होने वाली बढ़ोतरी जो वायुमंडलीय गैसों द्वारा सौर विकिरणों को अवशोषित करने के कारण से होती है।
गतिज ऊर्जा।
लगभग 25%
विद्युत ऊर्जा में।
टिहरी बांध तथा सरदार सरोवर बांध परियोजना।
टिहरी बांध गंगा नदी तथा सरदार सरोवर बांध नर्मदा नदी पर स्थित है।
सजीवों अर्थात पौधों तथा जीव जंतुओं में विद्यमान जैव पदार्थ की मात्रा जैव मात्रा कहलाती है।
क्योंकि जो गैस संयंत्र में मुख्यतः गोबर का उपयोग इंधन के रुप में होता है।
मेथेन (CH4) लगभग 70%-75%।
CH4, CO2, H2, H2S जैसे तथा कर्दम।
खेतों में खाद के रूप में।
नाइट्रोजन तथा फास्फोरस।
जो गैस संयंत्र में ईंधन के रूप में।
बहती हुई वायु की गति ऊर्जा को पवन शक्ति कहते हैं।
क्योंकि एक पवन चक्की के द्वारा उत्पादित ऊर्जा की मात्रा बहुत कम होती है?
एक ऐसा क्षेत्र जहां पर बहुत सारी पवन-चकियों को लगाया गया हो, पवन ऊर्जा फार्म कहलाता है।
डेनमार्क को हवाओं का देश कहा जाता है।
जर्मनी देश पवन ऊर्जा उत्पादन में सबसे अग्रणी है।
डेनमार्क की ऊर्जा और सकता का 25% पवन ऊर्जा आता है।
पवन ऊर्जा उत्पादन में भारत का विश्व में पांचवा स्थान है।
45,000 MW
भारत का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा फार्म कन्याकुमारी (तमिलनाडु) में स्थित है।
कन्याकुमारी में स्थापित पवन ऊर्जा फार्म की क्षमता 380 MW है।
पवन चक्की को क्रियाशील (उपयोगी) बनाने के लिए पवन की न्यूनतम गति 15 KM/H होनी चाहिए।
1 MW शक्ति का पवन ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए 2 हेक्टेयर भू-भाग की आवश्यकता पड़ती है।
लकड़ी।
कोयला।
भारत में ज्ञात पेट्रोलियम के भंडार लगभग 20 वर्ष तक तथा कोयले के भंडार लगभग 200 से 250 बरस तक पर्याप्त रहेंगे।
जीवाशम इधनों का अत्यधिक उपयोग।
जीवन कठिन हो जाएगा क्योंकि हमारे सुख सुविधाएं उपलब्ध है ऊर्जा पर ही निर्भर करती है।
यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित होती है।
विद्युत ऊर्जा।
क्योंकि ताप विद्युत ऊर्जा पर ईंधन के रूप में कोयला तथा प्राकृतिक गैस को ही उपयोग में लाते हैं। इसमें इंदन के परिवहन की समस्या कम होती है तथा विद्युत का उत्पादन संस्ता पड़ता है।
10 मीटर।
इसका उष्मीय मान कम होने के कारण तथा इसके द्वारा होने वाले प्रदूषण के कारण।
चारकोल कार्बन का अपरूप है।
इसे लकड़ी के भंजक आसवन द्वारा प्राप्त किया जाता है।
चक्रवात, तूफान।
सूर्य द्वारा पृथ्वी के असमान रूप से गर्म होने के कारण।
गतिज ऊर्जा->यांत्रिक ऊर्जा->विद्युत ऊर्जा।
पवन चक्की की घूर्णन गति के कारण विद्युत जनित्र का आर्मेचर घूमता है, जो विद्युत जनित्र में कुंडली को घुमाकर विद्युत का उत्पादन करता है।
गुजरात, राजस्थान का कुछ भाग, दक्षिणी तमिलनाडु, समुंद्र तटीय क्षेत्र।
सूर्य लगभग 5 बिलियन वर्षों से ऊर्जा उत्सर्जित करता आ रहा है तथा कितने ही वर्षों तक है और भी ऐसा करता रहेगा।
सौर सेल, सोर जल पंप।
क्योंकि काला रंग/कृष्ण पृष्ठ ऊष्मा का अच्छा अवशोषक होता है।
यह सूर्य किरणों को एक बिंदु पर सांद्रित/केंद्रित कर देता है।
व्यवस्थापन युक्तियां जो सौर ऊर्जा को किसी एक बिंदु या कम क्षेत्र मैं केंद्रित कर देती है, सौर सांद्रक कहलाती है।
उच्च तापमान प्राप्त करने के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
इसे चपाती बनाने, सब्जी फ्राई करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है, कि ऊंच तापमान प्राप्त किया जा सकता।
यह एक सौर सांद्रक यंत्र है जिसे विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जाता है ।
3000 सेल्सियस
भारत ने 1962 में।
भूतकाल में यह केवल 0.7% थी जो अब आधुनिक फोर सेल में 25% है।
यह वृहत महंगे होते हैं।
अति शुद्ध सिलिकॉन जिनका इनके निर्माण में प्रयोग किया जाता है, बहुत सौर सेलों को पैनल के रूप में जोड़ने में चांदी का उपयोग किया जाता है, जो और भी महंगी है।
संचायक बैटरी का उपयोग करके।
समुद्र तट पर समुद्री पानी का बहुत ऊंचाई तक चढ़ना और उतरना जवार भाटा कहलाता है।
लगभग दो-तीन मिलियन MW
इसी वर्ष भर प्रतिदिन तो 24 घंटे उपयोग में लाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश।
न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका
नाभिकीय विखंडन, नाभिकीय संलयन
एक ऐसी अभिक्रिया जिसमे अभिक्रिया को आरंभ करने वाले कभी अभिक्रिया के समय उत्पादित होते हैं तथा अभिक्रिया को आगे बढ़ाते हैं, श्रंखला की क्रिया कहलाती है।
ऊर्जा के स्रोत जैसे सूर्य, पवन तथा जल जी ने उपयोग करना सुविधाजनक नहीं है।
सूर्य की ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते है।
लगभग 5000 एलियन kWh
4-7 kWh\m2
पृथ्वी के प्रति वर्ग मीटर क्षेत्रफल द्वारा उत्तम जितनी ऊर्जा ग्रहण की जाती है, उसे सौर स्थिरांक कहते हैं।
1.4 kWh\M2
सौर कुकर, सौर जल ऊष्मक।
क्योंकि यह दीर्घ तरंग धैर्य युक्त अवरक्त तरंगों को बाहर जाने से रोकती है।
अवतल दर्पण का प्रयोग करके।
वह उपकरण है जो सौर ऊर्जा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं।
उनकी अधिक कीमत के कारण।
समुद्रीय तापीय उर्जा (OTE) वह ऊर्जा की मात्रा है तो समुंदर में पानी की विभिन्न पदों के बीच में तापांतर के कारण से होती है।
293 K (20 C०)
पृथ्वी के अंदर भूपर्पटी तथा प्रभाव में गहराई में पिघली हुई चट्टानों की ऊर्जा, जिसके कारण पृथ्वी के अंदर भाप बनती है।
भारी नाभिक जैसे यूरेनियम से जुड़े नियम के नाभिकों का हलके नाभिकों में टूटना, जब इन पर धीमी गति के की बौछार की जाती है, नाभिकीय विखंडन कहलाता है।
नाभिकीय अभिक्रिया-नाभिकीय विखंडन या सली अंत में उत्सर्जित ऊर्जा नाभिकीय उर्जा कहलाती है।
द्रव्यमान का ऊर्जा में रूपांतरण।
E= mc2 समीकरण जो ऊर्जा, द्रव्यमान व प्रकाश की गति के बीच संबंध को दर्शाती है।
1ev = 1.602 x 10-19 joule
जिस विखंडन अभिक्रिया में नाभिकीय विखंडन से मुक्त ऊर्जा का उपयोग ही नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया में मुक्त हुई ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, स्वपोषी विखंडन अभिक्रिया कहते हैं।
एक संयंत्र या मशीन जिसमें नाभिकीय अभीक्रियाओं को नियंत्रित ढंग से करवाया जा सकता है, नाभिकीय रिएक्टर कहलाता है।
मात्र 3%
30%
नाभिकीय अभिक्रिया में हल्के नाभिक आपस में संलयित होकर भारी नाभिक का निर्माण करते हैं नाभिकीय संलयन कहलाता है।
प्रोटियम
आइंस्टीन समीकरण, E= mc2
परमाणु/हाइड्रोजन बम के निर्माण में।
नाभिकीय संलयन।
ताप-नाभिकीय संलयन अभिक्रिया।
Nuclear Power Corporation NPC का पूर्ण रूप है.
प्रयोग की गई ईंधन छड़ो का निराकरण, हानिकारक विकिरण
इससे जीनी उत्परिवर्तन तथा अनुवांशिक दोष उत्पन्न होता है, इससे कैंसर हो सकता है।
ड्यूटीरियम ऑक्साइड (D2O)
वह अभिक्रिया जिसमे नाभिकीय विखंडन सम्मिलित है, (जो तापमान को 10-7K तक एक क्षण के लिए बढ़ा देती है) जिसके कारण से अल के नाभिक सलयित होते हैं।
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