आज इस आर्टिकल में हम आपको विद्युत तथा चुम्बकत्व से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी के बारे में बताने जा रहे है-

विद्युत क्या है?
पदार्थों को परस्पर रगड़ने पर यह घर्षण से उस पर जो आवेश की मात्रा में संचित होती है उसे स्थिर विद्युत कहते हैं. इसमें आवेश स्थिर रहता है.
आवेश क्या है?
पदार्थों को परस्पर रगड़ने पर उस पर जो वस्तुओं को आकर्षित या प्रतिकर्षित करने की क्षमता उत्पन्न होती है. उसे स्थिर विद्युत आवेश कहते हैं. बेंजामिन फ्रेकालीन दो प्रकार के आवेशों को धनात्मक आवेश तथा ऋणात्मक आवेश नाम दिया गया है.
- समान प्रकार के आवेश एक दूसरे को परस्पर प्रतिकर्षित करते हैं तथा विपरीत प्रकार के आवेश एक दूसरे को परस्पर आकर्षित करते हैं.
- किसी खोखले चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है. खोखले चालक का संपूर्ण आवेश उसके पृष्ठ पर समान रूप से वितरित होता है.
चालाक क्या है?
जिन पदार्थों से आवेश सरलता से प्रवाहित होता है, उन्हें चालक कहते हैं, इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं, जैसे- चांदी, तांबा, एल्युमीनियम, आदि चालक है. चांदी सबसे अच्छा चालक है इसके बाद दूसरा स्थान तांबे का है.
अचालक क्या है?
जिन पदार्थों से होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, उन्हें अचालक कहते हैं, इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं, जैसे- लकड़ी, रबड़, कागज आदि विद्युत आवेश के परिक्षेत्र विद्युतीय क्षेत्र कहलाता है.
कूलाम का नियम क्या है?
दो स्थिर विद्युत आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल, दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है.
विद्युत विभव क्या है?
किसी धनात्मक आवेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में दिए गए कार्य (W) एवं आवेश के मान (Q) के अनुपात (ratio) को उस बिंदु पर विद्युत विभव कहा जाता है. विद्युत विभव का (SI) मात्रक वोल्ट होता है, यह एक अदिश राशि है.
विभवांतर क्या है?
एक कूलाम धनात्मक आवेश को विद्युत क्षेत्र में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य को उन बिंदुओं के मध्य विभवांतर कहते हैं. इसका मात्रक भी वोल्ट होता है, यह एक अदिश राशि है.
विद्युत सेल कितने प्रकार के होते है?
विद्युत सेल दो प्रकार के होते हैं-
- प्राथमिक सेल
- द्वितीयक सेल
- प्राथमिक सेलो में रासायनिक उर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है. उसके बाद वह बेकार हो जाता है.
- वोल्टीय सेल- लेक्लांची सेल, डेनियल सेल, शुष्क सेल प्राथमिक सेल के उदाहरण है.
- द्वितीयक सेल को बार-बार उपयोग में लाया जा सकता है.
विधुत धारा क्या है?
किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं. इसका मात्रक एंपियर है. यह एक अदिश राशि है, घरों में दी जाने वाली धारा की आवृत्ति 50 हर्टज होती है.
अमिटर का प्रयोग किसलिए होता है?
विधुत धारा को मापने के लिए अमीटर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है. विशेष श्रेणी क्रम में लगाया जाता है. आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होता है.
वोल्टमीटर का प्रयोग किसलिए होता है?
वोल्टमीटर का प्रयोग यंत्र मापने में किया जाता है. इसे परिपथ में सदैव समांतर क्रम में लगाया जाता है. एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनंत होता है.
ओम का नियम
- चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर (v) उस में प्रवाहित धारा (I) अनुक्रमानुपाती होता है.
- धातुओं का ताप बढ़ाने पर उनका प्रतिरोध बढ़ जाता है. अर्धचालकों का ताप बढ़ाने पर उनका प्रतिरोध घटता है.
- विद्युत अपघट्य का ताप बढ़ाने पर उनका प्रतिरोध घट जाता है. धातुओं का विशिष्ट प्रतिरोध केवल धातुओं के पदार्थ पर निर्भर करता है.
- यदि किसी तार को खींचकर उसकी लंबाई को बढ़ा दिया जाता है, तो उसका प्रतिरोध बदल जाता है, लेकिन उसका विशिष्ट प्रतिरोध अपरिवर्तित रहता है.
- किसी चालक का विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालक की विशिष्ट चालकता कहते हैं. इसका मात्रक (ओम मीटर) होता है.
फ्यूज
विद्युत फ्यूज का उपयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है. यह टीन व सीसा की मिश्र धातु का बना होता है. इसका गलनांक कम होता है. इसे सदैव श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है.
बल्ब का फिलामेंट टंगस्टन का बनाया जाता है, जिसका गलनांक 3110 ०C होता है.
घरेलू परिपथ में- सभी चीजे समांतर क्रम में जोड़े जाते हैं.
विद्युत क्षेत्र
किसी आवेश या आवेशित वस्तु के चारों ओर का वह स्थान जहां तक उसके प्रभाव का अनुभव किसी दूसरे आवेश द्वारा किया जा सके, विद्युत क्षेत्र कहलाता है.
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर स्थित एकांक घन-आवेश पर क्रियाशील बल को विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहा जाता है. यह एक सदिश राशि है, इसका मात्रक न्यूनटन\कुलाम होता है.
खोखले चालक के विद्युत क्षेत्र
किसी भी खोखले चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, यदि ऐसे चालक को आवेशित किया जाए, तो संपूर्ण आवेश उसके बाहरी पृष्ठ पर ही रहता है. यही कारण है कि यदि किसी कार पर तड़ीत विद्युत गिर जाए तो कार के अंदर बैठे व्यक्ति पूर्ण रूप से सुरक्षित रहते हैं. तड़ीत से प्राप्त विद्युत आवेश कार की बाहरी सतह पर ही रहता है. तड़ीत के प्रभाव से ऊंची इमारतों को बचाने के लिए तड़ित चालकों को इमारतों की चोटी पर लगाया जाता है. खोखले चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है.
विद्युत बल्ब टूटने से धमाके की आवाज क्यों होती है?
विद्युत बल्ब के टूटने पर धमाके की आवाज होती है. इसका कारण है कि विद्युत बल्ब के अंदर निर्वात होता है. बल्ब के टूटने बाहर की वायु तेजी से बल्ब के अंदर जाने लगती है. वायु के तेजी से अंदर जाने के कारण उत्पन्न ध्वनि ही हमें धमाके जैसी आवाज महसूस होती है.
राज्य के निति-निदेशक सिंद्धांत
विद्युत फ्यूज कम गलनांक के क्यों बनाये जाते है?
विद्युत फ्यूज कम गलनांक वाली धातु के बनाए जाते हैं ताकि अधिक धारा बहने पर यह पिंघलकर विद्युत परिपथ को भंग कर दें.
विद्युत शक्ति क्या होती है?
विद्युत परिपथ में ऊर्जा के क्षय होने की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं. इस का SI मात्रक वाट है.
यूनिट
1 यूनिट विद्युत ऊर्जा की वह मात्रा है, जो किसी परिपथ में 1 घंटे में व्यय होती है, जबकि परिपथ में 1 किलो वाट की शक्ति हो.
चुंबकत्व
प्राकृतिक चुंबक लोहे का ऑक्साइड है. चुंबक लोहे तथा अन्य पदार्थों का एक टुकड़ा होता है, जो लोहे के पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करता है और लटकाने पर उत्तर है तथा दक्षिणी ध्रुव पर ठहरता है.
चुंबक को क्षेतिज ताल में स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर उसका एक धुर्व सदैव उत्तर की ओर तथा दूसरों से दक्षिण की ओर ठहरता है. उत्तर की ओर ठहरने वाले धुर्व को उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी की ओर ठहरने वाले ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं.
समान धुर्व में प्रतिकर्षण एवं असामान धुर्व में आकर्षण होता है. स्थायी इस्पात तथा अस्थाई चुंबक नर्म लोहे का बनाया जाता है.
चुंबकीय क्षेत्र
चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुंबकीय प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है. चुंबकीय क्षेत्र में क्षेत्र के लंबवत एकांक लंबाई का ऐसा चालक तार रखा जाए जिसमें एक काम के प्रबलता की धारा प्रवाहित हो रही है, तो चालक पर लगने वाला बल ही चुंबकीय तीव्रता की माप होगी. इसका मात्रक है न्यूटन\एंपियर मीटर अथवा 1 मीटर या टेस्ला होता है.
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