चंपारण सत्याग्रह का इतिहास

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

आज इस आर्टिकल में हम आपको चंपारण सत्याग्रह का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.

More Important Article

चंपारण सत्याग्रह का इतिहास

बिहार का चंपारण जिला 1917 ई. में महात्मा गांधी द्वारा भारत में सत्याग्रह के प्रयोग का पहला सथल रहा. उस समय वहाँ अंग्रेजों द्वारा किसानों को बलात नील की खेती के लिए किया जाता था.

किसानों को प्रत्येक बीघे पर 3 कट्ठे में नील की खेती अनिवार्यत: करनी होती थी, जिसे तीनकठिया व्यवस्था कहा जाता था. इसके बदले में उन्हें उचित मजदूरी भी नहीं मिलती थी. इसके कारण किसानों तथा खेतिहर मजदूरों में भयंकर आक्रोश था.

1916 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में राजकुमार शुक्ल ने इस समस्या की तरफ देशवासियों का ध्यान आकृष्ट किया था तथा ब्रजकिशोर प्रसाद ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें इन समस्याओं के निदान के लिए एक समिति के गठन की बात की कही गई,

मुरली भरहवा गांव के निवासी राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गांधीजी कोलकाता से 10 अप्रैल, 1917 को पटना पहुंचे तथा वहां से मुजफ्फरपुर तथा दरभंगा होते हुए 15 अप्रैल 1917 को मोतिहारी (चंपारण) पहुंचे.

स्थानीय प्रशासन ने हालांकि उनके आगमन तथा आचरण को गैरकानूनी घोषित कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया, किंतु बाद में बिहार के तत्कालीन उपराज्यपाल एडवर्ड गेट ने गांधी जी की वार्ता के लिए बुलाया और किसानों के कष्टों की जांच के लिए एक समिति के गठनों का प्रस्ताव रखा, जो चंपारण कमेटी कहलायी.

Leave a Comment