5,097 वर्ग किलोमीटर
झारखंड का शिमला और शहीदों का नगर
द. छोटा नागपुर
रांची सदर, खूंटी।
राँची में 18 प्रखंड है, काके, रातु, चान्हों, मांडर, लापुंग, बुर्मु, बेडों, नामकुम, ओरमांझी, आगरा, सिल्ली, खेलारी, नागरी, ईटकी, राहे, बुंडु, सोनाहातु, तमार।
29,14,253
14,94,937
14,19,316
23.98 प्रतिशत
1000 : 949
572 प्रति वर्ग किलोमीटर
76.06 प्रतिशत
84.26%
67.44 प्रतिशत
1,52,943
78,613
74,330
10,42,016
5,20,582
5,21,434
रांची के विधानसभा के सदस्य 9 थे, तमर, तोरपा, खूंटी, सिल्ली, खिजरी, रांची, हटिया, कांके, मंडार।
खूंटी (रांची)।
लेटराइट मिट्टी
मक्का, बाजरा, मेस्ता, आलू।
दक्षिणी कोयल नदी, स्वर्ण रेखा, उत्तरी कोयल नदी, रारू, शंख नदी, जुमार नदी।
गेतल सूद
बिरसा मृग विहार, कालामाटी ( रांची), विरस भगवान बायोलॉजिकल उद्यान,
बॉक्साइट, चूनापत्थर, रॉक फास्फेट, सीसा, चांदी, टिन, सोना, एस्बेस्टस, चीनी मिट्टी।
केस जलाशय योजना, बासुकी सिंह सह जलापूर्ति योजना।
23, 33
रांची संग्रहालय
1972
राज्य पुस्तकालय रांची।
1953
मुंडा, भूमिज, महली, चिक बड़ाइक, उराव, हो, खेरवर, परहैया, साबर, लोहारा, करमाली, गोंड, बैगा।
जगन्नाथ मंदिर, पहाड़ी मंदिर, मेन रोड गुरुद्वारा/ सी. एन. आई. चर्च, छिन्नमस्तिका मंदिर।
एकैसी महादेव मेला, सरहूल मेला।
बिरसा मुंडा हवाई अड्डा।
कंपनी का नाम | मालिकाना | उद्योग | स्थान |
सीसीएल | केंद्र सरकार | कोयला | रांची |
उषा मार्टिन | उषा मार्टिन समूह | स्टील | रांची |
एचइसी | केंद्र सरकार | भारी मशीन | रांची |
उषा बेल्ट्रॉन | उषा मार्टिन समय | केबुल | रांची |
इस कॉरपोरेशन की स्थापना 1 अप्रैल, 1965 को की गई थी। इसका प्रमुख उद्देश्य कोयला व अन्य खनिजो में प्रयुक्त की जाने वाली मशीनरी का निर्माण करना है। इसको कॉरपोरेशन को तकनीकी सहयोग प्राप्त हो रहा है। पूर्व में यह हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन का ही भाग था।
इस ऑपरेशन की स्थापना 31 दिसंबर, 1958 को रांची में की गई थी। इनकी तीन उपशाखाएं हैं- भारी मशीन उपकरण संयंत्र, भारी मशीन निर्माण संयंत्र और फाउंड्री फॉर संयंत्र। इस कॉरपोरेशन की कुल जमा पूंजी 100 करोड रुपए है। भारी मशीन निर्माण संयंत्र में 1,00,000 टन की भारी मशीनें और 25000 टन की फैब्रिकेटेड स्त्र्कचर का निर्माण किया जाता है।
दूसरा स्थान प्राप्त है।
जनवरी में।
बाल श्रमिक।
साइंस सिटी की।
चाईबासा में एक क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज।
ररूल टेक्नोलॉजी पार्क।
अक्टूबर 2002, में
जनजातीय भाषा अकादमी।
हुंडरु (74 मी, रांची स्वर्णरेखा नदी)
रांची
रांची विश्वविद्यालय रांची में स्थित है।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची में।
राजेंद्र चिकित्सा महाविद्यालय।
नामकुम
विश्वविद्यालय | स्थापना | स्थापना वर्ष |
रांची विश्वविद्यालय | रांची | 1960 |
बिरसा कृषि विद्यालय | रांची | 1981 |
बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी | मिसरा (रांची) | 1955 |
चिकित्सा महाविद्यालय | ||
राजेंद्र मेडिकल कॉलेज | रांची | 1960 |
हॉस्पिटल फॉर मेंटल डिजीजेस | कांके (रांची) | 1918 |
योगदा सत्संग होम्योपैथिक महाविद्यालय | रांची | 1967 |
विधि महाविद्यालय | ||
छोटानागपुर लॉ कॉलेज | रांची | 1954 |
पशुचिकित्सा महाविद्यालय | ||
रांची वेटरिनरी कॉलेज | रांची | 1964 |
रांची कॉलेज ऑफ वेटरनरी | रांची | |
साइंस एंड एनीमल हसबैडरी | ||
इंजीनियरिंग महाविद्यालय | ||
फैकल्टी ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग | रांची | |
बिड़ला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ( डीम्ड विश्वविद्यालय) मेसरा | रांची | 1955 |
कृषि महाविद्यालय व वानिकी महाविद्यालय | ||
रांची एग्रीकल्चरल कॉलेज | रांची | 1955 |
फैकल्टी ऑफ फॉरेस्ट्री | रांची | |
प्रबंधन संस्थान | ||
जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस | रांची | 1955 |
प्रबंधन प्रशिक्षण संस्थान | रांची | 1962 |
बिडला प्रौद्योगिकी संस्थान | रांची | 1955 |
प्रयोगशाला एवं अनुसंधान केंद्र | ||
कुष्ठ रोग अनुसंधान केंद्र | रांची | |
इंडियन लाख रिसर्च इंस्टीट्यूट | नाम कॉम (रांची) | 1925 |
रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर | रांची | 1925 |
आयरन एंड स्टील | ||
केंद्रीय प्रसार अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान | रांची | |
पॉलिटेक्निक खनन संस्थान | ||
राजकीय पॉलिटेक्निक | रांची | |
राजकीय महिला पॉलिटेक्निक | रांची | |
राजकीय पॉलिटेक्निक,खूंटी | रांची | |
अन्य शिक्षा केंद्र | ||
ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट | रांची | 1953 |
भारतीय विधि माप विज्ञान संस्थान | रांची | 1960 |
श्रीकृष्ण लोक प्रशासन प्रशिक्षण संस्थान | रांची | 1962 |
तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र | रांची | 1963 |
यहाँ पर पिकनिक मनाने के अलावा पर्यटक रांची में मछलीघर और मूटा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र पर देखा जा सकता है। मछलियों की अनेक प्र्जातियों को देख खरीद सकते हैं।
टैगोर हिल की गिनती रांची के प्रमुख पर्यटक स्थलों में की जा सकती है। इस पहाड़ी हिल से पूरी रांची के मनोहारी दृश्य देखे जा सकते है। इस स्थित शांति धाम की स्थापना गुरु रविंद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई जितेंद्र नाथ टैगोर ने करवाई थी। टैगोर हिल से सूर्योदय देखना अपने आप में अनोखा अनुभव है।
300 फीट ऊंची रांची रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर पश्चिम में शहर के बीचोबीच स्थित है। रांची पहाड़ी, बाबा भोलेनाथ के अत्यंत पवित्र एवं जाग्रत मंदिर के रूप में सुविख्यात है। सावन के हर सोमवार को और शिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं। रांची पहाड़ी मंदिर देश का शायद एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां धार्मिक ध्वज के साथ साल में 2 दिन 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। ब्रिटिश काल में रांची पहाड़ी के नीचे ही फांसी घर था। इसलिए रांची पहाड़ी को पहले फांसी टोगरी नाम दिया गया था।
रांची शहर से 10 किलोमीटर दूर स्थित है इसका निर्माण 1691 में ठाकुर एनीनाथ शाहदेव के द्वारा करवाया गया था। उड़ीसा के पुरी मंदिर पर आधारित मंदिर का निर्माण 250 फीट ऊंची पहाड़ी पर किया गया था जिसे भगवान जगन्नाथ तथा बलराम एवं सुभद्रा की मूर्तियां स्थापित की गई। मुख्य मंदिर से आधा किलो मीटर दूरी मौसी बाडी मंदिर स्थित है, जहां प्रतिवर्ष द्वितीय के दिन रथ यात्रा की संध्या में भगवान के सारे विग्रह ले जाए जाते हैं। 8 दिन के विश्राम के पश्चात नौवें दिन अर्थात और आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मुख्य मंदिर के लिए प्रस्थान करते हैं।
रांची से 39 किलोमीटर दूर रांची जमशेदपुर मार्ग पर तैमारा घाटी के पास पहाड़ियों और हरे-भरे जंगलों के बीच सफेद संगमरमर से निर्मित एक पहाड़ी पर प्रधान नगर में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान श्रीराम ने लंका विजय के क्रम में अपने अनुज श्री लक्ष्मण के साथ अपने कुल देवता सूर्य भगवान की पूजा, प्रधान नगर में की थी। अंत इस स्थान पर सूर्य भगवान का विशाल मंदिर बनाया गया है। 11 एकड़ भूभाग में फैले इस मंदिर के वास्तुकार एस.आर.एन कालिया है। मंदिर में भगवान भास्कर की प्रतिमा स्थापित है। पूरे झारखंड में यह अपनी तरह का अकेला मंदिर है। यहां 25 जनवरी को टुसू मेले में चौड़ल एवं नृत्य प्रतियोगिताएं होती है।
रांची का आदिवासी म्यूजियम शहर से 3 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित है रविवार को छोड़कर 10 बजे से 5 बजे तक इसे निशुल्क देखा जा सकता है। संग्रहालय के मुख्य द्वार पर अमर शहीद बिरसा मुंडा की प्रतिमा है। दो भागों में विभाजित संग्रहाल्य के बाई और बिहार जनजातीय कल्याण शोध संस्थान और दूसरी और कई ऐतिहासिक धरोहरों को समेटे हुए पुरातत्व विभाग है। सन 1954 में देश के इस पहले जनजातीय शोध संस्थान की स्थापना रांची में की गई थी। देश विदेश से आए पर्यटकों को इस आदिवासी संग्रहालय में अच्छी खासी दिलचस्पी लेते देखा जा सकता है। शोध के विद्यार्थी भी यहां के ज्ञान अर्जित कर पी.एच.डी. की उपाधि ग्रहण करते हैं। आदिवासी विद्यार्थियों को प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए कोचिंग की व्यवस्था यहां है।
रांची से 17 किलोमीटर दूर रुक्का डैम पिकनिक के लिए महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। यह विकास विद्यालय से 2 किलोमीटर दूर पूर्व में रांची रामगढ़ मार्ग पर स्थित है। इसके नजदीकी वृक्षों की भरमार है।
रांची का सबसे बड़ा डैम 20 किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ जल शक्तिगृह में भेजा जाता है जिसमें 120 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन प्रतिदिन होता है।
रांची के वीर सैनिकों ने भारत-पाक युद्ध में 1971 में देश की खातिर लड़ते हुए अपना बलिदान दिया। फिरायालाल चौक पर स्थापित इस मूर्ति की स्थापना उनकी याद को अमर बनाने के लिए की गई है और इस चौक का नाम अल्बर्ट एक्का चौक रख दिया गया है। अलबर्ट एक्का झारखंड के एकमात्र सैनिक है जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
यह रांची से 40 किलोमीटर दूरी पर खूंटी में स्थित है। इस मंदिर में भगवान गणपति, राम- सीता, हनुमान एवं शिव की मूर्तियां स्थापित है। इस मंदिर को अब अमरेश्वरधाम के नाम से भी जाना जाता है।
कांगड़ा प्रखंड में रांची से 45 किलोमीटर दूर रांची पुरुलिया मार्ग पर है। स्वर्णरेखा नदी 320 फीट की ऊंचाई से गिरती है। भारत में प्रसिद्ध जलप्रपात पर अनेक कविताएं लिखी गई है तथा यहां पर फिल्मों की शूटिंग भी हुई है।
जोन्हा जलप्रपात को गौतमधारा जलप्रपात भी कहते हैं, रांची पुरुलिया रोड पर रांची से 40 किलोमीटर दूर पहाड़ों और जंगलों के बीच यह जलप्रपात स्थित है। इसमें राढू नदी का पानी का 140 फीट की ऊंचाई से गिरता है। 457 सीढ़ियों से नीचे उतरकर जलप्रपात तक पहुंचना होता है।
रांची जमशेदपुर मार्ग पर बुंडू थाना क्षेत्र में रांची से 34 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जहां कांची नदी 144 फीट की ऊंचाई से गिरती है। एक मुख्य जलप्रपात के अलावा 9 अन्य छोटे जलप्रपात यहां है, इसलिए इसे दशम जलप्रपात कहते हैं।
खूंटी से 5 किलोमीटर दूर रास्ते में एक ही कतार में पांच जलप्रपात नयनाभिराम हरीतिमां के बीच स्थित है। जिन्हें पंचधारा जलप्रपात कहते हैं।
रांची चाईबासा मुख्य पथ पर मुरहू थाना से पूरब की ओर 10 किलोमीटर की दूरी पर पंगुरा की 250 फिट ऊंची पहाड़ियों और वनों से आच्छादित इट्टी पंचायत के पंगुरा ग्राम के समीप स्थित है। यहां इट्टी नदी दो जलप्रपातों का निर्माण करती है।
रांची चाईबासा मार्ग पर खूंटी से आगे रांची से 70 किलोमीटर दूरी पर स्थित है जहां 120 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
रांची से 44 किलोमीटर दूर यह अभी अविकसित जलप्रपात है, परंतु भविष्य में यह जोन्ह जलप्रपात से ज्यादा प्रसिद्ध होगा। इस जलप्रपात तक जाने के लिए जोन्हा जलप्रपात से ठीक 1 किलोमीटर पहले पक्की सड़क से पूर्व लगभग 4 किलोमीटर मोरथ से होकर जाना पड़ता है। इसकी ऊंचाई लगभग 280 फीट है। इस जल अपवाद के ऊपर एक छोटे मंदिर में माता सीता का पत्थर का बना पद चिन्ह है। संभवत है इस मंदिर के नाम से इस जलप्रपात का नाम सीता जल प्रपात पड़ा।
रांची जिले के खूंटी अनुमंडल मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित है जोकि स्वतंत्रता आंदोलन में जलियांवाला बाग के न सिर्फ समांतर बल्कि उससे भी ज्यादा महत्व रखता है क्योंकि डुम्बारी पहाड़ी महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का गुरिल्ला युद्ध प्रशिक्षण शिविर स्थल है। इसी शैल रकब पहाड़ी पर बिरसा मुंडा को पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने भारी मार काट मचाई थी, परंतु बिरसा मुंडा पकड़ा नहीं जा सके थे। 9 जनवरी 1900 को इसी स्थान पर जाट रेजिमेंट के कमिश्नर फोर्बेस के नेतृत्व में 400 मुंडो औरत मर्दो को बिरसा मुंडा को पकड़ने के लिए जिस तरह मार गिराया था वह जलियांवाला बाग हत्याकांड को भी छोटा बना देता है।
रांची का मछलीघर 1944 में बनकर तैयार हुआ। यह ₹20 लाख की लागत से बना है जिसका डिजाइन भोपाल का मछलीघर की अनुकृति है। रांची का मछली घर बच्चों और युवाओं के आकर्षण का केंद्र है।
रांची से 35 किलोमीटर दूर उत्तर में ओरमांझी प्रखंड में सिकंदरी से 6 किलोमीटर जाने पर 3 किलोमीटर पैदल चलकर मूटा मगर प्रजनन केंद्र पहुंचा जा सकता है, मूटा के आसपास है भेड़ा नदी के 15 दह है जिसमें 6 दहों में मगर पाए जाते हैं। जाड़े के दिनों में बड़ा नदी के किनारे धूप में बैठे मगर आसानी से देखने को मिल जाते हैं। यहां दर्जनों छोटे बड़े मगरमच्छ है।
रांची को गुलाब पैदा करने में विश्व में इंग्लैंड के बाद दूसरा स्थान प्राप्त है। रांची में प्रतिवर्ष गुलाब प्रदर्शनी जनवरी महीने में लगाई जाती है, जो अत्यंत दर्शनीय होती है।
रांची जिले के भूर नदी के बीच जलधारा में 21 शिवलिंग है जिसे एकैसी महादेव के नाम से जाना जाता है। मकर सक्रांति के अवसर पर यहां भव्य मेले का आयोजन होता है।
धर्म | कुल जनसंख्या | प्रतिशत |
हिंदू | 16,12,239 | 55.32 |
मुस्लिम | 4,10,759 | 14.09 |
ईसाई | 1,93,974 | 6.66 |
सिख | 4,826 | 0.17 |
बौद्ध | 932 | 0.03 |
जैन | 2,733 | 0.09 |
अन्य | 6,77,445 | 23.25 |
अवर्गीकृत | 11,345 | 0.39 |
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