विद्युत चालक- वह पदार्थ जो अपने में से विद्युत धारा को प्रभावित होने देते हैं, विद्युत चालक कहलाते हैं। जैसे लोहा, तांबा, मानव शरीर, चांदी, एलुमिनियम, आदी।
विद्युत रोधी– रेवदार जो अपने में से विद्युत धारा को प्रभावित नहीं होने देते, विद्युत रोधी कहलाते हैं, जैसे- लकड़ी, रबड़, प्लास्टिक, कांच, कागज आदि।
घरों में बिजली की तारों के ऊपर रबड़ या प्लास्टिक के खोल इसलिए चढ़ाए जाते हैं क्योंकि रबड़ी अप्लास्टिक विद्युत के कुचालक है। अंतर खोल चरितार को छूने से विधुत धारा हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती और विद्युत करंट का झटका महसूस नहीं होता है।
संपरीक्षित्र के दोनों सिरों को थोड़े समय के लिए एक दूसरे से स्पर्श करो जिससे परिपथ पूरा हो जाए। यदि बल्ब दीप्त हो जाता है तो संपरीक्षित्र सही है अन्यथा बल्ब दीप्त नहीं होगा।
कई बार तलक परिपथ में दुर्बल विधुत धारा के कारण बल्ब दीप्त नहीं हो पाता जबकि पदार्थ विद्युत का चालन कर रहा होता है और परिपथ भी पूरा होता है। ऐसी स्थिति में संपरीक्षित्र में विद्युत बल्ब के स्थान पर LED ( प्रकाश उत्सर्जक डायोड) का उपयोग करते हैं जो दुर्बल विधुत धारा होने पर भी दिप्त होता है। LED में एक तार लंबा व दूसरा थोड़ा कम लंबा होता है। लंबे तार को बैटरी के धन टर्मिनल से जोड़ा जाता है।
हां, विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है संपरीक्षित्र चुंबकीय सुई के द्वारा बनाया जा सकता है। माचिस की डिब्बी की खाली ट्रे में एक चुंबकीय सुई रखो। एक संयोजन तार को ट्रे के चारों तरफ लपेटो। तार के एक स्वतंत्र सिरे को बैटरी से जोड़ो और दूसरा सिरा स्वतंत्र छोड़ दो। तार को एक अन्य टुकड़ा लेकर बैटरी के दूसरे टर्मिनल से जोड़कर उसे स्वतंत्र छोड़ दो। दोनों तारों के स्वतंत्र सिरो को क्षण भर के लिए स्पर्श करो। चुंबकीय सुविधाओं से विकक्षेप दिखाती है। संपरीक्षित्र उपयोग के लिए तैयार है।
वास्तव में विशेष परिस्थितियों में अधिकांश पदार्थ विद्युत धारा का पालन करते हैं यही कारण है कि पदार्थ को चालकों व विद्युतरोधियों के रूप में वर्गीकृत करने की अपेक्षा सूचालको व हीन चालकों में वर्गीकृत किया जाता है। आसुत जल विद्युत का हीन चालक है।
जब आसुत जल का संपरीक्षित्र के द्वारा चालक या कुचालक का परीक्षण किया जाता है तो हम पाते हैं कि आखिर जल विद्युत का चालन नहीं करता परंतु इसी आसुत जल में साधारण है नमक की एक चुटकी या तनु हाइड्रोक्लोरिक अमल की दो बूंदे मिलाने पर यह है विद्युत का चालन बन जाता है। इसलिए इसे विदित का हीन चालक कहा जाता है।
आसुत जल विद्युत का हीन चालक है परंतु जो जल हम पीते हैं उसमें खनिज लवण गोले होते हैं जिनके कारण यह जल विद्युत का चालक बन जाता है इसलिए विद्युत साधित्रों का उपयोग करते समय विदित है लीक होने पर गिले हाथों या गीले फर्श से विद्युत का चालन हो सकता है जो दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसलिए विद्युत साधित्रों का उपयोग करने से पूर्व गिले हाथों को सुखा लेना चाहिए और लकड़ी या प्लास्टिक के तख्ते का इस्तेमाल खड़ा होने के लिए करना उचित है।
आसुत जल में नींबू का रस, तनु हाइड्रोक्लोरिक अमल, कास्टिक सोडा, साधारण नमक या अन्य कोई लवण मिलाकर इसे चालक बनाया जा सकता है। प्राकृतिक जल स्रोतों से प्राप्त जल में खनिज लवण मिले होने से जल विद्युत का चालक होता है। आसुत जल में इन्हीं खनिज लवणों का अभाव होता है।
क्रोमियम चमकदार, संक्षारीत में होने वाला, खरोंचों का प्रतिरोध करने वाला तथा महंगा होता है। क्रोमियम से वस्तुएं बनाना बहुत महंगा होने के कारण ही, इसकी तह अन्य वस्तुओं पर चढ़ाई जाती है ताकि यह क्रोमियम से निर्मित वस्तुएं ही प्रतीत हो।
चांदी सस्ती व सोना महंगी धातु होती है। सोने के आभूषण बनाना बहुत महंगा होता है। इसलिए चांदी के आभूषण बनाकर उन पर सोने की तरह निक्षेपित कर दी जाती है। ताकि चांदी के आभूषण देखने में सोने जैसे दिखाई दे।
विद्युतलेपन करते समय जिस वस्तु पर तहत डालनी हो उसे बैटरी के निर्णय इलेक्ट्रोड से जुड़ा जाता है तथा जिस पदार्थ की तह चढ़ानी हो उसे धन इलेक्ट्रोड से जुड़ा जाता है। अंत्य जितना पदार्थ विद्युत अपघटन से वस्तु पर जमा होता है उतना ही पदार्थ धन इलेक्ट्रोड से जुड़ा है पदार्थ के विलियन में घुल जाता है। इसी प्रकार विद्युत लेपन के समय विलियन में हो रही पदार्थ की कमी की आपूर्ति होती रहती है।
निम्न कार्यों के लिए विद्युत लेपन की आवश्यकता होती है-
विद्युत लेपन के लिए मूल रूप से निर्मित वस्तुओं की आवश्यकता होती है-
कांच का बर्तन, उचित विद्युत अपघटय, विद्युत का स्रोत ( बैटरी या सेल) इलेक्ट्रोड, तांबे की तार, लेपन करने वाली शुभ धातु की छड़ जो कि एनोड के रूप में कार्य करती है, लेपित होने वाली वस्तु।
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