भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का इतिहास

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

आज इस आर्टिकल में हम आपको भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.

More Important Article

भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का इतिहास

5 अगस्त, 1942 को मुंबई में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में भारत छोड़ो प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इस प्रस्ताव को 8 अगस्त को स्वीकार किया था और गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

9 अगस्त को सरकार ने अध्यादेश जारी करके कांग्रेस को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया.  9 अगस्त, 1942 को राजेंद्र प्रसाद, मथुरा बाबू, श्री कृष्ण सिंह, अनुग्रह बाबू इत्यादि बिहार के नेता गिरफ्तार कर लिए गए. जबकि श्री बलदेव सहाय ने सरकारी नीति के विरोध में महाधिवक्ता के पद पर से इस्तीफा दे दिया.

सीताराम केसरी, श्री कृष्ण सिंह, श्रीमती भगवती देवी आदि ने आंदोलन को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई. 11 अगस्त, 1942 को विद्यार्थियों के समूह ने सचिवालय के पूर्वी गेट पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा दिया.

छात्रों की इस कार्रवाई पर पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी डब्ल्यू जी आर्चर के आदेश पर पुलिस ने निहत्थे छात्रों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई. इस गोलीकांड में 7 छात्र उमाकांत प्रसाद सिंह, रामानंद सिंह, सतीश प्रसाद झा, देवीपद चौधरी, राजेंद्र सिंह, राम गोविंद सिंह और जगपती कुमार शहीद हो गए तथा अनेक छात्र घायल हुए. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस स्थान पर शहीद स्मारक का निर्माण हुआ.

इस स्मारक का शिलान्यास जहां बिहार के प्रथम राज्यपाल दयाराम दास जोतराम के हाथों 15 अगस्त, 1947 को हुआ, वहीं इसका औपचारिक अनावरण देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा 1956 में हुआ.

Leave a Comment