माता-पिता से संतति में गुणों का स्थानांतरण, अनुवांशिकता कहलाता है।
निरंतर हुए परिवर्तनों का क्रम जो जीवो में होता है और जो लंबे समय में स्पीशीज के उद्भव में सहायक है।
हां, लेकिन लैंगिक जनन की तुलना में बहुत ही कम।
जीन (DNA) की सरचना में हुए परिवर्तन उत्परिवर्तन कहलाते हैं, जो विभिन्नताओं का प्रमुख कारण है।
किसी जाति विशेष के सदस्यों में पाए जाने वाले लक्षण में अंतर विभिन्नताएं कहलाती है।
लैंगिक जनन के कारण तथा नई पीढ़ी के बनने से लक्षणों में विविधता उत्पन्न होती है।
नहीं, विशिष्ट पर्यावरणीय परिस्थितियों में जो लाभदायक की विभिन्नताएँ है, उनके बने रहने के अधिक अवसर है।
जनन विभिन्नताएँ , कायिक विभिन्नताएँ
जॉनसन, ग्रेगर जॉन मेंडल।
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत लक्षणों की वंशानुगति की कार्य विधि का अध्ययन किया जाता है।
माता- पिता से या एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में गुणों का स्थानांतरण अनुवांशिकता कहलाता है।
मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए गार्डन मटर को चुना।
ज्ञात लक्षणों के जीवो के बीच संकरण कराने के बाद प्राप्त प्रथम पीढ़ी FI पीढी कहलाती है।
विभिन्न प्रकट होने वाले लक्षणों के बीच का अनुपात, लक्षण प्रारूप अनुपात कहलाता है।
लक्षण प्रारूप का अर्थ है- भौतिक रूप से दिखाई देने वाले लक्षण है।
विषमयुगमी स्थिति में जो लक्षण प्रकट होता है, उसे प्रभावी लक्षण कहते हैं।
किसी स्पीशीज़ के दो दूरस्थ संबंधित सदस्यों से उत्पन्न संतति, जो दोनों पैतृक से भिन्न होती है, संकर का जाती है
क्योंकि जनरल कोशिकाएं अर्धसूत्री विभाजन के कारण बनती है, इसलिए उनमे जीन\ गुणसूत्रों की केवल एक ही प्रति होती है।
लिंग गुणसूत्र, अलिंग गुणसूत्र।
वे गुणसूत्र जो संतति में लिंग का निर्धारण करते हैं, लिंग गुणसूत्र कहलाते हैं।
लिंग गुणसूत्र में।
वे गुणसूत्र जो लिंग निर्धारण से संबंधित नहीं है, उन्हें अलिंगसूत्री कहते हैं।
मानव मादा में XX तथा मानव नर में XY
पिता द्वारा ( न की माता द्वारा)
अनुवांशिकता के वाहक
दो
वे लक्षण जो विषमयुग्मी अवस्था में प्रकट नहीं होते
जब किसी लक्षण का निर्धारण करने वाले दोनों कारक ( जीन) समान हो, तो अवस्था को समयुग्मी कहा जाता है।
जब किसी लक्षण का निर्धारण करने वाले दोनों कारक असमान (विकल्पी) हो तो इस अवस्था को विषमयुग्मी अवस्था कहा जाता है।
गोलबीज वाले लंबे पौधे ( दोनों लक्षण प्रभावी है)।
DNA
धागे जैसी सरचनाएं जो किसी कोशिका के केंद्रक में उपस्थित है होती है और जो DNA तथा प्रोटीन की बनी होती है गुणसूत्र कहलाती है।
DNA तथा प्रोटीन।
जीन DNA के रूप में गुणसूत्रों में स्थित होते हैं।
जीन
जे जी मेडल
समुंद्री कछुए न्यून तापमान पर बनते हैं तथा अधिक तापमान पर माताएं। ।
जब किसी एंड का निषेचन उसे शुक्राणु के द्वारा होता है जिसमें लिंग गुणसूत्र X हो तो मादा शिशु जन्म लेता है।
जब किसी अंड का निषेचन ऐसे शुक्राणु से होता है जिसमें Y लिंग गुणसूत्र उपस्थित हो, तो नर शिशु जन्म लेता है।
3 : 1
1 : 2 : 1
एक क्रॉस जिसमें हम केवल एक लक्षण की वंशानुगती\अनुवांशिकता का अध्ययन करते हैं, एक संकरण क्रॉस कहलाती है।
एक क्रॉस जिसमें हम एक साथ केवल दो लक्षणों की वंशानुगति का अध्ययन करते हैं।
पेशियाँ, त्वचा पर गूदे हुए टाटू।
जे बी एस हॉल्डेन
प्राकृतिक वरण द्वारा स्पीशीज की उत्पत्ति।
जीन बैप्टाइड लैमार्क।
डार्विन विभिन्नताओं का कारण नहीं बता सका की विभिन्नताएँ किस प्रकार उत्पन्न होती है।
ह्रागो डी वेरीज
कॉस्मिक किरणों से, डिस्चार्ज से।
NH3, HCN
विभिन्नताओं के एकत्रित होने के कारण वर्तमान स्पीशीज से नई स्पीशीज की उत्पत्ति, स्पीशीज उद्भव कहलाती है।
वर्तमान में पाई जाने वाली स्पीशीज से नई तथा और अधिक जटिल स्पीशीज के बनने या विकसित होने की क्रिया विकास कहलाती है।
जाति हो तो बहुत तब होता है जब बहुत सारी विभिन्नताएँ उत्परिवर्तन या DNA प्रतिकृति में गलती के कारण जनन कोशिकाओं में उत्पन्न होती है।
प्राकृतिक वरण, आनुवंशिक विचलन।
जीन/DNA किस रचना में हुए अचानक, अनुवांशिक परिवर्तन, उत्परिवर्तन कहलाते हैं।
कोशिका।
लक्षण जिनकी संरचना तथा उत्पति समान होती है लेकिन कार्य समानता या भिन्नता हो सकती है, समजात लक्षण कहलाते हैं।
वे सामान्य/समान पूर्वज प्रदर्शित करते हैं।
कृमिरूप परिशेषिका,आंख में निमेषक झिल्ली।
आर्कियोप्टेरिक्स
कीट का अपघटन हो जाता है जबकि उसके शरीर की छाप मिट्टी पर रह जाती है जिसे फासिल कहते हैं।
जीव/DNA में उत्परिवर्तन जिससे विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है।
सरीसृप वर्ग का विकास पहले हुआ है।
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