आज इस आर्टिकल में हम आपको मगध राज्य का उत्कर्ष एवं विस्तार – Bihar GK Hindi के बारे में बताने जा रहे है. General Knowledge Questions about Bihar – GK in Hindi Bihar Question’s – Bihar Gk Questions, Hindi Gk Questions बिहार सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी – BPSC Bihar GK Quiz
- वर्तमान बिहार की राजधानी पटना एवं गया जिले के क्षेत्र में स्थित मगध प्राचीन भारत का एक प्रमुख राज्य था. यह बुद्ध काल में एक शक्तिशाली व संगठित राजतंत्र बन गया.
- मगध राज्य का प्रारंभिक इतिहास महाभारत में वर्णित है. मगध साम्राज्य पर शासन करने वाले प्रथम राजवंश के विषय में पुराणों तथा बौद्ध ग्रंथों में भिन्न-भिन्न विवरण मिलते हैं.
- पुराणों के अनुसार मगध का राजवंश वृहद्रथ वंश से प्रारंभ होता है.
वृहद्रथ वंश
- वृहद्रथ ने मगध में वृहद्रथ वंश की स्थापना की थी. वृहद्रथ के पिता का नाम चेदिराज वसु था .
- इस वंश के राजाओं में सर्वाधिक प्रसिद्ध वृहद्रथ का पुत्र जरासंध हुआ.
- जरासंध इस वंश का सबसे प्रतापी राजा था. उसने काशी, कौशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, बंग, कलिंग, और कश्मीर के राजाओं को भी पराजित किया.
- जरासंध को भीम ने द्वंद युद्ध में पराजित करके उसका वध कर दिया था. इसके बाद उसका पुत्र सहदेव शासक बना. वृहद्रथ वंश का अंतिम राजा रिपुंजय था.
- रिपुंजय की हत्या उसके मंत्री पुलक ने कर दी एवं अपने पुत्र को राजा बना दिया. बाद में एक दरबारी महीय ने पुलक और उसके पुत्र को मारकर अपने पुत्र बिंबिसार को गद्दी पर बैठाया था.
हर्यंक वंश
- बौद्ध ग्रंथों के अनुसार मगध का प्रथम वंश हर्यक वंश से ( जिसका कहीं कहीं हर्यक हरयान के रूप में भी उल्लेख हुआ है) और प्रथम शासक बिंबिसार था. वस्तुतः एक राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का उत्कर्ष सर्वप्रथम मगध सम्राट बिंबिसार के शासनकाल में हुआ है.
बिंबिसार ( 542 – 492 ईसा पूर्व)
- बौद्ध ग्रंथ महाभारत के अनुसार हर्यक वंश का संस्थापक बिंबिसार ने 15 वर्ष की आयु में शासन प्राप्त किया और आधी शताब्दी से अधिक समय तक मगध पर शासन किया. उसी के अधीन मगध का साम्राज्य विस्तार आरंभ हुआ
- उसकी राजधानी राजगृह थी.
कूटनीतिक संबंध और साम्राज्य -विस्तार
- बिंबिसार एक महत्वकांक्षी शासक था और योग्य कूटनीतिज्ञ भी. अपनी राजनीतिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए उसने वैवाहिक संबंधों की नीति अपनाई.
- उसकी पहली पत्नी कोशलदेवी कोशल की राजकुमारी थी. इस विवाह में दहेज के रूप में विशाल को काशी का क्षेत्र प्राप्त हुआ. साथ ही कौशल का शासक प्रसेनजीत उसका मित्र हो गया.
- उसकी दूसरी पत्नी चेल्लना वैशाली के लिच्छवी शासक परिवार की राजकुमारी थी. इस विभाग में से वज्जियों के साथ संबंध सुदृढ़ हुए.
- उसकी तीसरी पत्नी पंजाब की मद्र राजकुमारी क्षेमा थी.
- अंग की राजधानी चंपा में उसने अपने पुत्र अजातशत्रु को शासक नियुक्त किया था.
- अवनीत के साथ चंड प्रधोत महासेन के साथ हुआ उसका युद्ध अनिर्णीत रहा. अंत में दोनों ने मैत्री कर ली.
- प्रद्योत के उपचार के लिए बिंबिसार ने अपने निजी चिकित्सक जीवक को उज्जैन भेजा.
- बिंबिसा कूटनीति संपर्क गांधार के शासक से भी रहा है,
- बिंबिसार ने युद्ध और कूटनीति से मगध के क्षेत्रों का विस्तार किया और अपनी प्रतिष्ठा में वृद्धि की.
- बिंबिसार ने अपने बड़े पुत्र दर्शक को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा था जो अजातशत्रु को पसंद नहीं था. अंत ; उसने पिता को कैद कर खुद को राजा घोषित किया.
- बोल स्रोतों में अजातशत्रु को अपने पिता का हत्यारा कहा गया है, परंतु जैन स्रोत इससे सहमत नहीं है.
- बिंबिसार का निधन लगभग 492 ई . पू. में हुआ है.
- इतिहास में बिंबिसार को एक ऐसा प्रथम शासक माना जाता है जिसने स्थाई सेना रखी. इस प्रकार उसे सेनिय अथवा सोनिया भी कहा जाता है.
- बिंबिसार ने सेना में पहली बार हाथी का प्रयोग किया.
अजातशत्रु ( 492-460 ई. पु.)
- अजातशत्रु हर्यक वंश का था और उसका नाम कुणिक भी था. वह अपने पिता बिंबिसार की भांति साम्राज्यवादी था. इस के समय में कौशल से मगध का संघर्ष छिड़ गया.
- बिंबिसार की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी कौशल देवी की भी दुख से मृत्यु हो गई.
कौशल के साथ संघर्ष
- कौशल और मगध के बीच संघर्ष में प्रसेनजीत पराजित हुआ तथा उसने भागकर श्रावस्ती मैं शरण ली.
- दूसरी बार युद्ध में अजातशत्रु पराजित हुआ तथा प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वजिरा का विवाह अजातशत्रु से कर दिया.
- अजातशत्रु के समय में काशी का प्रांत अंतिम रूप में मगध से मिला लिया गया.
वज्जी संघ के साथ संघर्ष
- कौशल से निपटने के बाद अजातशत्रु ने वज्जि संघ की ओर ध्यान दिया.
- वैशाली वज्जि संघ का प्रमुख राज्य था, जहां के शासक लिच्छवी नरेश थे.
- दोनों राज्यों के बीच बिंबिसार के समय से जारी मनमुटाव अजातशत्रु के समय संघर्ष में बदल गया.
- वज्जी से युद्ध करने के लिए गंगा, गंडक और सोन नदियों के संगम पर एक सैनिक छावनी का निर्माण हुआ जहां से वैशाली पर अभियान में सुविधा हो.
- यह छेत्र पाटलिग्राम कहलाया जो बाद में पाटलिपुत्र के नाम से विख्यात हुआ और मगध के विस्तृत साम्राज्य की राजधानी बना.
- 16 वर्षों तक चले इस युद्ध में छल से भी काम लिया गया. भगवती सूत्र के अनुसार, अजातशत्रु ने अपने मंत्री वस्सकार की सहायता वज्जि संघ के सदस्यों में फूट डालकर उनकी शक्ति को कमजोर कर दिया.तत्पश्चात उसने वैशाली पर आक्रमण कर उसे जीत लिया, इस प्रकार गंगा नदी के दोनों और मगध का आधिपत्य स्थापित हो गया,
- परंतु अभी भी अवंति का राज्य मगध का प्रबल शत्रु बना हुआ था,
- मज्झिम निकाय के अनुसार अवंती नरेश प्रद्योत के द्वारा आक्रमण किए जाने की आशंका को ध्यान में रखते हुए आजतशत्रु ने राजगीर की सुरक्षा हेतु किलाबंदी कराई, जिनकी दीवारों के अवशेष अभी देखें जा सकते हैं.
मल्ल पर अधिकार
- भास के अनुसार अजातशत्रु ने वैवाहिक संबंध के द्वारा वत्स को अपना मित्र बना लिया.
- अजातशत्रु की धार्मिक नीति उद्धार थी.
- बौद्ध तथा जैन दोनों ही ग्रंथ उसे अपने अपने मत का अनुयायी मानते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पहले वह जैन धर्म से प्रभावित था, परंतु बाद में बौद्ध हो गया.
- भरहुत स्तूप की एक वेदिका के ऊपर अजातशत्रु का भगवान बुद्ध की वंदना करके संबंधी लेख- अजातशत्रु भगवती वंदे उत्कीर्ण मिलता है, जो उसके बाद पुरातत्विक प्रमाण है.
- अपने शासनकाल के 8 वर्ष में बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात अजातशत्रु ने उनके अवशेषों पर राजगृह में स्तूप का निर्माण करवाया था.
- उल्लेखनीय है कि अजातशत्रु के मगध के सम्राट रहते हुए 487 ई.पू. में महात्मा बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया तथा महावीर का निधन 468 ईसवी पूर्व में पावापुरी में हुआ.