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बिहार उदयभद्र या उदायिन – Bihar GK Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको बिहार उदयभद्र या उदायिन – Bihar GK Hindi के बारे में बताने जा रहे है. General Knowledge Questions about Bihar – GK in Hindi Bihar Question’s – Bihar Gk Questions, Hindi Gk Questions बिहार सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी – BPSC Bihar GK Quiz

  • उदयभद्र अथवा उदायिन अजातशत्रु के बाद 459 ईसवी पूर्व में मगध का राजा बना.
  • बौद्ध ग्रंथों में उदयभद्र  को पितृहंता बताया गया है, जबकि जैन ग्रंथों में उसे पितृ भक्त कहा गया है.
  • उदायिन अपने पिता अजातशत्रु के शासनकाल में चंपा का राज्यपाल या उपराजा था.
  • जैन मतानुसार पिता के निधन के बाद उसे कुलीनो व आमत्यों ने राजा बनाया.
  • उसके जीवन काल की सबसे बड़ी और प्रमुख घटना पाटलिपुत्र नगर की स्थापना रही.
  • उदायिन ने गंगा और सोन नदियों के संगम पर इस नगर को बसाया तथा उसने राजगृह से मगध की राजधानी को हटाकर पाटलिपुत्र में स्थापित किया.
  • वह नियमित रूप से व्रत करता था तथा आचार्य के उपदेश सुनता था. उपदेश सुनने के दौरान ही एक दिन मगध की प्रतिद्वंदी राज्य अवनीत के राजा पोलक ने धोखे में उदायिन को उनके पुत्रों द्वारा मरवा दिया.

हर्यक वंश का अंत

  • बौद्ध ग्रंथों के अनुसार उदायिन के 3 पुत्र थे. उनके नाम क्रमश: अनिरुद्ध, मुंडक और नागदशक थे. इन्हें भी पितृहंता कहा गया है.
  • उदायिन  के इन तीनों पुत्रों ने मगध पर शासन किया. अंतिम राजा नागदशक प्रसिद्ध हुआ, जिसे पुराण में दर्शक कहकर पुकारा गया.
  • यह तीनों राजा अत्यंत विलासी और निर्बल थे. इनके काल में राज्य के चारों और हत्या, षड्यंत्र,  भ्रष्टाचार फैल गया था.
  • व्यापक असंतोष फैल जाने के कारण राज्य में विद्रोह हुआ और इन पितृहन्ताओ को शासन से हटाकर शिशुनाग नामक योग्य अमात्य राजा बनाया गया.

शिशुनाग वंश ( 412 – 344 ई. पु.)

  • 412 ईसा पूर्व में काशी के गवर्नर शिशुनाग को मगध का राजा बनाया गया.
  • शिशुनाग योग्य व्यक्ति था और नाग वंश से संबंधित था.
  • हालांकि महावंश के अनुसार शिशुनाग को एक लिच्छवी राजा की वेश्या पत्नी से उत्पन्न कहा गया है, किंतु पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था.
  • शिशुनाग ने जन सहयोग से 412 ईसा पूर्व में शिशुनाग वंश की स्थापना की.
  • उसकी सर्वश्रेष्ठ सफलता अवंती पर विजय थी. उस समय अवंति का राजा अवंतिवर्धन था. अवंति पर इस विजय के साथ इन दोनों राज्यों के मध्य लगभग 1 शताब्दी पुरानी प्रतिद्वंदिता समाप्त हुई.
  • पुराणों के अनुसार प्रद्योत वंश की सेना नष्ट हुई और अवंति का क्षेत्र मगध साम्राज्य में शामिल हो गया.
  • पुराणों के अनुसार प्रद्योत वंश की सेना नष्ट हुई और अवंति का क्षेत्र मगध साम्राज्य में शामिल हो गया. शिशुनाग वत्स और कौशांबी पर भी विजय प्राप्त की.
  • शिशुनाग की मृत्यु 394 ईसा पूर्व हुई थी.
  • उसके बाद उसका पुत्र कालाशोक मगध की गद्दी पर बैठा.
  • कालाशोक ने अपनी राजधानी को  पाटलिपुत्र स्थानांतरित किया. इसके बाद पाटलिपुत्र ही मगध की राजधानी रही.
  • कालाशोक के शासनकाल में वैशाली में बौद्ध धर्म की द्वितीय संगीति का आयोजन 383 ई. पू. में हुआ.
  • इस में बौद्ध संघ में विभेद उत्पन्न हुआ और वह दो संप्रदायों में विभाजित हो गया. विभाजित घटक स्थविर और महासंघिक कहलाये.
  • परंपरागत नियमों में विश्वास करने वाले स्थाविर कहलाये और  जो बौद्ध संघ में कुछ नए नियमों को समाविष्ट होने के पक्षधर रहे वे महासंघिक कहलाए,
  • इन्हीं दोनों संप्रदायों के बाद में क्रमशः हीनयान और महायान की उत्पत्ति हुई.
  • बाणभट्ट रचित रचित के अनुसार राजधानी के समीप घूमते हुए का काकवर्ण की हत्या महापद्मनंद नामक व्यक्ति ने चाकू मारकर कर दी, कालशोक की मृत्यु 366 ईसा पूर्व में हो गई.
  • महाबोधिवंश के अनुसार कालशोक 10 पुत्र थे. इन पत्रों में सम्मिलित रूप से मगध पर 22 वर्षों तक शासन किया.
  • कालाशोक के 10 पुत्रों में नंदिवर्धन का नाम सबसे महत्वपूर्ण था.
  • नंदिवर्धन या महानंदिन शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था. कालाशोक के उत्तराधिकारियों का शासन अंतिम रूप से 344 ईसा पूर्व में समाप्त हो गया.

 

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