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बिहार के प्रमुख मेले
सोनपुर पशु मेला
सोनपुर का पशु मेला देश का सबसे बड़ा पशु मेला है. विश्व प्रसिद्ध इस मेले कोहरिहर क्षेत्र का मेला के नाम से जाना जाता है. हरिहर क्षेत्र का मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन आयोजित किया जाता है. यह मेला पूरे एक पखवारा तक चलता है. यह मेला गंगा-गंडक के संगम पर आयोजित किया जाता है.
सौराठ मेला
सौराठ मेला मधुबनी जिला अंतर्गत स्वराज नामक स्थान पर चलता है. यह मेला अपने आप में अनूठा है, क्योंकि इस मेले में मैथिल ब्राह्मण परिवार के अविवाहित लड़के शादी विवाह के उद्देश्य से पहुंचते हैं. यहां पर यदि वर कन्या दोनों पक्ष बातचीत के पश्चात संतुष्ट हो जाते हैं, तो विवाह की तिथि तय कर दी जाती है.
वैशाली मेला
वैशाली में चेत्र शुक्ल त्रयोदशी को एक मेले का आयोजन किया जाता है. वैशाली के इस मेले में पूरे देश के जैन धर्मावलंबी जमा होते हैं और भाग लेते हैं.
जानकी नवमी मेला
जानकी नवमी का मेला चित्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की सीतामढ़ी में आयोजित किया जाता है. सीतामढ़ी सीता जी की जन्म स्थली है.
पितृपक्ष मेला
पितृपक्ष मेला का आयोजन गया में किया जाता है. प्रत्येक वर्ष सितंबर अक्टूबर में इस मेले का आयोजन किया जाता है. इस मेले में देश-विदेश से हिंदू लोग आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति हेतु पिंड दान करते हैं. फल्गु नदी का तट और विष्णुपद मंदिर यहां पर क्रमशः पिंडदान में पूजा का मुख्य स्थल है.
मुजफ्फरपुर का मेला
मुजफ्फरपुर में सूह्दय नामक साहित्यिक संस्था प्रतिवर्ष एक वार्षिकोत्सव धूमधाम से मेला के रूप में मनाती है. इस मेले में प्राय पूरे देश से साहित्य प्रेमी भाग लेने आते.
मंदार मेला
बांका जिले में मंदार पहाड़ी पर प्रत्येक वर्ष मकर सक्रांति के अवसर पर एक मेला लगता है. यह मेला 15 दिनों तक चलता है. यहां मंदार पर्वत के दक्षिण में एक पापहरणी सरोवर है जिसमें मकर सक्रांति के अवसर पर श्रद्धालु स्नान करने यहां पहुंचते हैं.
सिंहेश्वर स्थान का मेला
मधेपुरा जिला के सिंहेश्वर स्थान में एक प्राचीन शिव मंदिर है. प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर यहां एक बड़ा मेला लगता है.