आज इस आर्टिकल में हम आपको बिलग्राम का युद्ध – बिहार का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.
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बिलग्राम का युद्ध – बिहार का इतिहास
चौसा में पराजित होने के 1 वर्ष बाद ही हुमांयू की सेना 1540 ई. में कन्नौज या बिलग्राम के निकट शेरशाह से युद्ध के लिए आमने-सामने खड़ी थी. बिलग्राम के युद्ध (17 मई, 1540 ईसवी) में विजय के पश्चात शेरशाह ने कन्नौज में डेरा डाला और सुजात खां को विजय हेतु ग्वालियर भेजा.
10 जून 1540 को आगरा में शेरशाह का विधिवत राज्याभिषेक हुआ. शेरशाह ने सूरवंश की स्थापना की तथा देश में डाक प्रथा का प्रारंभ किया.
शेरशाह ने अपने शासनकाल में पटना का दुर्ग बनाया और इस नगर को पुणे बिहार की राजधानी बनाया ( 1541 ई.) इस दुर्ग के निर्माण और पटना को राजधानी बनाने की चर्चा अब्दुल्लाह की रचना तारीखें दाऊदी में मिलती है. अबुल फजल के अनुसार, अकबर के समय में बिहार की सीमाएं रोहतास से तोलियागड्डी और तिरहुत से पर्वतीय क्षेत्रों तक विस्तृत थी. इसके अधीन 7 सरकारें और 199 परगने थे, जिनसे 55 लाख वार्षिक लगान प्राप्त होता था.
एक बार शेरशाह मायू का पीछा करते हुए मुल्तान तक चला गया था, जहां बलूची सरदारों ने उस से भेंट की और उसकी अधीनता भी स्वीकार कर ली.