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भूगोल ब्रह्मांड और सौरमंडल

आज इस आर्टिकल में हम आपको भूगोल ब्रह्मांड और सौरमंडल के बारे में जानकारी देने जा रहे है-

भूगोल ब्रह्मांड और सौरमंडल

पृथ्वी की ऊपरी स्वरूप और उसके प्राकृतिक विभागों (जैसे- पहाड़, मैदान, महासागर, पठार आदि) एवं मानव के अंत संबंध का अध्ययन भूगोल है. भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यूनानी विद्वान इरैटोस्थनीज (276-194 ईसा पूर्व) ने किया था, लेकिन पृथ्वी का प्रथम व्यवस्थित वर्णन हिकेटियस ने अपनी पुस्तक पीरियड्स अर्थात पृथ्वी का वर्णन किया था. इसी कारण हिकेटियस को भूगोल का पिता कहा जाता है.

  • कोपरनिकस ने यह सर्वप्रथम प्रतिपादित किया कि सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है.
  • अरस्तू ने सर्वप्रथम पृथ्वी को गोलाभ माना था.
  • दूरबीन का आविष्कार गैलीलियो ने किया था.
  • यूनिट की खोज विलियम हर्शेल ( 1781 ई.) ने की थी. ब्
  • रह्मांड उत्पत्ति का बिग बैग सिद्धांत जार्ज  लेमेटेयर ने दिया था, असंख्य तारों के समूह को आकाश गंगा कहते हैं. हमारा सौरमंडल जिस आकाशगंगा में स्थित है, उसे मंदाकिनी कहते हैं. यह सर्पिलाकार है. हाइड्रा सबसे बड़ा तारामंडल है.
  • वर्तमान में आठ ग्रह पाए जाते हैं. शुक्र एवं अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों के गुण एवं परिक्रमा की दिशा ( पश्चिम से पूर्व) एक ही है.
  • बुध एवं शुक्र को आंतरिक ग्रह माना जाता है. सूर्य के केंद्र से बाहर की ओर स्तर क्रमशः केंद्र, फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फियर, एवं कोरोना होते हैं.
  • सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में 8 मिनट 18 सेकंड का समय लगता है. सूर्य से पृथ्वी की ओर निकटतम दूरी 3 जनवरी को 14.73 करोड किलोमीटर होती है,  जिसे अपसौर कहते हैं. पृथ्वी अपने अक्ष पर 23*1\2 अक्षांश पर झुकी है.

स्थलमंडल

पृथ्वी की आकृति गोलाभ है. पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण दिन एवं रात की घटना होती है. पृथ्वी के सूर्य के चारों और परिक्रमण के कारण ऋतु परिवर्तन होता है. पृथ्वी के नीचे जाने पर प्रति 32 मीटर की गहराई पर 1०C  तापमान बढ़ता जाता है. कोरिओलिस प्रभाव तथा फोकलट पेंडुलम द्वारा पृथ्वी के घूर्णन को समझा जा सकता है तथा सटेलर परालेक्सेस द्वारा पृथ्वी के परिक्रमण को समझा जा सकता है.

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पृथ्वी की आंतरिक संरचना को क्रमश क्रस्ट (भूपर्पटी) मेंटल एवं कोर नामक तीन परतों में विभाजित किया जाता है. जहां पर यह प्रत्येक दूसरे से अलग होती है उन्हें असम्बद्ध क्षेत्र कहते हैं. कस्टमर मेंटल के मध्य मोहोविसिक मेंटल  365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 45.1 या 1 सेकंड में पृथ्वी अपने कक्ष में दीर्घव्रतिय मार्ग पर सूर्य का एक चक्कर पूरा करती है, जिसके कारण ऋतु परिवर्तन होती है. अपने कक्ष में 66*1\2 अक्षांश पर झुकी होने एवं परिक्रमण के कारण पृथ्वी के ध्रुवों पर छः महीने की रात एवं दिन होते हैं.

सौरमंडल

ग्रह परिक्रमण काल सूर्य के चारों ओर उपग्रहों की अन्य तथ्य संख्या
बुद्ध 28 दिन 0  सूर्य के सबसे निकट स्थित है, सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह
शुक्र 224.7 दिन 0 भोर एवं सायं का तारा पृथ्वी की बहन सबसे चमकीला ग्रह, पृथ्वी के सबसे निकट स्थित ग्रह,
पृथ्वी 365.26 दिन 1 नीला ग्रह
मंगल 687 दिन 2 लाल ग्रह
बृहस्पति  11.9 वर्ष 67  सौरमंडल का सबसे बड़ा एवं भारी गृह, सर्वाधिक उपग्रह वाला ग्रह
सनी 29.5 वर्ष 62  सबसे कम घनत्व वाला ग्रह, पीला ग्रह
वरुण 164.8 वर्ष से सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर स्थित ग्रह, सबसे ठंडा ग्रह, हरा ग्रह
अरुण 84.0 वर्ष से 27 लेटा हुआ ग्रह, सूर्य पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर

पृथ्वी

कोर के मध्य गुटेनबर्ग और ऊपरी तल क्रोड़ व निचले ठोस क्रोड़ के बीच लेहमेन असम्बद्धता पाई जाती है. क्रस्ट में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाला तत्व ऑक्सीजन है. प्रॉपर्टी की रचना सियाल पदार्थों से हुई है. CL शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम डेल्ली ने किया. संपूर्ण पृथ्वी में लोहा सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है.

भू-पर्पटी में विभिन्न तत्वों की मात्रा

तत्व भू-पर्पटी में मात्रा (% में) तत्व
भूपर्पटी में मात्रा (% में)
ऑक्सीजन 46.8 कैल्शियम 3.6
सिलिकॉन 27.7  सोडियम 2.8
एलुमिनियम 8.1 पोटासियम 2.6
लोहा
5.0 मैग्नीशियम 2.0

वायुदाब पेटियां

हवाओं की दिशा, पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न कोरिओलिस बल से निर्धारित होती है. वायुदाब से निम्न वायुदाब की ओर बहती है, लेकिन कोरिओलिस बल के प्रभाव के कारण हवाएं उत्तरी गोलार्ध में अपने दक्षिण गोलार्ध में अपने बाएं ओर मुड़ जाती है. पृथ्वी पर वायुदाब पेटियां पाई जाती है.

भूमध्य रेखीय या विषुवतीय निम्न दाब पेटी

यह पार्टी भूमध्य रेखा से 5N  एवं 5S के मध्य स्थित होती है. यहां पर डोलड्रम की स्थिति पाई जाती है, क्योंकि क्षेत्रों के अभाव में यह वातावरण शांत रहता है. अधिकता के कारण यहां निम्न दाब पाया जाता है.

द्रव्य की अवस्थाएं तथा जल

उपोष्ण उच्च दाब पेटी

दक्षिणी गोलार्ध में 30 से 35 अक्षांशों के मध्य पाई जाती है. पृथ्वी के घूर्णन गति के कारण या तापमान रहने के बावजूद भी उच्च वायुदाब पाया जाता है. इस पेटी को अश्व अक्षांश भी कहते हैं. विश्व के सभी उष्ण मरुस्थल इस पेटी के पश्चिम में पाए जाते हैं.

उपधुर्विय निम्न वायुदाब पेटी

इसका विस्तार दोनों गोलार्द्ध में 60- 65 अक्षांश के मध्य है. पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण यहां तापमान कम होने के बावजूद भी निम्न दाब रहता है.

पवन

व्यापारिक पवनें

दोनों गोलार्थ में उपोषण उनके पीछे विषुवतरेखीय निबंध आपकी और स्थाई रूप से चलती है. इनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में उत्तर पूर्वी एवं दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणी पूर्वी होती है.

पछुआ पवनें

उपोषण उच्च वायुदाब से उपधुर्वीय निम्न वायुदाब कटिबंध की ओर वर्षभर बहती है. पशुओं को 40 दक्षिणी अक्षांश के पास 50 दक्षिणी अक्षांश के पास प्रचंड पचासा एवं दक्षिणी अक्षांश के पास चीखता साठा कहते हैं. साउथ में दक्षिणी गोलार्ध होती है.

ध्रुवीय पवनें

ये ध्रुवीय पवनें उच्च दाब से ऊप धुर्वीय निम्न दाब की ओर चलती है, उत्तरी गोलार्ध में इन की दिशा उत्तर पूर्वी एवं दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण पूर्वी होती है.

प्रमुख स्थानीय पवनें एवं संबंधित स्थान

हवा\पवने संबंधित स्थान
चिनूक ( गर्म हवा) संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा
हरमट्टन ( गर्म हवा) सहारा मरुस्थल, इसे डॉक्टर हवा भी कहते हैं.
नार्वेस्टर ( गर्म एवं शुष्क हवा) न्यूजीलैंड
लू ( गर्म हवा) उत्तर भारत
विल्ली-विल्ली ( शीतल हवा) ऑस्ट्रेलिया
मिस्ट्रल ( शीतल हवा) स्पेन  एवं फ्रांस
सामन ( गर्म हवा) ईरान
फोन (गर्म हवा) स्विट्ज़रलैंड

जलमंडल

पृथ्वी पर 70.2% भाग में जल मंडल तथा 29.8 प्रतिशत भाग में स्थलमंडल है. सागरीय जल का उच्चतम वार्षिक तापमान अगस्त में तथा न्यूनतम फरवरी माह में अंकित किया जाता है. इसका अर्थ वार्षिक तापांतर 10०F होता है.

महासागरों का अदवार्षिक तापक्रम 63०F (17.2०C) होता है. दक्षिणी गोलार्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्ध में समुद्री जल का तापमान अधिक पाया जाता है. समुंदर में 24 घंटे में दो बार ज्वार भाटा आता है. ज्वार भाटा की उत्पत्ति सूर्य एवं चंद्रमा की ज्वारीय शक्तियों के कारण होती है.

पृथ्वी पर जल वितरण

महासागर 97.25%
हिमालय 2.0 5%
भूमिगत जल 0.68%
नदियां एवं झीलें 0.02 %

वायुमंडल

वायुमंडल में गैसों का मिश्रण है. गैसों के अतिरिक्त इसमें जलवाष्प तथा धूलकण भी उपस्थित होते हैं.

वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल की सबसे निचली परत है, जिसकी ऊंचाई विषुवत रेखा पर 18 कि.मी. तथा 28 किमी है. मौसम संबंधी सभी घटनाएं ऊंची मंडल में होती है, जैसे-  बादल, आंधी, वर्षा आदि.

समताप मंडल

यह 50 किलोमीटर तक विस्तृत है, इस के निचले भाग की ऊंचाई 20 किलोमीटर है. यहां मौसम संबंधी कोई घटना नहीं होती है, इसलिए वायुयान किस मंडल में उड़ते हैं. इसी मंडल के ऊपरी परत में ओजोन गैस पाई जाती है, जिसे ओजोन मंडल कहते हैं. यह पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है. समताप मंडल की खोज  जरेन्स डी बोर्ट ने की थी.

मध्य मंडल

इसका विस्तार 80 किलोमीटर तक है. आयन मंडल मध्य मंडल सीमा के ऊपर 80-690 किलोमीटर की ऊंचाई तक आयनमंडल स्थित है. पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगे इसी मंडल से परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस आती है.

ब्राह्मणमंडल

वायुमंडल की जगह सबसे ऊपरी परत है, इसका विस्तार 10000 किमी तक है. 1000 कि.मी. के बाद यह बहुत विरल हो जाती है.

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