बिहार में बैंकिंग व्यवस्था

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बिहार में बैंकिंग व्यवस्था

व्यवसायिक बैंक

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार मार्ग 2015 के अंत तक बिहार में स्थित व्यवसायिक बैंकों की कुल 6297 शाखाओं में से 58% ग्रामीण क्षेत्र में स्थित थी. बिहार में वर्ष 2009-10 के दौरान बैंक शाखाओं की कुल संख्या में 5.43% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. साल 2013-14 में 638 नई शाखाएं खोलने के बाद अगले साल मात्र 389 नई शाखाएं खुली- 178 ग्रामीण क्षेत्रों में, 968 शहरी क्षेत्रों में और 115 शहरी क्षेत्रों में.

वर्ष 2014-15 में बैंक शाखाओं में विस्तार की दर 6.6% हो गई, जबकि 2012-13 में ही है 12.1% थी जो पिछले छह वर्षों में सर्वाधिक थी. साल 2015 तक निजी अराष्ट्रीयकृत बैंकों की 221 शाखाएं शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों मे थी और मात्र 18 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में थी. जून 2015 में देश की कुल बैंक शाखाओं में बिहार का हिस्सा मात्र 4.8% था जबकि देश की जनसंख्या में इसका हिस्सा 8.6% है.

केंद्र सरकार और बैंकों के सहयोग से राज्य सरकार की एक प्रमुख पहलकदमी 5000 या इससे अधिक आबादी वाले सभी गांव में भौतिक स्थिति वाली शाखा हो या अति लघु शाखाओं का प्रावधान है.

सहकारी बैंक

राज्य और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के आंकड़े से संपर्क होता है कि पूरे देश में राज्य और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की संख्या में कुछ वृद्धि हुई है. बिहार में 2014 में राज्य और जिला सहकारी बैंकों की संख्या में कमी आई है. राज्य सहकारी बैंकों की संख्या 12 से 11 और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की संख्या 311 से 200 तक रह गई है. 2014 में सहकारी बैंकों की शाखाएं 2013 में 323 की तुलना में 288 रह गई है.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक संसाधनों को कृषि और ग्रामीण ऋण की ओर दिसाबद्ध करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के प्रख्यापन के जरिए अस्तित्व में आए. केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार और प्रयोजन बैंक द्वारा 50, 15 और 35 के अनुपात में दलित इक्विटी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भारत में कृषि एवं ग्रामीण के लिए एक बहू-अभीकरण पहुंच उपलब्ध कराते हैं.

बिहार में तीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक है- पंजाब नेशनल बैंक द्वारा प्रायोजित मध्य बिहार ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित उत्तर बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और यूनाइटेड कमर्शियल बैंक द्वारा प्रायोजित बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

मार्च 2014 के अंत में बिहार में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की 1889 शाखाएं थी. सितंबर 2015 तक उनकी संख्या बढ़कर 2058 हो गई. सितंबर 2015 में बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का ऋण जमा अनुपात सर्वाधिक 81.3% रहा है. वहीं मध्य बिहार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का अनुपात सबसे कम 38.3% रहा है.

सितंबर 2015 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का समकालीन जमा अनुपात 52.9% था जो गत वर्ष के अनुपात (53.6%) के लगभग समान ही है. कृषि ऋण प्रवाह में 2010-11 से लगातार विस्तार हुआ है. वर्ष 2014-15 में सहकारी बैंकों को छोड़ दे तो अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों दोनों की उपलब्धियाँ 95% से अधिक रही है.

मार्च 2011 से देश के सभी अनुसूचित बैंकों के कुल ग्रामीण क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कुल जमा का 33% था जो 2009-10 में 34% था. वहीं बिहार के लिए यह अनुपात 45.7% था. वर्ष 2010-11 में बिहार के कुल बैंक जमा में अनुसूचित व्यवसाई के बैंकों का कुल ग्रामीण जमा का हिस्सा मात्र 21% था. वर्ष 2010-11 में देश के अनुसूचित व्यवसाय के बैंकों के कुल ग्रामीण जमा में बिहार का हिस्सा लगभग 6.1% था और बिहार में इन बैंकों द्वारा ग्रामीण जमा की कुल राशि 30,079 करोड रुपए थी.

मार्च 2011 में बिहार में अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों में ग्रामीण जमा का परिमाण महाराष्ट्र और तमिलनाडु समेत अनेक राज्यों से अधिक लेकिन उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से काफी कम था. मार्च 2011 में बिहार में अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों में ग्रामीण जमा का परिमाण महाराष्ट्र और तमिलनाडु समेत अनेक राज्यों से अधिक लेकिन उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से काफी कम था. मार्च 2011 में बिहार में अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों के कुल ग्रामीण जमा का बड़ा हिस्सा बचत बैंक की जमा राशि का था.

अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों का प्रति व्यक्ति जमा और ऋण

बिहार में 2013-14 में कुल जमा राशि में गत वर्ष की तुलना में 25,225 करोड रुपए (15.3%) की वृद्धि हुई है. साथ ही 2013-14 मेरिट में भी 12,723 करोड रुपए का विस्तार हुआ है जो 25.6% की काफी ऊंची वृद्धि को दर्शाता है. वर्ष 2013- 2014 में देश के अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों के कुल जमा में बिहार के कुल जमा का हिस्सा पिछले वर्ष के 2.33% से थोड़ा बढ़कर 2.5% हो गया है, वहीं इसी दौरान ऋण में कुल 0.90% से थोड़ा बढ़कर 0.99% हो गया है.

बिहार में अनुसूचित व्यवसायिक बैंकों का ऋण जमा अनुपात (32.8%) विगत वर्षों की ही तरह 2013-14 में भी देश के सभी प्रमुख राज्यों के बीच सबसे कम था. ज्ञातव्य है कि बिहार में 2011-12 में अनुसूचित बैंकों के प्रति व्यक्ति जमा में 1 वर्ष पूर्व को 1,668 रुपए के मुकाबले में 2,078 की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, लेकिन प्रति व्यक्ति ऋण के मामले में वृद्धि लगभग एक तिहाई ही हुई थी.

सभी बैंकों का ऋण जमा अनुपात

भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्षता वाली राज्यस्तरीय बैंकर समिति (SLBC )द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार के ऋण जमा अनुपात के  2001-02 से अब तक के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2012 में बिहार का ऋण जमा अनुपात 36.70% था जो 2 मार्च 2011 के ऋण जमा अनुपात 33.99% से अधिक था. सितंबर 2012 तक यह और बढ़कर 38.96% तक पहुंच गया.

राज्य स्तरीय बैंकर समिति द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार में सितंबर 2015 में सभी बैंकों का कुल जमा 2,20,667 करोड रुपए था और कुल ऋण 1,04,004 करोड रुपए था. इससे ऋण जमा अनुपात 47.1% है वह जो 2005-06 के 32.1% से काफी अधिक है.

बिहार में योजना

बिहार में योजना प्रक्रिया 1950-51 में प्रारंभ हो गई थी. राज्य योजना के निर्माण एवं मूल्यांकन हेतु बिहार योजना परिषद का गठन किया गया है जिसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है. इसके एवं राष्ट्रीय योजना आयोग से मिलता-जुलता है.

यह प्रदेश के प्रत्येक विभाग की मांग एवं साधन का स्वरूप तैयार करता है और उसी आधार पर राज्य योजना का दस्तावेज तैयार कर योजना आयोग को देता है. यह संगठन क्रियान्वयन से संबंधित नहीं है पर योजना की समाप्ति पर इसका मूल्यकान भी करता है. 11वीं पंचवर्षीय योजना में बिहार ने 11.95% विकास दर प्राप्त की है, जो देश के सभी राज्यों में सर्वाधिक है.

बिहार के लिए वार्षिक योजना

नीति आयोग ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए बिहार की 57,425 करोड रुपए की वार्षिक योजना को स्वीकृति प्रदान की है. इससे राज्य की योजना आकार में 2014-15 की तुलना में ₹13,486 करोड रुपए की वृद्धि हुई है.

राज्य का वार्षिक योजनाव्यय

वर्ष रुपए करोड़ों में
1991-1992 2,251
1992-1993 2,202.73
1993-1994 2,400
1995-1996 2,522
1996-1997 2,143
1997-1998 2,268.42
1998-1999 3,568
1999-2000 3,630
2000-2001 1,736
2001-2002 2,644
2002-2003 2,964
2003-2004 3,320
2004-2005 4,174
2005-2006 5,400
2006-2007 8,373
2007-2008 10,200
2008-2009 13,000
2009-2010 16,000
2010-2011 20,000
2011- 2012 24,000
2012- 2013 28,000
2013- 2014 34,000
2014- 2015 43,939
2015- 2016 57,425

बिहार बजट (2016-17) की कुछ प्रमुख विशेषताएं.

यह बजट साथ विभिन्न नीश्चयों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ये 7 निश्चय है –

  1. आर्थिक हाल:  युवाओं को बल
  2. आरक्षित रोजगार: महिला का अधिकार
  3. हर घर बिजली
  4. हर घर नल का जल
  5. घर तक पक्की गली नालियां
  6. शौचालय निर्माण
  7. घर का सामान तथा अवसर बढ़े : आगे पढ़े

बजट में किसी नए कर का प्रावधान नहीं किया गया, ना ही किसी कर की दर में कोई वृद्धि की गई है. 20 से 25 वर्ष के बेरोजगार युवाओं को रोजगार तलाशने के दौरान 1000 प्रतिमाह दर से स्वयं सहायता भत्ता की सुविधा 2 वर्ष तक. स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत हर इच्छुक विद्यार्थी के लिए ₹4 लाख तक के शिक्षा ऋण की सुविधा बैंकों से उपलब्ध कराने का प्रावधान.

युवाओं को उद्यमिता विकास एवं स्टार्ट अप कैपिटल उपलब्ध कराने हेतु ₹500 करोड़ का वेंचर कैपिटल फंड गठित करने का प्रावधान. सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण. हर घर बिजली के लिए राज्य के सभी अविधूतिकृति गांव एवं बांसवटो में अगले 2 वर्षों में विद्युतीकरण करने का संकल्प है.

सरकारी संसाधनों की मदद से सभी घरों तक विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने, प्रदेश में सभी घरों में पाइपलाइन के जरिए पेयजल उपलब्ध कराने हुए अगले 5 वर्षों में चापाकल व पेयजल के अन्य साधनों पर लोगों की निर्भरता पूरी तरह समाप्त करने के साथ-साथ शौचालय की व्यवस्था हर घर में करने का प्रावधान. प्रत्येक जिले एवं अनुमंडल में व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा की समेकित व्यवस्था करने की घोषणा.

वित्तीय वर्ष 2016-17

वर्ष 2016- 17 के दौरान राज्य सरकार की राजस्व प्राप्तियां 1,24,590.24 करोड रुपए अनुमानित है. 2016-17 में पूंजीगत प्राप्ति ओं का बजट अनुमान 21,272.30 करोड रुपए है. 2016-17 में कुल व्यय 1,44,096.27 करोड रुपए जिसमें योजनागत व्यय है. 72,419.32 करोड रुपए तथा गैर योजना गत व्यय 72,276.9 करोड रुपए अनुमानित है.

राजस्व प्राप्ति एवं व्यय के इन अनुमानों के चलते 2016-17 में राज्य सरकार का राजस्व आधिक्य 14,649.46 करोड रुपए है. राजकोषीय घाटा 2016-17 में 16,014.26 करोड रुपए अनुमानित है.

वर्षवार बढ़ता बजट आकार

वित्तीय वर्ष गैर योजना योजना बजट आकार
2005-06 17669.79 4898.69 22,568.48
2006-07 17739.32 9397.15 27,136. 47
2007-08 20625.49 10945.70 31,571.19
2008-09 23366.73 13814.51 37,181.24
2009-10 26601.85 16194.19 42,796.04
2010-11 29793.97 20910.54 50,704.51
2011-12 37173.55 23007.89 60,181.44
2012-13 45322.98 33363.85 78,686.83
2013-14 53081.63 39006.30 92,087.93
2014-15 50758.95 43939.09 94,698.04

विभिन्न मदों के लिए बजटीय आवंटन

राज्य के अन्य को मुख्यतः तीन श्रेणियों- सामान्य सेवाएं, सामाजिक सेवाएं एवं लेखाकित किया जाता है. आर्थिक सेवाओं के अंतर्गत कृषि एवं संबद्ध क्रियाकलाप, ग्रामीण विकास, सिंचाई विभाग नियंत्रण, उर्जा, उद्योग व खनिज, पथ, परिवहन आदि प्रक्षेत्र है. इन सेवाओं के लिए वर्ष 2016-17 में 34.44% तथा ऋण एवं अग्रिम देने के लिए क्रमशः 2.82% एवं 0.56% राशि का प्रावधान किया गया है.

सामाजिक सेवाओं के अंतर्गत शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, पेयजल आपूर्ति एवं सफाई, आवास और शहरी विकास, सूचना एवं प्रसारण, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण, श्रमिक कल्याण, समाज कल्याण आदि प्रक्षेत्र है. इन सेवाओं के लिए वर्ष 2016-17 में 35.30% का प्रावधान किया गया है.

सामान्य सेवाओं के अंतर्गत राज्य विधान मंडल, राज्यपाल, मंत्री परिषद, न्याय प्रशासन, चुनाव, संग्रहण करने वाले विभाग, पेंशन लोक सेवा आयोग, सचिवालय जिला प्रशासन,  पुलिस, जेल, लोक निर्माण कार्य इत्यादि पर होने वाले व्यय को रखा जाता है. इन सेवाओं के लिए वर्ष 2016-17 में 27.48% का प्रावधान किया गया है. वर्ष 2016 में 21,897.02 करोड़ रुपए शिक्षा पर खर्च होंगे.

पथ निर्माण और ग्रामीण कार्य के लिए क्रमशः 6,599.06 करोड रुपए और 7,150.50 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. समाज कल्याण, अनुसूचित जाति, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के लिए 8,621.28 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं पर 8,237,70 करोड रुपए और ग्रामीण विकास पर 5,510.06 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे.

कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां

  • निबंधन एवं मुद्रांक ड्यूटी सीधे चिन्हित बैंकों में जमा कराने की सुविधा उपलब्ध कराने वाला बिहार संपूर्ण भारत में पहला राज्य है.
  • समय सीमा के भीतर वांछित प्रमाण पत्र व अन्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए राइट टू सर्विस एक्ट पारित

बिहार में केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम

मनरेगा:  महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के रूप 7 सितंबर 2005 को देश के 200 जिलो में लागू हुआ है. वर्ष 2008-09 में देश के सभी 604 जिलों में लागू कर दिया गया है. आरम्भ में 60 रुपए प्रतिदिन की दर और कम से कम सौ दिन का रोजगार प्रदान करने का प्रावधान किया गया था.

वर्ष 2009-10 में इस कार्यक्रम का नाम मनरेगा या महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कार्यक्रम कर दिया गया, जारी जॉब कार्डों की संख्या 2014-15 में 131.22 लाख थी. हालांकि रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या साल दर साल घटती जा रही है. 2014-15 में इनकी संख्या मात्र 10.36 लाख थी. सृजित रोजगार में महिलाओं की भागीदारी 37.3%  थे तथा प्राप्त धनराशि का 74.4% उपयोग हुआ.

ग्रामीण विकास की योजनाओं सहित मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु बिहार में नालंदा जिला के जिला अधिकारी (DM) संजय कुमार अग्रवाल को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में 2 फरवरी 2012 को मनरेगा राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया.

लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के तहत प्रांजल नामक एक राज्य स्तरीय प्रशिक्षण सह शोध केंद्र की स्थापना की गई, 2015-16 तक मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 5 चापाकल प्रति ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्रों के नगर निगम में प्रति वार्ड 3 चापाकल, नगर परिषद में 2 चापाकल, प्रति वार्ड नगर पंचायत में एक चापाकल प्रति वर्ग तथा 100 चापाकल प्रति माननीय विधान परिषद सदस्य लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना: यह प्रयोजना गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले ग्रामीण लोगों के लिए है. इससे केंद्र व राज्य सरकार का हिस्सा 3 :1 के अनुपात में है.

जवाहर ग्राम समृद्धि योजना :  यह कार्यक्रम अप्रैल, 1999 में आरंभ किया गया था. इसमें भी केंद्र व राज्य का हिस्सा 3 : 1  के अनुपात में है.

इंदिरा आवास योजना :  यह कार्यक्रम अप्रैल 1999 में आरंभ किया गया था ग्रामीण गरीबों को आवास के लिए ₹35,000 प्रदान किए जाते हैं. इसमें भी केंद्र व राज्य का हिस्सा 3 : 1  का है.

गामीण भवन निर्माण के लिए क्रेडिट-सह-सब्सिडी कार्यक्रम : जिस व्यक्ति की आय ₹32,000 से कम है उसे इसके तहत मकान बनाने के लिए ₹10,000 की सब्सिडी दी जाती है. इसमें भी केंद्र व राज्य का हिस्सा  3 : 1 का है.

जिला ग्रामीण विकास एजेंसी प्रशासन :  यह कार्यक्रम ग्रामीण विकास मंत्रालय के समन्वय से चलाया जाता है. इसमें भी केंद्र व राज्य का हिस्सा 3:1 का है.

सूखा प्रभावित कार्यक्रम ;  इसमें भी केंद्र व राज्य का हिस्सा 3 :1  का है.

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