इस आर्टिकल में हम आपको ब्रिटिश सत्ता को चुनौती देने वाले विद्रोह के बारे में बताने जा रहे है.
1757 ईसवी से लेकर 1857 ईसवी तक यानी प्लासी की लड़ाई से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम तक बिहार के स्थानीय लोगों द्वारा अंग्रेजों की सता को संगठित संगठित रूप में चुनौती दी जा रही. इन चुनौतियों में वहाबी आंदोलन और विभिन्न जनजातीय विद्रोह प्रमुख है.
बिहार, बंगाल और उड़ीसा एक सम्मिलित क्षेत्र/राज्य था जहां अंग्रेजों ने आरंभिक सफलता के साथ सत्ता स्थापित कर विस्तार का काम शुरू किया. यही क्षेत्र अंग्रेजी राज के अत्याचार से पहले प्रभावित हुआ और इलाके के लोगों ने सर्वप्रथम विद्रोह किया. इसमें बिहार का स्थान अग्रणी है.
अंग्रेज विरोधी संघर्ष का यह आरंभिक चरण था जिसे प्रोटो नेशनलिज्म या पूर्व-राष्ट्रीय का चरण माना जाता. स्वतंत्रता संघर्ष का दूसरा चरण राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उभरा 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध से ही देश में राष्ट्रीय चेतना जागृत होने लगी. दूसरे चरण के अंतर्गत भी बिहार की भूमिका महत्वपूर्ण रही.
देश में पहली बार सत्याग्रह का सफल प्रयोग महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुआ. फिर खिलाफत, असहयोग, होम रूल, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन के विभिन्न चरणों में बिहार की जनता ने सक्रिय भूमिका निभाई. इस चरण में बिहार की एक अलग पहचान बनी.
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…