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कोशिका विज्ञान और इसके प्रकार

आज इस आर्टिकल में हम आपको कोशिका क्या होती है और इसके कितने प्रकार है इसके बारे में बतायंगे जिससे आपको स्टडी करने में ज्यादा आसानी होगी अगर आपको कोई चीज समझ नही आती  है तो आप कमेंट बॉक्स में लिखकर भी पूछ सकते है. इसमें से कुछ सवाल बनाकर हम फेसबुक पेज पर भी अपलोड करेंगे.

कोशिका विज्ञान और इसके प्रकार

कोशिका

ससार में सभी जीवों से अमीबा से लेकर बड़ी हाथी तक छोटी छोटी कोशिकाओं से मिलकर बने है. कोशिका जीवधारियों की रचनात्मक और कार्यात्मक इकाई है. यह अर्द्धपारगम्य झिल्ली से ढकी रहती है और इसमें स्वत: जनन की क्षमता है.कोशिका की खोज 1665 ई. में रॉबर्ट हुक ने बोतल की कार्क में की थी. 1838-39 में वनस्पतिशास्त्री श्लोईडेन और प्राणीशास्त्री श्वान ने कोशिका सिद्धांत का प्रतिपादन किया है.

कोशिका के प्रकार

केन्द्रक की रचना के आधार पर कोशिकाए दो प्रकार होती है.

  1. असीम केन्द्रक:- इसमें केन्द्रक के चारो ओर केन्द्रक कला का अभाव होता है. इन कोशिकाओं में कई महत्वपूर्ण कोशिकांग जैसे- क्लोरोप्लांट, लाइसोसोम, गाल्जिकाय, और माइटोकांड्रिया का अभाव होता है.
  2. ससीम केन्द्रक:- इसमें केन्द्रक के चारो ओर पूर्ण विकसित केन्द्रक झिल्ली पायी जाती है. इसमें सभी कोशिकांग पाए जाते है. इनकी कोशिका भित्ति पूर्ण विकसित और सैल्यूलोज की बनी होती है.

कोशिका सरंचना

कोशिकाए विभिन्न आकार की होती है, जैसे – बेलनाकार, गोलाकार, अंडाकार, लम्बवत, आयताकार, बहुभुजी, इत्यादि. इनकी लम्बाई, चोड़ाई और मोटाई 10μ-  200μ तक होती है. सबसे छोटी कोशिका माइकोप्लाज्मा की होती है, जबकि सबसे बड़ी कोशिका शुतुरमुर्ग पक्षी के अंडे की होती है. जिसकी लम्बाई175mm होती है. सबसे लम्बी कोशिका तंत्रिका न्यूरान की होती है.

कोशिका के मुख्य भाग

  1. जीवद्रव्य कला:- इसको अंग्रेजी भाषा में cell membrane कहा जाता है. यह हर कोशिका की बाहरी आवरण होती है जो इसकी अंतवर्स्तु को चारो ओर की माध्यम से अलग करती है. यह वसा और प्रोटीन से बनी होती है. जीवद्रव्य कला एक अर्द्धपारगम्य झिल्ली होती है.  इसका मुख्य कार्य कोशिका और उसके बाहर के माध्यम से बीच में आण्विक गतिविधि को नियंत्रित करना होता है.
  2. कोशिका भित्ति:- इसको अंग्रेजी भाषा में cell wall भी कहा जाता है. यह केवल पादप कोशिकाओ में पायी जाती है. शैवालों और विकसित हरे पौधो की भित्ति सैल्यूलोज की बनी होती है, जबकि जीवाणु और कवक की कोशिका भित्ति का मुख्य कार्य कोशिका द्रव और जीवद्रव को बाहरी आघात से रक्षा करता है.
  3. माइटोकांड्रिया:- इसका नामकरण अल्टमैन ने 1886 में की थी. यह अंडाकार होती है. इसे कोशिका का शक्ति केंद्र या पॉवर हाउस भी कहते है. इसमें बहुत से श्व्सनीय एंजाइम रहते है जिनकी सहायता से इलेक्ट्रान ट्रान्सफर के द्वारा ATP बनाते है, जिनमें उर्जा रासायनिक स्थितिज उर्जा के रूप में संचित रहती है. यह दोहरी झिल्ली से घिरा होता है. बाहर की झिल्ली चिकनी होती है और भीतरी अंगुलीनुमा क्रिस्टी बनाती है. यह प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होती है.
  4. लवक:- इसको अंग्रेजी भाषा में Plastid कहा जाता है. ये केवल पादप कोशिकाओ में पाए जाते है. सरंचना में लवक लगभग माइटोकांड्रिया से मिलते जुलते है. इसमें भी दो झिल्लियाँ होती है, पर क्रिस्टी नही होती.
  5. गोल्जीकाय:- इसको अंग्रेजी भाषा में golgi body कहा जाता है. इसकी खोज कैमिलो गोल्जी नामक वैज्ञानिक ने की थी. इसे Diktiosom भी कहा जाता है. इसका मुख्य कार्य कोशिका भित्ति और कोशिका प्लेट का निर्माण करना है. इसमें वसा और प्रोटीन अधिक होता है, लेकिन राइबोसोम कण नही होते. गोल्जीकाय को कोशिका के अणुओं का यातायात प्रबंधक भी कहा जाता है.
  6. लाइसोसोम:- यह गोल आकार की एक परत वाली झिल्ली से घिरी सरंचना होती है.  इसका मुख्य कार्य अंत:कोशिकी पाचन है. यह कोशा विभाजन में भी सहायता करती है. इसका एक अन्य कार्य जीर्ण कोशिकाओं को नष्ट करना है. इसको आत्महत्या की थैली या suicide bag भी कहा जाता है.  यह carcinogenesis(कैंसरजनन) में योगदान करता है, जिससे की सामान्य कोशिका कैसर कोशिका का रूप धारण कर लेती है.
  7. अंत: द्रव्यी जालिका:- इसको अंग्रेजी भाषा में Endoplasmic Reticulum भी कहते है. यह कोशिका भित्ति और केन्द्रक में भरे कोशिका द्रव्य में जालनुमा ढंग से फैला होता है. यह जाल परस्पर समांतर ढंग से लगी चपटी नलिकाओं से बना होता है. इन नलिकाओं द्वारा प्रोटीन, खनिज लवण, एंजाइम, शर्करा और जल का परिवहन होता है.
  8. केन्द्रक:- केन्द्रक को अंग्रेजी भाषा में Nucleus कहा जाता है. केन्द्रक कोशिका का मुख्य भाग होता है. इसमें DNAऔर RNA और गुणसूत्र पाए जाते है. इसीलिए केन्द्रक का आनुवंशिकी (genetics) में महत्वपूर्ण स्थान होता है. इसकी खोज 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने की थी. यह एक गोलाकार या अंडाकार सरंचना है, जो प्राय: कोशिका केंद्र के निकट होती है. केन्द्रक के मुख्य रूप से चार भाग होते है.
    (1) केन्द्रक कला (2) केन्द्रक द्रव्य (3) केंद्रिका (4) क्रोमेटिन धागे
  9. क्रोमोसोम या गुणसूत्र:- इसकी खोज सबसे पहले कार्ल विलहलम वोन नागीली ने 1842 में वनस्पति की कोशिका में देखा. बेबेरोई और सतन ने भी इसपर खोज की और बताया की जीन क्रोमोसोम का ही एक भाग है. गुणसूत्रों को आनुवंशकीय वाहक (Genetic carrier) भी कहा जाता है.
  10. राइबोसोम:– इसकी खोज Palade ने 1953 में इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी की मदद से की थी. यह अपारदर्शी होते है. रासायनिक दृष्टि से ये RNA और प्रोटीन से मिलकर बने होते है. इसका मुख्य काम प्रोटीन का संश्लेषण है, इसीलिए इसे प्रोटीन की फैक्ट्री कहते है.
  11. तारक्काय:- इसको अंग्रजी भाषा में Centrosome कहते है. इसकी खोज 1888 में बोबेरी ने की थी. यह केवल जन्तु कोशिका में पाया जाता है. यह कोशिका विभाजन में मदद करता है. इसे डीप्लोसोम भी कहा जाता है.
  12. स्फ़िरोसोम:- इसमें फोस्फोटेज इस्टरेज और राइबोन्यूक्लिएज एंजाइम पाए जाते है, इनका मुख्य कार्य वसा संश्लेषित करना है.

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