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झारखण्ड के चतरा जिले की जानकारी

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चतरा का क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर में कितना है?

3,718  वर्ग किलोमीटर

चतरा का अनुमंडल कहां स्थित है?

चतरा , सिमरिया

चतरा के कितने प्रखंड और कौन-कौन से हैं?

चतरा  के 12 प्रखंड है, (चतरा, गिद्धौर, इटखोरी, कान्हा छती, कुंडा लावालौंग ,मयूर हंद, पत्थलोगारा, प्रतापपुर, हंटरगंज, सिमरिया टंडवा)

चतरा की कुल जनसंख्या कितनी है?

10,42,886

चतरा का उपनाम क्या है?

छोटा नागपुर का प्रवेश द्वार

चतरा की जनसंख्या में पुरुषों की जनसंख्या कितनी है?

5,33,935

चतरा की कुल जनसंख्या में महिला की जनसंख्या कितनी है?

5,08,951

चतरा दशकीय वृद्धि दर है (2001-11) से कितनी है?

31.7%

चतरा का लिंगानुपात 2011 के अनुसार कितना है?

1000:953

चतरा  घनत्व (2011) के अनुसार कितने वर्ग किलोमीटर है?

280 प्रति वर्ग किलोमीटर

कुल साक्षरता दर कितनी है चतरा की?

60.18 प्रतिशत

चतरा कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2011 के अनुसार कितनी है ?

3,40,553

चतरा कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2011 के अनुसार कितनी है?

45,563

चतरा की कुल अनुसूचित जाति में से पुरुषों की संख्या कितनी है?

1,72,668

चतरा के कुल अनुसूचित जाति में से महिला की जनसंख्या कितनी है?

1,67,885

चतरा की पूर्ण व्याख्या करो?

  • 1771 से 1778 तक चतरा छोटानागपुर कमिश्नरी का प्रशासनिक मुख्यालय था। 1780 में रामगढ़ को जिला बनाने के बाद जिले का मुख्यालय कभी चतरा तो कभी शेरघाटी बदलता रहा।
  • 4 अक्टूबर 1857 के दिन सूबेदार जय मंगल पांडे तथा सूबेदार नादिर अली को यही फांसी दी गई थी।
  • चतरा नवंबर 1914 में अनुमंडल बना दिया गया और बाद में यह जिला बना दिया गया है।
  • झारखंड का सबसे छोटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाला जिला चतरा  है।
  • अमर स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता बाबूराम नारायण सिंह का जन्म चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड के अंतर्गत तेतरिया ग्राम में 19 दिसंबर 1884  को हुआ था।
  • 1920 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसात्म्क आंदोलन का आह्वान किया था, जिसमें विशेष रूप से वकीलों और विद्यार्थियों से सक्रिय सहयोग की अपील की गई थी।

चतरा में विशेषकर कौन सी मिट्टी पाई जाती है?

लाल मिट्टी

चतरा  विशेषकर कौन-कौन सी फसलें उगाई जाती है?

मक्का, धान, गेहूं।

चतरा में से कौन-कौन सी नदियां निकलती है?

 बराकर, दामोदर, गरही, टंडवा नदी।

चतरा में वन्यजीव अभयारण्य कहां स्थित है?

लावालोंग अभयारण्य।

चतरा मे वनाच्छादित क्षेत्र 2017 में कितने वर्ग किलोमीटर था?

1766 वर्ग किलोमीटर (47.50%)

चतरा कौन-कौन से खनिज पाए जाते हैं?

कोयला, अभ्रक, चूना पत्थर।

चतरा जनजातीय कहां-कहां है?

बिरहोर, परहिया।

चतरा  में कौन सा मंदिर स्थित है और कौन से गांव में?

भद्रकाली का मंदिर (भदुली गांव में)।

चतरा कौन-सा उद्योग है?

अभ्रक उद्धोग

चतरा में कौन-कौन से जलप्रपात है?

केरीदह जलप्रपात, मालूदह जलप्रपात, गोवा जलप्रपात, तमासिन जलप्रपात

चतरा में गर्म जल कुंड कहां है?

दुआरी में

चतरा में कौन सा शिक्षण संस्थान है?

आर. एन. एच. महाविद्यालय

आर. एन. एच. महाविद्यालय की स्थापना कब हुई थी?

1962 में

राज्य का सर्वाधिक वनाच्छादित जिला कौन सा है?

चतरा

चतरा जिले में कौन कौन से प्रसिद्ध स्थल है उनका संक्षिप्त में वर्णन करो?

  • इटखोरी- चतरा जिले के इटखोरी प्रखंड के अंतर्गत इस ऐतिहासिक स्थल में कभी छाई राजा का मुख्य स्थान रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के 1920 और 21 की रिपोर्ट में इस स्थान का वर्णन है। उसमें यह भी कहा गया है कि बौद्ध धर्म से संबंधित एक मूर्ति मिली थी। उस मूर्ति पर राजा महेंद्रपालदेव के लेख मिले थे। इस गांव से 1 मील दूर मोहिनी नदी के तट पर मध्यकाल में कुछ मंदिर बनवाए गए थे जिनकी अवशेष आज भी मौजूद है।
  • कुंदा- चतरा नगर में चेरों का प्राचीन मिला है जो अब खंडहर में बदल चुका है। पुरातत्व विभाग ने इसे जीर्णोद्धार के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया है। यह किला 92 मीटर लंबा, 56 मीटर चौड़ा तथा 10 मीटर ऊंचा। पश्चिमी द्वार चतुर्भुज है और चारों कोनों पर मीनारें हैं।
  • केरीदह जलप्रपात- चतरा से 8 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित केरीदह जलप्रपात भी एक आकर्षक एवं रमणीक स्थल है। जिसका कुछ भाग तो गाड़ी यात्रा के योग्य है और शेष है पैदल जाने योग्य है। यह तीन चरणों में दोनों ओर से पहाड़ियों के बीच में है। यह रांची के जोन्हा जलप्रपात के समान है।
  • मालूमदह जलप्रपात- चतरा से 8 किलोमीटर पश्चिम में यह एक दूसरा आकर्षक स्थल है।  यहां पहुंचने के लिए 5 किलोमीटर तक गाड़ी द्वारा यात्रा की जा सकती है। और शेष 3 किलोमीटर पैदल चलने योग्य है। यहां पर लगभग 50 फुट की ऊंचाई से पानी गिरता है और दोनों ओर से पहाड़ी को बिना छुए बीच में गिरता है। यह अर्द्धवृताकार दीवार की तरह तराशा गया है, जो यह सम्रण कराता है कि एक सौंदर्य की वस्तुओं हमेशा के लिए आनंददायक होती है।
  • तामसीन जलप्रपात- चतरा से 26 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में ईटखोरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर, तुलबुल पंचायत मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर, तमासिंह जलप्रपात, प्रकृति की न्यारी, मनोहरी एवं सुरम्य घाटीयों के बीच एक बड़ा आकर्षक जलप्रपात है। यहां पहुंचने के लिए दुर्गम जंगलों के बीच दुरुह मार्ग से पहाड़ी के नीचे उतरना पड़ता है। पहाड़ों के दूसरे छोर से लगभग 50 फुट की ऊंचाई से महाने नदी की कलकल धारा नीचे गिरती है। ग्राम कोल्हैया होकर यहां पहुंचा जा सकता है। यहां चट्टानों पर झुंड के झुंड बंदर उछलते कूदते दिखाई पड़ते हैं।
  • दुआर या बलबल दुआरी का गर्म झरना- बलबल दुआरी के नाम से प्रसिद्ध चतरा से 35 किलोमीटर पूर्व में गिद्धौर कंटक मसाड़ी मार्ग पर अवस्थित  एक सुंदर पर्यटन स्थल है, जहां हजारीबाग से भी जाया जा सकता है। सड़क मोटर यात्रा योग्य है और यहां सीधे चतरा से भी पहुंचा जा सकता है। वर्षा ऋतु में यहां आना कठिन है, किंतु शीतकाल तथा उष्णकाल में सुविधापूर्वक आनंद लिया जा सकता है।
  • ग्राम दुआरी के पास बलबल नदी के किनारे गर्म पानी का स्रोत है, जहां पानी बराबर उबलता रहता है। चर्मरोग के लिए यहां का पानी औषधीय गुण रखता है। जिस प्रकार चर्म रोग से छुटकारा पाने के लिए लोग राजगृह जाते हैं, वैसे ही यहां भी लोग अधिक संख्या में आते हैं।
  • खोया बनारु – चतरा का सर्वाधिक सुंदर आकर्षक एवं मनोरम पर्यटन स्थल खोया बनारु चतरा मुख्यालय से 10 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है।  जहां 8 किलोमीटर तक गाड़ी द्वारा जाया जा सकता है और शेष 2 किलोमीटर पैदल का रास्ता है। जंगल घने और हरे है तथा यहां की हरितमा मनोमुग्धकारी है। बनारू का दह पत्थरों को काटता-छाँटता हुआ गुजरता है। इसमें कई स्थानों पर ब्राह्मण तथा छ्ज्जानुमा आकृति बन गई है। दोनों ओर से पत्थरो की दीवारों को तराश-तराश कर आकर्षक बना दिया गया है।
  • गोवा जलप्रपात- चतरा  से 6 किलोमीटर पश्चिम में मालूदह के मार्ग में यह भी एक मनमोहक पर्यटन स्थल है। 4*1\2  किलोमीटर तक जीपगाड़ी से जाया जा सकता है। शेष 1*1\2 किलोमीटर पैदल चलने का अलग ही आनंद है। रास्ते में संघरी नामक ग्राम से गुजरना पड़ता है। यहां जलप्रपात तीन ओर से चट्टानों से घिरा है।
  • माँ भद्रकाली मंदिर या भदौली माता मंदिर  परिसर-चतरा जिले के ईटखोरी प्रखंड मुख्यालय से डेढ़ किलोमीटर दूर पूरब में भदुली ग्राम में स्थित है।  यहां चतरा-चौपारण मार्ग पर अवस्थित है चतरा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर पूर्व तथा चौपारण से 16 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में  महाने ( महानद) और बक्सा नदी के संगम पर स्थित धर्म, सहिष्णुता और धार्मिक सहअस्तित्व का प्रतीक है। यह स्थान बक्सा नदी से तीन ओर से घिरा हुआ अंग्रेजी अक्षर यू के आकार का है।  1992 में मां भद्रकाली नामक वृताचित्र की शूटिंग भी यहां की गई थी।
  • मां भद्रकाली मंदिर परिसर एक हरा भरा, जंगलों, झाड़ियों झरनों एवं नदियों के मध्य स्थित होने के कारण, गया के निकट मगध का एक मनमोहक आकर्षक, एकांत एवं शांत वातावरण में अवस्थित साधना के लिए साधकों एवं भक्तों को आकर्षित करता रहा है एवं यह भारत का प्राचीन सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर है। यह हिंदू, वैष्णव, शैव, जैन और बौद्ध धर्म का संगम स्थल है।
  • कोल्हुआ या कौलेश्वरी पर्वत- चतरा जिले से हंटरगंज प्रखंड से 10 किलोमीटर दूर पूरब में 1575 फुट ऊंचा कोल्हुआ या कौलेश्वरी पर्वत है जिस पर चढ़ने के लिए अब सीढ़ियों का निर्माण हो चुका है। प्राकृतिक छटाओं के बीच स्थित इस पर्वत पर अनेक हिंदू और जैन तीर्थस्थलों के साथ ही अनुपम पर्यटन स्थल भी है। आदिवासियों के देवता भी यहां निवास करते हैं। इस स्थान को कोल्हूआ कौलेश्वरी, कुलेश्वरी एवं कोटशिला के नाम से जाना जाता है। कोल (या मुंडा) आदिवासी की आराध्य देवी कौलेश्वरी है। दुर्गा सप्तशती में देवी भगवती को कुलेश्वरी कहा गया है। महाभारत काल में मत्सराज राजा विराट ने अपने इष्ट या कुलदेवी कौलेश्वरी कि यहां प्राण प्रतिष्ठा की थी। महिषासुर मर्दिनी के रूप में मां कौलेश्वरी आराध्य देवी, दुर्गा है।किंवदंती है कि इस स्थल पर सती का कोख गिरा था और इस रूप में यह एक सिद्धपीठ है। इस आधार पर धारणा है कि संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है। मिन्नतें मांगने के बाद मनोकामना पूर्ण होने पर लोग यहां बकरे की बलि भी चढ़ाते हैं। नेपाल से भी यहां काफी लोग आते हैं।
  • कोल्हुआ पर्वत महाकाव्यकाल एवं पुराणकाल से संबंधित प्रागैतिहासिक स्थल है। वनवास के समय सीता एवं लक्ष्मण का वास इसी अरण्य जंगल में होने की किवदंती है। अज्ञातवासकाल में पांडवों की साधना स्थली भी इसे माना जाता है। अर्जुन पुत्र अभिमन्यु के साथ उत्तरा का विवाह भी इसी स्थल पर होने की बात लोग मानते हैं। जैन धर्मावलंबी 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ से भी इस तरह का संबंध जोड़ते हैं। जैन धर्म से संबंधित अनेक अवशेष यहाँ मौजूद है। 10वीं शताब्दी से यह स्थान के रूप में पूजित है। इस म्त्स्यराज विराट की राजधानी एवं जिला भी माना जाता है।
  • शहीदी स्मारक- 1963 में चतरा में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की स्मृति में एक शहीद स्मारक का निर्माण उसी मंगल तालाब के पास किया गया और 1976 में एक अभिलेख उत्कीर्ण किया गया। जिसमें 2 अक्टूबर, 1857 में हुए चतरा के युद्ध एवं सूबेदार जयमंगल पांडेय तथा नादिर अली की शहादत का जिक्र है।

चतरा – धर्म आधारित जनगणना 2011

धर्म कुल जनसंख्या प्रतिशत
हिंदू 9,03,179 86.60
मुस्लिम 1,16,710 11 .19
ईसाई 6,565 0.63
शिख 888 0.09
बौद्ध 35 0.00
जैन 129 0.01
अन्य 12,936 1.24
अवर्गीकृत 2,444 0.23

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