इस आर्टिकल में हम आपको चेरो विद्रोह (1800-02 ई.) का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.
1720 ई. के आसपास से ही अंग्रेज पलामू के दुर्ग पर कब्जा करने के लिए प्रयासरत थे. अंग्रेजों ने पलामू के चेयर शासक छत्रपति राय से दुर्ग की मांग की. परंतु छत्रपती राय ने दुर्ग समर्पण से मना कर दिया. इससे अंग्रेजों तथा चेर शासक के बीच युद्ध हुआ और अंततः 20 फरवरी, 1771 में इस दुर्ग पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया.
1783 ई. में अंग्रेजो के समर्थन से चुडामन राय शासक बना. इसके विरुद्ध धीरे-धीरे असंतोष बढ़ता गया और 1800 ई. में चेरों के विरुद्ध ने खुले विद्रोह का रूप धारण कर लिया.
भूषण सिंह, जो स्वयं एक चेरो थे, के नेतृत्व में पलामू रियासत के लोगों ने विद्रोह का झंडा बुलंद किया. 1802 ई. में भूषण सिंह पकड़े गए और उन्हें फांसी दे दी गई. परंतु इसके बाद भी विद्रोह जारी रहा.
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