आज इस आर्टिकल में हम आपको Computer के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे है कि आज के जमाने में कंप्यूटर कितना जरूरी है आज के समय में हमारे सारे काम ऑनलाइन से होता है इसलिए कंप्यूटर हमारे लिए बहुत ही उपयोग में आता है.
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो निर्देशों को इनपुट के रूप में ग्रहण कर उनका विश्लेषण करता है तथा आवश्यकता प्रारूप में आउटपुट के रूप में निर्गत करता है. यह आंकड़ों को तीव्र गति से प्रोसेस, संग्रहित अथवा प्रदर्शित करता है. कंप्यूटर को संगणक भी कहा जाता है.
कंप्यूटर के विकास की दिशा में प्रथम प्रयास उन्नीसवीं शताब्दी में चार्ल्स बैबेज ने किया, इसीलिए उन्हें कंप्यूटर का जनक कहा जाता है. भारत में निर्मित प्रथम कंप्यूटर सिद्धार्थ है. आधुनिक कंप्यूटर का जनक एलन ट्यूरिंग को कहा जाता है.
वर्ष 1940 में पहली बार पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर ENIAC (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इन्तिग्रेत्र एंड कंप्यूटर) बना. पह;अ कंप्यूटर वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी पर आधारित था, लेकिन वर्तमान के कंप्यूटर दिवाधारी पद्धति (बाइनरी सिस्टम) पर आधारित होते हैं.
कंप्यूटर को उनके आकार एवं कार्य पद्धति के आधार पर निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है.
भौतिक मात्राओं, जैसे- दाब, तापमान, लंबाई, तारे इत्यादि के मापकर उनके परिणाम को अंकों में प्रस्तुत करने के लिए एनलोंग कंप्यूटर का उपयोग किया जा सकता है उदाहरण – मर्करी, स्पीडोमीटर आदि.
अंकों की गणना करने के लिए डिजिटल कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है. इनपुट किए गए प्रोग्राम को 0 और 1 को इलेक्ट्रोनिक रूप में प्रस्तुत करते हैं. उदाहरण – डेस्कटॉप, केलकुलेटर आदि .
इनमें एनालॉग तथा डिजिटल दोनों ही कंप्यूटरों के गुण होते हैं अक्सर डिजिटल के रूप को हाइब्रिड कंप्यूटर कहा जाता है. उदाहरण – ECG मशीन आदि.
यह कंप्यूटर छोटी होती है कि सरलतापूर्वक रखा जा सकता है. इन्हें कंप्यूटर ऑन ए चिप भी कहा जाता है. उदाहरण – लैपटॉप, नोटबुक पर, आईपेड, टेबलेट कंप्यूटर आदि.
मध्य आकार के इन कंप्यूटरों की कार्य क्षमता तथा कि दोनों ही माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक होती है, इस प्रकार के कंप्यूटरों पर एक या एक से अधिक व्यक्ति एक समय में एक साथ कार्य कर सकते हैं.
यह कंप्यूटर आकार में अत्यधिक बड़े होते हैं. यह कंप्यूटर कार्य बहुत ज्यादा था और कि में भी मिनिस्टर माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होते हैं.
सर्वाधिक गति एवं उच्च विचार वाले होते हैं. इनका कार्य एवं अन्य कैमरे के बराबर होता है. विश्व का प्रथम सुपर कंप्यूटर क्रे रिसर्च कंपनी द्वारा वर्ष 1976 में विकसित है क्रे के-1 एस था. भारत के पास भी एक कंप्यूटर है, जिसका नाम परम (PARAM) इसका विकास C-DAC ने किया है.
सुपर कंप्यूटर का मुख्य आयोग प्रयोग मौसम की भविष्यवाणी करने, एनिमेशन तथा चलचित्र का निर्माण करने, अंतरिक्ष यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने, बड़ी वैज्ञानिक शोध व खोज, इत्यादि कार्यों में किया जाता है.
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कंप्यूटर एक तंत्र (System) है, जो विभिन्न इकाइयों के समय से मिलकर बना है. इन इकाइयों को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर कहा जाता है.
कंप्यूटर और उसमें सभी यंत्र उपकरण, यह हाथ से, स्पर्श कर सकते है, को हार्डवेयर कहा जाता है. कुछ हार्डवेयर इकाइयां निम्नलिखित है –
ये वो हार्डवेयर होते हैं, जो डाटा को बाइनरी कोड में बदलकर कंप्यूटर (अर्थात सीपीयू) में भेज देते हैं, कुछ इनपुट युक्तियां निम्नलिखित है –
इसका प्रयोग कंप्यूटर को अक्षर और उनके रूप में आंकड़ा ( डेटा) देने के लिए कर सकते हैं.
इसका प्रयोग कर आप किसी भी डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त माउस का प्रयोग है कंप्यूटर में ग्राफिक की सहायता से कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए कर सकते हैं.
इसका इस्तेमाल भी इनपुट डिवाइस की तरह प्रयोग किया जाता है. इसमें एक बॉल पूरी तरह होती है. इसका प्रयोग कर गतिविधि (मूवमेंट) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
यह एक प्रकार की input युक्ति होती है, जो सभी दिशाओं में गति करती है और यह गतिविधि को नियंत्रित करती है.
यह एक प्रकार की इनपुट युक्ति है जो उपयोगकर्ता से तब इनपुट लेती है जब उपयोगकर्ता अपनी उंगलियों को कंप्यूटर स्क्रीन पर रखता है.
यह एक ऑप्टिकल इनपुट डिवाइस है, जो चित्र (इमेज) को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने के लिए प्रकाश का इनपुट की तरह उपयोग करता है और फिर चित्र को डिजिटल रूप में बदलने के बाद कंप्यूटर में भेजता है.
आंकड़ों (डेटा) तथा निर्देशों को परिणाम के रूप में प्रदर्शित करने के लिए जिन युक्तियों का उपयोग किया जाता है, उन्हें आउटपुट युक्ति कहते हैं.
आउटपुट युक्तियों निम्नलिखित है.
इसे विजुअल डिस्प्ले डिवाइस (VDU) भी कहते हैं. मॉनिटर कंप्यूटर से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है. कुछ मुख्य प्रयोग में आने वाले मॉनिटर निम्न है- LCD में दो प्लेटें होती हैं. प्लेटों के बीच में एक विशेष प्रकार का द्रव भरा जाता है. जब प्लेट के पीछे प्रकाश निकलता है तो प्लेट के अंदर के द्रव (सम्मिलित) होकर चमकते हैं, जिसके चित्र दिखाई देने लगता है.
इसके अंदर छोटे-छोटे LED लगे होते हैं. जब विद्युत धारा इन LED से होकर गुजरती है, तो यह चमकने लगते हैं और चित्र स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है.
इसका प्रयोग आउटपुट को त्रिविमीय (3D) में देखने के लिए करते हैं.
TFT एक पिक्सेल को नियंत्रित करने के लिए एक से ताल ट्रांजिस्टर लगे होते हैं. ट्रांजिस्टर मैट्रिक की अपेक्षा स्क्रीन को काफी तेज, चमकीला, ज्यादा रंगीन बनाते हैं. इसमें बने चित्र को विभिन्न कोणों से भी देख सकते हैं.
इसका प्रयोग कंप्यूटर से प्राप्त आंकड़ों (डेटा) और सूचना को किसी कागज पर प्रिंट करने के लिए कर सकते हैं.
इसका प्रयोग बड़ी ड्राइंग या चित्र जैसे कंस्ट्रक्शन प्लांस , मैकेनिकल वस्तुओं के ब्लू प्रिंट, आदि के लिए करते हैं.
यह कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट को आवाज के रूप में सुनाती है.
CPU की फुल फॉर्म सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है. यह कंप्यूटर के सभी कार्यों को एकत्रित साथ संयोजित कर के संपूर्ण प्रणाली को नियंत्रित करता है. CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है, क्योंकि यह कंप्यूटर के संपूर्ण ऑपरेशन को नियंत्रित करता है. CPU मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है.
यह कंप्यूटर को दिए गए आंकड़ों (डेटा) तथा निर्देशों पर अंकगणितीय (जोड़, घटाव , गुणा, भाग इत्यादि) की क्रियाओं को नियंत्रित करता है.
यह कंप्यूटर को दिए गए डेटा तथा निर्देशों को नियंत्रित करती है.
यह कंप्यूटर का वह भाग है, जिसमें सभी डाटा तथा निर्देशों को किसी भी समय तक संग्रहित रखा जा सकता है. ममोरी मुख्य दो प्रकार की होती है
यह कंप्यूटर की मुख्य मेमोरी है जो CPU से सीधे जुडी होती है. यह दो प्रकार की होती है
इसमें उपस्थित सभी सूचनाएं स्थाई होती है और जैसे ही कंप्यूटर की विद्युत सप्लाई बंद कर दी जाती है, वैसे ही समस्त सूचनाएं डिलीट हो जाती है अर्थात यह एक अस्थाई वालेटाइल मेमोरी है.
इस मेमोरी में डाटा निर्देश नॉन-वोलेटाइल होते हैं. जिस कारण इन्हें केवल पढ़ा जा सकता है, अर्थात: इसके डाटा और निर्देशों को प्रेरित करना संभव नहीं है. यह स्थानीय नॉन-वोलेटाइल होती है .
यह एक स्थाई (नॉन-वैलेंटाइल ) मेमोरी है, जिसका उपयोग आंकड़ों (डेटा) के बैकअप के लिए किया जाता है. सेकेंडरी मेमोरी के प्रकार निम्नलिखित है –
प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गए निर्देशों अर्थात: प्रोग्राम कि वह श्रृंखला है, जो कंप्यूटर सिस्टम के कार्य को नियंत्रित कर, विभिन्न अवयवों के बीच समन्वय स्थापित करता है, सॉफ्टवेयर कहलाता है. इसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं. यह मुख्यता तीन प्रकार का होता है.
यह प्रोग्राम में कंप्यूटर को चलाने, उसे नियंत्रित करने, उसके विभिन्न भागों की देखभाल करने तथा उसकी सीमा वक्ताओं को अच्छे से उपयोग करने के लिए लिखे जाते हैं.
सिस्टम सॉफ्टवेयर के प्रकार –
एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो यूजर एवं कंप्यूटर के बीच एक माध्यम की भांति कार्य करता है, Windows ,Android, IOS, आदि इसके उदाहरण है. प्रोग्रामिंग भाषाएं कंप्यूटर के लिए विशेष प्रकार की भाषाओं में प्रोग्राम लिखे जाते हैं. इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग भाषाएं कहते हैं. इन भाषाओं की अपनी एक अलग व्याकरण होती है. प्रोग्रामिंग भाषाओं को तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है
निम्नस्तरीय भाषाएं कंप्यूटर की आंतरिक कार्य प्रणाली के अनुसार बनाई जाती है इनके दो प्रमुख उदाहरण
यह बताएं केवल बाइनरी अंको (0 या 1 ) से बनी होती है. प्रत्येक कंप्यूटर के लिए उसकी अलग मशीन भाषा होती है.
इनमें 0 या 1 ही श्रंखलाओं के स्थान पर अंग्रेजी के अक्षरों और कुछ गिने चुने शब्दों को कोर्ट के रूप में प्रयोग किया जाता है.
ये भाषाएँ निम्न स्तरीय तथा उच्च स्तरीय भाषाओं के मध्य पुल का कार्य करती है. उदहारण – C
यह बताएं कंप्यूटर की आंतरिक कार्य प्रणाली पर आधारित नहीं होती है. इन भाषाओं में अंग्रेजी में कुछ चुने हुए शब्दों और साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों का प्रयोग किया जाता. उदाहरण – Pascal आदि.
ऐसे प्रोग्राम है जो विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं में लिखे गए प्रोग्राम को का अनुवाद कंप्यूटर की मशीनी भाषा में करते हैं. यह मुख्यता तीन श्रेणियों में बांटे गए हैं –
यह प्रोग्राम असेंबली भाषा में लिखे गए प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है.
यह उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गए सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है.
यह उच्च स्तरीय भाषा में लिखे सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा में करता है, परंतु यह एक बार में केवल एक लाइन का अनुवाद करता है.
जब दो या दो से अधिक कंप्यूटर किसी की सहायता से परस्पर संपर्क में रहते हैं तो इस व्यवस्था को कंप्यूटर नेटवर्क कहते हैं.
साधनों का साझा, डेटा तीव्र स्म्प्रेक्ष्ण, विश्वसनीयता- इनका प्रयोग दो या दो से अधिक कंप्यूटर को जोड़ने तथा सिग्नल की वास्तविक शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है.
निष्क्रिय हब आने वाले पैकेट के बिजली के संकेत को नेटवर्क पर बाहर प्रसारित करने से पहले नहीं बढ़ाते. दूसरी तरफ सक्रिय केन्द्र, इस बढ़ाव की प्रक्रिया करते हैं, जैसे कि विभिन्न प्रकार के समर्पित नेटवर्क उपकरण करते हैं जिन्हें रिपीटर कहा जाता है।
इसका प्रयोग दो विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल को जोड़ने में किया जाता है.
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर उन प्रोग्रामों को कहा जाता है जो हमारे वास्तविक कार्य करने हेतु लिखे जाते हैं. यह दो प्रकार के होते हैं
प्रोग्रामों का वह समूह, जिन्हें उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकता अनुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग में लाते हैं. उदहारण- पेजमेकर, फोटोशॉप , टैली, वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर आदि.
सॉफ्टवेयर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु बनाए जाते है. इस प्रकार के सॉफ्टवेयर का अधिकार है केवल एक ही उद्देश्य होता है. उदहारण- इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम, पेरोल मैनेजमेंट सिस्टम, एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर आदि.
किसी कंप्यूटर से टर्मिनल या किसी टर्मिनल से कंप्यूटर तक डेटा यह संसार के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है, इस माध्यम को कम्युनिकेशन लाइन या डाटा लिंक कहते हैं.
गाइडेड मीडिया में डाटा सिग्नल तारों के माध्यम से प्रभावित होते हैं. यह तार, कॉपर, सिल्वर के बने होते हैं. सामान्यतः यह तीन प्रकार के होते हैं.
किस प्रकार के तार आपस में उलझे होते हैं, जिसके ऊपर एक कुचालक पदार्थ तथा एक अन्य अपराध का बाहरी आवरण जिसे जैकेट कहते हैं. इस तार का प्रयोग LAN में किया जाता है.
इस केबल के केंद्र में ठोस तार होता है, जो कुचालक तार से घिरा होता है.चालक तार के ऊपर तार की जाली बनी होती है, जिसके ऊपर फिर कुचालक की परत होती है.यह तार अपेक्षाकृत महंगा होता है, किंतु इसमें अधिक डेटा की क्षमता होती है. इसका प्रयोग टेलीविजन नेटवर्क में किया जाता है.
विशिष्ट प्रकार के गलत या प्लास्टिक के फाइबर का उपयोग डेटा संचार के लिए करते हैं. यह केबल हल्की तथा तीव्र गति वाली होती है. इस केबल का प्रयोग टेली कम्युनिकेशन और नेटवर्किंग के लिए होता है.
Android मीडिया में डाटा का प्रभाव रात तारों वाले संचार माध्यमों के द्वारा होता है. इन मीडिया में डाटा का प्रवाह तरंगों के माध्यम से होता है. उत्तम गाइडेड मीडिया का विवरण निम्न है-
जब दो टर्मिनल रेडियो आवृत्तियों के माध्यम से सूचना का आदान प्रदान करते हैं तो इस प्रकार के संसार को रेडियो वेव ट्रांसमिशन कहा जाता है.
इस सिस्टम में सिग्नल खुले तौर पर (बिना किसी माध्यम के) रेडियो सिग्नल की तरह संचारींत होते हैं. इस सिस्टम में सूचना का आदान प्रदान आवृत्तियों के माध्यम से किया जाता है.
यह लंबी दूरी के संसार के लिए सबसे आद्र संचार माध्यम होता है. अंतरिक्ष में सैटेलाइट (उपग्रह) को जमीन पर स्थित स्टेशन से सिग्नल भेजते हैं तथा सैटेलाइट सिग्नल का विस्तार करके उसे किसी दूसरे स्टेशन पर वापस भेज देते हैं.
यह एक ऐसी वायरलेस (बिना तार वाली) तकनीक है, जिसके द्वारा बहुत छोटी दूरी पर स्थित दो माध्यमों के बीच डाटा का आदान प्रदान किया जा सकता है.
यह एक प्रकार का नेटवर्क है, जो किसी प्राइवेट कंपनी के नेटवर्क से जुड़ने के लिए इंटरनेट का प्रयोग करके बनाया जाता है.
टोपोलॉजी:- एक नेटवर्क में कंप्यूटर को जोड़ने की व्यवस्था होती है. उदाहरण – रिंग, बस, Star, टोपोलॉजी आदि.
यह नेटवर्क में वॉइस वीडियो तथा डाटा को सर्च करने के लिए डिजिटल या सामान्य टेलीफोन सेवा है.
यह मुख्यता बादल के आकार का एक ऐसा नेटवर्क क्षेत्र है, जिसमें एक पर्सनल कंप्यूटर या एक मोबाइल में हजारों या लाखों मोबाइल पर्सनल कंप्यूटर से जुड़ा होता है. पर्सनल कंप्यूटर कंप्यूटर से जुड़ जाते हैं, तो यह क्लाउड कंप्यूटिंग कहलाती है.
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