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वे तत्व जो रासायनिक अभिक्रिया के दौरान इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृति रखते हैं उन्हें धातु कहते हैं. धातुओं को धन विद्युतीय तत्वों के नाम से भी जाना जाता है. धातु में विद्युत सुचालकता का गुण होता है तथा इनका घनत्व अधिक होता है.
वे तत्व जो धातुओं के समान व्यवहार प्रदर्शित नहीं करते अधातु कहलाते हैं अर्थात जिनमें धनायन को त्यागकर ऋणआयन उत्पन्न करने का गुण होता है और जिनमें कठोरता, तन्यता, और आघातवर्धनीयता का गुण नहीं पाया जाता अधातु कहलाते हैं जैसे कार्बन(c), सल्फर(s) आदि
धातुएँ | अधातुएँ |
धातुओं के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या 1, 2 या 3 होती है। | इनके परमाणुओं के बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या चार या इससे अधिक होती है। |
पारे को छोड़कर सभी धातुएं ठोस अवस्था में पाई जाती है। | यह सभी तीनों अवस्थाओं (ठोस, द्रव व गैस) में पाई जाती है। |
धातुओं में एक विशेष चमक पाई जाती है। | इनमें इस प्रकार की चमक नहीं पाई जाती है। (ग्रेफाइट को छोड़ कर) |
अधिकतर धातुएं विद्युत व ऊष्मा के सुचालक होती है। | ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती है (ग्रेफाइट को छोड़ कर) |
धातुएँ आघातवर्ध्य तथा तन्य होती है। | अधातुएं भंगुर होती है। |
यह समानता कठोर होती है। (सोडियम तथा पोटेशियम को छोड़ कर) | यह अपेक्षाकृत गर्म होती है। (हीरे (C) को छोड़कर) |
धातुओं क्वथनांक में गलनांक होते हैं। | अपेक्षाकृत इनके क्वथनांक व गलनांक का न्यून होते हैं । |
धातुएं | अधातुएं |
धातुओ के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं, | इनके ऑक्साइड प्राय अम्लीय होते हैं और नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। |
धातुएं इलेक्ट्रॉन त्याग कर धन आयन बनाती है, और अपचायक के रूप में कार्य करती है। | अधातुएं इलेक्ट्रॉन त्याग कर ऋण आयन बनाती है। इसलिए ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करती है। |
धातुएं में क्लोराइड के साथ विद्युत संयोजी आबंध बनाती है। | अधातुएं क्लोरीन के साथ सह संयोजक आबंध बनाती है। |
धातुएं अम्लों के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस निकलती है। | अधातुएं तनु अम्लों के साथ क्रिया नहीं करती है। |
यह जलीय विलियन में धनात्मक आयन बनाती है। | यह जलीय विलियन में (जब उपस्थित होती है) ऋण आयन बनाती है। |
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