DNA और RNA के बारे में जानकारी आज इस आर्टिकल में हम आपको डीएनए और आरएनए के बारे में जानकारी दे रहे हैं जिसके हर एक टॉपिक पर हम बात करेंगे. तो चलिए एक एक करके हम शुरु करते हैं.
प्रत्येक जीवित प्राणियों की उत्पत्ति एक कोशिका जाईगोट के रुप में होती है, जो बार बार विभक्त होकर एक बड़ी संख्या में कोशिकाओं का निर्माण करती है. कोशिका विभाजन का सर्वप्रथम 1855 में विरचाऊ ने देखा. इस घटना में पहले डीएनए का द्विगुनन और फिर केंद्रक तथा कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है. कोशिका विभाजन प्रमुख रूप से 3 प्रकार का होता है.
यह अविकसित कौशिकाओं जैसे जीवाणु, नील रहित शैवाल, यीस्ट, अमीबा तथा प्रोटोजोआ में होती है.
यह विभाजन कायिक कोशिकाओं में होता है. इस प्रकार विभाजन में मातृकोशिका विभाजित हो कर दो समान नई संतति कोशिकाए बनाती है. सूत्री विभाजन के फलस्वरूप जीवों में वृद्धि होती है. शरीर एवम् उनमें स्थित अन्य कोशिकाओं की मरम्मत होती है तथा जख्म भरता है. किंतु कैंसर कोशिकाओं में सूत्री विभाजन की क्रिया अनियंत्रित एवं असीमित होती है.
यह विभाजन लिंगी जनन करने वाले जीवो में होता है. इनमें गुणसूत्र द्विगुणित से विभाजित होकर अगुणित बनते हैं, इसलिए इस विभाजन को न्युन्कारी विभाजन कहते हैं. यह पराग कणों, बीजाण्ड या विजाणु धानी में होता है. जंतुओं में यह विभाजन वृषण एवं अंडाशय में होता है. इसके बाद यह दो भागों में बांटती है अर्द्धसूत्री I और अर्द्धसूत्री II. इसे विभाजन में क्रासिंग ओवर होता है, जिसमें दो गुण सूत्रों के बीच में जीनों का आदान प्रदान होता है.
♦ DNA न्यूक्लियोटाइड का बहुलक है. न्यूक्लियोटाइड एक कार्बनिक अणु है जो तीन छोटे अणुओं को जोड़ने से बनता है- 1) डीऑक्सीराइबोज शर्करा 2) फोस्फोरिक एसिड 3) बेस
♦ 1953 में एडमिन और क्रिक ने डीएनए का डबल हेलिक्स मॉडल बनाया और इस काम के लिए उन्हें 1962 में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार दिया गया. हेलिक्स का व्यास 20 Å होता है.
♦ बेस दो तरह के होते है- 1) प्युरिन जैसे एडेनीन (A) और ग्वानिन (G) 2) पिरामीडीन जैसे थायानिन (T) तथा साइटोसीन (C) . DNA में अणु संख्या के आधार पर A=T और G=C होते है.
♦ DNA सभी अनुवांशिकी क्रियाओं को संचालित करता है तथा सभी प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है.
♦ RNA की रचना डीएनए जैसी होती है इस में अंतर सिर्फ बेस का होता है. RNA में थायमिन की जगह पर यूरोसील नामक बेस पाया जाता है. यह कोशिका के अंदर केंद्रक तथा साइटोंप्लाज्म में पाया जाता है.
♦ RNA सामान्यत: एकसूत्री में होता है. परंतु कुछ वायरसों में यह द्विसूत्री भी होता है, जैसे राइबोवायरस.
♦ RNA का मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना है. परंतु कुछ पादप वायरसों में यह अनुवांशिकी पदार्थ के वाहक का कार्य करता है. सामान्यत: वायरस में अनुवांशिकी पदार्थ FMZ होता है या फिर RNA.
♦ DNA से RNA बनने की विधि को ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं. इस विधि में DNA की एक श्रृंखला पर RNA की न्यूक्लियोटाइड आकर जुड़ जाती है तथा नाइट्रोजन बेस थायमिन के स्थान युरोसील आ जाता है.
DNA | RNA |
इसमें शर्करा डीऑक्सीराइबोज होती है. | इसमें शर्करा राइबोज होता है. |
इसमें बेस (क्षार) एडिनीन, ग्वानीन, थायमिन एवं साइटोसिन होते है. | इसमें क्षार थायमिन की जगह युरेसिल होती है. |
यह मुख्यकत: केन्द्रक में पाया जाता है. | यह केन्द्रक एवं कोशिका द्रव्य दोनों में पाया जाता है. |
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