रायपुर
औद्योगिक नगर
2319.99 वर्ग किलोमीटर
तीन (दुर्ग , पाटन, धंमधा)
2
1721948
875813
846135
210511
108076
102435
948
82.56 प्रतिशत
89.88 प्रतिशत
75.01 प्रतिशत
742 प्रति वर्ग किलोमीटर है
1000 : 966
24
2
695
5
332
01
03
लाल बलुई मिट्टी
चावल, दाल, तिलहन, गेहूं, चना।
शिवनाथ नदी, कोटरी नदी ,
तंदुला परीयोजना
लोहा अयस्क, चूना पत्थर, डोलोमाइट, यूरेनियम, शीशा एसबेस्ट, क्वार्टरजाइट ,टाल्क
विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, भिलाई
सीमेंट उद्योग, बीड़ी उद्योग, लकड़ी के चीरने का उद्योग
प्राचिन किला मंदिर (धमधा दुर्ग ) श्री उव्स्माहर पार्श्व तीर्थ मंदिर ,सती चबूतरे का किला मंदिर (बालोद) प्राचीन शिव मंदिर (भिलाई) ,गंगा माई मंदिर, मैया का मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर (बालौद) ।
कंवर, हलवा, डोड्लोहारा,
6
778 वर्ग किलोमीटर
भिलाई ताप विद्युत परियोजना।
अमर किरण, पहाट चिंतक।
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय स्थल |
दुर्ग | ऐतिहासिक पुरातात्विक | बौद्ध कालीन बगैर मूर्तियां तथा जिला खंड |
भिलाई | औद्योगिक | इस्पात कारखाना मैत्री बाग |
पाटन | प्रकृति के | आग तालाब ( तालाबों की नगरी) |
देव बलोदा | पुरातात्विक | प्राचीन शिव मंदिर |
धंमधा | ऐतिहासिक पुरातात्विक | प्राचीन किला एवं मंदिर बूढ़ा तालाब |
नगपुरा | धार्मिक | जैनों का तीर्थ स्थल |
मुख्यालय का नाम | स्थान |
भू अभिलेख का बंदोबस्त | दुर्ग |
व्यावसायिक परीक्षा मंडल | दुर्ग |
रोजगार व परीक्षण | दुर्ग |
चिकित्सा शिक्षा | दुर्ग |
तकनीकी शिक्षा | दुर्ग |
श्रम | दुर्ग |
उधोग | दुर्ग |
खेल कूद | दुर्ग |
ख्यातलब्ध लोक कलाकार छत्तीसगढ़ की लोक कला पंडवानी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलवाने का श्रेय।
राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदारी 1926-29 तक विधानसभा में कांग्रेस नेता दुर्ग जिला हरिजन संघ व खादी उद्योग की स्थापना, 1937 के चुनाव के बाद 1952 तक मध्य प्रांत विधानसभा के अध्यक्ष साहित्य से लगा हुआ।
भिलाई, मुंबई हावड़ा रेल मार्ग का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जिसे औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है। इसे छत्तीसगढ़ की गार्डन सिटी भी कहा जाता है।
भिलाई इस्पात संयंत्र शैक्षणिक व तकनीक रूचि वाले पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। सर्वजनिक क्षेत्र के इस प्रथम इस्पात संयंत्र की स्थापना द्वितीय योजना काल में सोवियत रूस के तकनीकी सहयोग से हुई थी।
भिलाई टाउनशिप में नेहरू आर्ट गैलरी एवं विभिन्न धर्मावलंबियों के उपासना गृह देखने योग्य है।
मैत्री बाग 100 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ एक अत्यंत सुंदर चिड़िया घर है जो भारत रूस संबंध की याद में स्थापित किया गया था। यहां पर देशी विदेशी नस्ल के अन्य जीवो का संग्रह है। टॉय, ट्रेन कृत्रिम झील और झरना उतरी भाग के विशेष आकर्षण है। झील में नौका विहार की सुविधा है।
दुर्ग जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर देश के प्रमुख जैन तीर्थ में एक एवं छत्तीसगढ़ का एकमात्र जैन तीर्थ नगपूरा (पारस नगर) स्थित है। शिवनाथ के किनारे खुदाई में मिलने वाली पार्श्वनाथ प्रतिमाएं संकेत करती है कि पार्श्वनाथ इस रास्ते से कभी गुजरे होंगे। कलचुरी वंश के शंकर गण के प्रपौत्र गज सिंह ने एक पार्श्वनाथ प्रतिमा की स्थापना के समय ( ईसवी 919) संकल्प किया था कि वह राज्य में ऐसी 108 प्रतिमा स्थापित करें। ताम्रपत्र में उसने लिखा है कि यदि वह ऐसा नहीं कर सका तो उसके वसंज ऐसा करेंगे। गज सिंह के प्रपौत्र जगतपाल सिंह ने नगर पुरा में पार्श्वनाथ की प्रतिमा स्थापित की थी।
खंडित चरण पादुका एवं जीर्ण शीर्ण मंदिर इसका प्रमाण माने जाते हैं। 1982 में उत्तर प्रदेश की गंडक नदी के किनारे ग्राम उगना में 24 तीर्थकरो में से 23 तीर्थकर पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्राप्त हुई बाद में इसे नागपुरा लाया गया।
1985 से नगपुरा का प्रथम वर्ष शुरू हुआ तभी से यह तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हुआ है। नगपुरा में पार्श्व नाथ का विशाल जिनालय (मंदिर) है। 3 शिखरों से युक्त इस मंदिर के गर्भ ग्रह में पार्श्व नाथ की 15 प्रतिमाएं प्रतिष्ठित है। यह जयद्रथ विश्व भर में प्रसिद्ध हो चुका है। प्रतिवर्ष यहां लगभग 10 लाख लोग आते हैं। अमेरिका, केन्या, इंग्लैंड, जापान, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल आदि अनेक अनेक देशों से तीर्थयात्री यहां आ चुके हैं। यहां से धर्मशाला है जिसमें 100 कमरे एवं 1200लोग एक साथ ठहर सकते हैं।
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