घर्षण- जब एक वस्तु किसी अन्य वस्तु के संपर्क में रहते हुए विपरीत दिशा में गति करे तो एक पल कार्य करता है जिसे घर्षण या घर्षण बल कहते हैं।
कारण- घर्षण उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के पृष्ठ चिकनी व सपाट नहीं होते बल्कि उनमें अनेक अनियमितताएं पाई जाती है जब पर इसके विपरीत दिशा में गति करते हैं तो यह नियम बताएं एक दूसरे में फंस जाती है अंतः पृष्ठों को उन अनियमितताओं को पार करने के लिए बल लगाना पड़ता है जिसे घर्षण बल कहते हैं।घर्षण का मुख्य कारण पृष्ठ चलो का एकदम चिकना व स्पाट न होना।
घर्षण तीन प्रकार का होता है-
स्थैतिक या स्थिर घर्षण- दोनों पृष्ठ तल विराम से गति में आने पर विपरीत दिशाओं में गति करते हुए जो बल परस्पर लगाते हैं उसे स्थैतिक या स्थिर घर्षण कहते हैं। जैसे भूमि पर रखे लकड़ी के गुटके को खिसकाने के लिए लगाया गया बल स्थैतिक घर्षण कहलाता है। यह बल उस बल के समान होता है जिसके लगाने पर स्थिर वस्तु किसी से सतह पर ठीक खीसकने वाली होती है।
सर्पी घर्षण- जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु पर खिसकती है तो इन दोनों के बीच के घर्षण को सर्पी घर्षण कहते हैं। जैसे लकड़ी के गुटके पर बल लगाने पर गुटका पृथ्वी की सतह पर खिसकने लगता है इसमें एक सतह गतिशील व दूसरी स्थिर होती है।
लोटनीक घर्षण- जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर लोड होती है तो दो सतहों के बीच लगने वाला बल लोटनीक घर्षण बल कहलाता है। जैसे वाहनों के पहिए लौटनिक घर्षण बल के लिए पृथ्वी के पृष्ठ पर लुढ़कते हैं।
बोल बेयरिंग के प्रयोग से घर्षण को कम करना-
घर्षण को कम करने के लिए मशीनों में प्राय बॉल बेयरिंग का उपयोग किया जाता है। बोल बेयरिंग में छोटी-छोटी धातु की गोलियां होती है जो मशीनों की सर्पी सतहों के बीच में डाल दी जाती है। आपने इन्हें साइकिल के पहियों में लगा देखा होगा। यह घर्षण को कम कर देते हैं जिससे ऊर्जा व श्रम दोनों की बचत होती है।
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