आज इस आर्टिकल में हम आपको गोलघर का निर्माण के बारे में बताने जा रहे है.

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गोलघर का निर्माण

1783 ईसवी में बिहार में पुन: अकाल पड़ा. जॉन शौर को इसके कारण एवं प्रकृति की जांच हेतु नियुक्त किया गया. जॉन शौर के एक अन्नागार  के निर्माण के सुझाव पर 1784 ई. में पटना में गोलघर का निर्माण हुआ.

जमींदारों को प्रभावित करने के लिए सम्मान

1857 की क्रांति के पश्चात अंग्रेजों ने जमींदारों को प्रभावित करने के लिए उन्हें उपाध्याय एवं सम्मान दिए. सम्मान एवं पुरस्कार पाने वालों में सासाराम के सहायक कबीर उद्दीन, बाढ़ के मूर्ति अमीर अली एवं मुजफ्फरपुर के कुलदीप नारायण सिंह सम्मिलित है. उन सम्मानों के द्वारा अंग्रेज जमींदारों को अपना समर्थक बनाने में कामयाब हुए.

आरंभ में अंग्रेज दरभंगा महाराज एवं डुमराव के महाराज से काफी नाराज थे, किंतु वह बाद में उनसे संतुष्ट हो गए.

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