ग्रेफाइट, हीरा और फुलेरीन की संरचना, ग्रेफाइट, हीरा फुलेरीन की संरचना, ग्रेफाइट की संरचना, फुलरीन अर्थ, फुलरीन के उपयोग, हीरे की संरचना, फुलरीन की खोज, हीरा और ग्रेफाइट में अंतर hindi, फुलरीन की का उपयोग करता है, कार्बन के अपरूप pdf
More Important Article
- MI के सबसे सस्ते 4G मोबाइल
- कम्प्यूटर के बारे में सामान्य जानकारी
- वर्ग तथा वर्गमूल से जुडी जानकारी
- भारत के प्रमुख झील, नदी, जलप्रपात और मिट्टी के बारे में जानकारी
- भारतीय जल, वायु और रेल परिवहन के बारे में जानकारी
- ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी
- विश्व में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- भारत में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- Gym से Height रूकती है या नहीं?
- सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी
ग्रेफाइट, हीरा और फुलेरीन की संरचना
किसी एक ही रसायनिक तत्वों के विभिन्न भौतिक रूपों को अपररुव कहा जाता है। ग्रेफाइट, हीरा तथा फुलेरीन कार्बन के महत्वपूर्ण रूप है।
हीरा व ग्रेफाइट की संरचना
हीरा व ग्रेफाइट दोनों कार्बन परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं। दोनों में अंतर केवल यह है कि कार्बन परमाणु एक दूसरे से किस प्रकार आबंधित है। हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं से आबंध बनाकर एक पक्की-3D संरचना बनाता है।
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं के साथ एक ही प्लेन (तल) में षटभुजाकार ढंग से जुड़े होते हैं। इनमें से एक आबंध ही द्वि-आबंध होता है, जिससे कार्बन की चार संयोजकता संतुष्ट रहती है। ग्रेफाइट की संरचना में षटभुजाकार कार्बन के परमाणु की प्रति एक दूसरे पर रखी होती है।
फुलेरीन की संरचना
फुलेरीन कार्बन के अपररूपों का अलग सा प्रकार है। इनमें सर्वप्रथम C-60 का पता लगा था, जिस में कार्बन परमाणु एक फुटबॉल की आकृति के रूप में व्यवस्थित रहते हैं। क्योंकि इनकी आकृति/डिजाइन अमेरिकी आर्किटेक्ट मिस्टर कूलर के डिजाइन किए हुए जिओडेसिक गुबंद के सामान लगते हैं, इसलिए इन्हें फुलेरीन का नाम दिया गया है।