जब भी हम कोई चीज ऊपर की तरफ फेंकते है तो वो थोड़ी दूर जाने के बाद वापिस नीचे आ जाती है इसी को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) कहते है.
यह हमने आपको आसान शब्दों में बताया है. अब हम आपको गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) के बारे में पूरी जानकारी देंगे.
गुरुत्वीय बल या गुरुत्व उस बल को कहते है जो सभी वस्तुओं को पृथ्वी के केंद्र की तरफ आकर्षित करता है. गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) के कई नियम भी बनाये गए है.
संसार में हर चीज अपने बल से दूसरी वस्तु को आकर्षित करती है यह बल उन वस्तुओं के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होती है. और उन वस्तुओं के बीच की दुरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है.
केपलर ने तीन नियम बनाये थे जिसमे उन्होंने ग्रह की गति के बारे में बताया था उनके तीन नियम आपको नीचे बताये गए है.
केपलर ने अपने पहले नियम में बताया है की दीर्धवृतीय कक्षा के दो नाभिकों में से एक पर सूर्य स्थित है और इसक कक्षा में और सूर्य के चारों और दुसरे ग्रह चक्कर लगाते है.
केपलर ने अपने दुसरे नियम में सभी ग्रह और सूर्य के बीच के क्षेत्रफल ले बारे में बताया है. केपलर ने बताया की हर ग्रह सूर्य के चारों ओर इस प्रकार चक्कर लगाते है की हर ग्रह को सूर्य से मिलनी वाली रेखा समय के समान समय पर पर समान क्षेत्रफल बनाती है.
केपलर ने अपने तीसरे नियम में बताया है की सूर्य से ग्रह की औसत दुरी का घन समय के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है जिसे वह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लेता है.
न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार अगर कोई वस्तु किसी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु उस पर उल्टा बल लगाती है. इसीलिए जब पृथ्वी किसी वस्तु के उपर आकर्षण का बल लगाती है तो वह वस्तु भी उस बल का विरोध करती है और उसकी विपरीत दिशा में बल लगाती है.
किसी वस्तु के गुरुत्व केंद्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा उस वस्तु के आधार के क्षेत्रफल के अन्दर से होकर गुजरती है. जैसे पीसा की झुकी मीनार अभी भी टिकी हुई है क्योकि गुरुत्व केंद्र से गुजरने वाली ऊर्ध्वाधर रेखा आधार के क्षेत्रफल से गुजरती है अगर यह उर्ध्वाधर रेखा बाहर से गुजरेगी तो मीनार गिर जायेगी.
जब किसी पिंड को एक प्रारम्भिक वेग से उर्ध्वाधर भिन्न किसी दिशा में फेंका जाता है तो वह गुरुत्वीय त्वरण के अंतर्गत उर्ध्वाधर तल में एक वक्रपथ पर गति करता है. जैसे तोप से निकलने वाले गोले की गति
प्रक्षेपण बिन्दु से एक तय दुरी तक की क्षैतिज दुरी को परास कहते है. जैसे किसी उंचाई पर निशाना लगाने में
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