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गुप्तोत्तर वंश एवं पुष्यभूति वंश

आज इस आर्टिकल में हम आपको गुप्तोत्तर वंश एवं पुष्यभूति वंश के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे है जो निम्नलिखित है.

गुप्तोत्तर वंश एवं पुष्यभूति वंश

पुष्यभूति वंश की स्थापना थानेश्वर में हुई थी. इस वर्ष का पहला महत्वपूर्ण संस्था के प्रभाकर वर्धन था.

गुप्तोत्तर वंश एवं पुष्यभूति वंश

हर्षवर्धन ( 606- 647 ई.)

हर्षवर्धन एक महान शासक था. उसने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौद स्थांतरित की. बाणभट्ट इनका दरबारी कवि था. उसने हर्षचरित की रचना की.

हर्ष ने स्वयं नागानंद, रत्नावली एवं प्रियदर्शिका नामक नाटकों की रचना की थी. हर्ष का चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय से नर्मदा नदी तट पर युद्ध हुआ था, जिसमें हर्ष की पराजय हुई थी.

हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री हेनसांग भारत आया था. उसका यात्रा-वृत्तांत सी-यू-कि के नाम से जाना जाता है.

अलवर की स्थापना श्री विष्णु ने की. इसकी राजधानी कांची ( कांचीपुरम) थी. मतविलास प्रहसन की रचना पल्लवन नरेश महेंद्र वर्मन ने की. महाबलीपुरम के रथ मंदिर का निर्माण पल्लव नरेश नरसिंहहवरमन प्रथम के समय हुआ था. उसने वातापीकोड की उपाधि धारण की.

राष्ट्रकूट वंश की स्थापना दंतिदुर्ग ने की थी. इसकी राजधानी मान्यखेट थी. ध्रुव प्रथम राष्ट्रकूट ( दक्षिण भारत ) शासक था, जिसने कन्नौज पर अधिकार के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया.

भारत पर मुस्लिम आक्रमण

अमोघवर्ष जैन धर्म का अनुयायी था, इसने कन्नड़ में कविराज मार्ग की रचना की. एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कृष्ण प्रथम ने करवाया. एलोवेरा एवं एलिफेंटा ग्रह मंदिरों का निर्माण राष्ट्रकूट शासकों के द्वारा हुआ.

चोल वंश की स्थापना विजयपाल ने की थी.  इसकी राजधानी तंजौर थी. चोल शासक राजाराम प्रथम ने श्रीलंका पर आक्रमण करके विदेशों को चोल साम्राज्य का नया प्रांत बनाया. राजाराम प्रथम ने तंजौर में राजेश्वर का शिव मंदिर ( वृहमहेश्वर मंदिर) बनवाया. राजाराम प्रथम ने शैलेंद्र सांसद को नागापट्टनम में बौद्ध मठ स्थापित करने की अनुमति दी थी. राजेंद्र प्रथम ने गंगा घाटी के सफल अभियान के क्रम में पाल वंश के शासक महिपाल को पराजित किया. इस विषय की समृद्धि में उसने गंगेकोंडचोलपुरम नगर का निर्माण किया. स्थानीय स्वशासन चोल साम्राज्य की प्रमुख विशेषता थी.

पाल वंश का संस्थापक गोपाल थे. उसने ओदंतपुरी ( बिहार शरीफ) मैं बौद्ध विहार की स्थापना की. ब्रहमपाल ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाएं. कन्नौज के लिए हुए त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत प्रतिहार नरेश हो तो आज नहीं की थी तथा क्षेत्र त्रिपक्षीय संघर्ष का अंत गुर्जर- प्रतिहारों की अंतिम विजय से हुआ था, कश्मीर के का  कॉकरोट वंश के शासक ललितादित्य मुक्ता पीने प्रसिद्ध सूर्य मंदिर मार्तंड का निर्माण करवाया, राजतरंगिणी के रचयिता कल्हण कश्मीर के लाहौर वंश के शासक के दरबार में रहता था.

कल्हण की राजतरंगिणी की रचना लाहौर वंश के अंतिम शासक जय सिंह के काल में की थी.

उड़ीसा के गंग वंश के शासक नरसिंह प्रथम में भी कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया.

चंदेल वंश का संस्थापक नुनक्क था. इसकी राजधानी खजुराहो थी. खजुराहो के मंदिर का निर्माण चंदेलों ने करवाया था. परमारों की राजधानी उज्जैन थी, बाद में चलकर धारा उनकी राजधानी बनी. प्रवासी सांसद महोदय एक महान कवि थे, उसने कविराज की उपाधि धारण की थी. बहुत ही कुछ रचनाओं में – सम्राट सूत्रधार, सरस्वतीकठाभरण,विद्या विनोद, राजमातरंड आदि प्रमुख है.

भोज ने धार में एक सरस्वती मंदिर की स्थापना की.चौहान सांसद अजय पाल ने अजमेर नगर की स्थापना की.

पृथ्वीराज चौहान को रायापिथौरा भी कहा जाता है. उसके राजकवि चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक महाकाव्य लिखा.

पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के प्रथम युद्ध ( 1192 ई,)  में गोरी से पराजित हो गया.

अनंगपाल तोमर ने दिल्ली शहर की नींव डाली थी.

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