यह कांगड़ा के कटोच वंशीय राजाओं में काफी लोकप्रिय हुए। महाराजा संसार चंद की सबसे बड़ी विशेषता उनका चित्रकला के प्रति काफी लगाव था। उनके संरक्षण में कांगड़ा चित्र शैली का विकास हुआ जो आज सारे संसार में विख्यात है।
जगत सिंह पठानियाँ नूरपुर के राजा थे। इनकी वीरगाथाएं राजा जगत के झगड़े के रूप में आज भी कांगड़ा के लोग गाते हैं। राजा जगत सिंह ने मुगल सम्राट शाहजहां का कई लड़ाइयों में साथ दिया, लेकिन जब उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंची तो उन्होंने शाहजहाँ के विरुद्ध विद्रोह का ऐलान कर दिया। कई मोर्चों पर मुगल सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
आपने चित्रकारी के क्षेत्र में देश-विदेश में काफी ख्याति प्राप्त की। इनके द्वारा तैयार चित्र, चित्रकला के क्षेत्र में अद्वितीय है।
इनका जन्म 11 जुलाई 1882 ई. में दोहा गोपीपुर जिला कांगड़ा में हुआ, आपने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गदडी बाला नामक स्थान पर एक सभा में इन्हे पहाड़ी गांधी की उपाधि से नवाजा।
इनका जन्म मार्च 1916 ई. को नगर जिला कुल्लू में हुआ। आप ने अपना जीवन सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया। आप ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। 1952, 1962, एवं 1967 में हिमाचल विधानसभा के लिए चुने गए एवं मंत्री भी रहे। 11 दिसंबर 1982 को आपने इस नश्वर शरीर को त्याग दिया।
आपका जन्म 20 अक्टूबर, 1912 को गांव चाद्धियार जिला कांगड़ा में हुआ। 1942 ई. में आप अंग्रेजी सेना से त्याग-पत्र देकर आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए और कई मोर्चों पर आदम्य साहस का परिचय दिया।
आपका जन्म 1899 ई. में गांव धार जिला शिमला में हुआ। आपने 1922 ई. में कांग्रेस की सदस्यता ली एवं प्रदेश में चल रहे प्रजामंडल आंदोलन में भाग लिया। इन्होंने धामी आंदोलन का 1939 ई. में नेतृत्व किया।
इनका जन्म 16 दिसंबर, 1919 गांव पंचायतन जिला बिलासपुर में हुआ। इन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन, प्रजामंडल तथा बिलासपुर रियासत के राजा के विरुद्ध अभियान में भाग लिया और कई बार जेल गए।
इनका जन्म खनक गली मंडी में हुआ आपने 1921-22 में स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया और जेल गए। 1942 ई. में आप ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। 1952-57 तक हिमाचल विधान सभा के सदस्य रहे।
इनका जन्म 26 जनवरी, 1901 ई. में गांव इमनोल जिला शिमला में हुआ। इन्हें कवि राज के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने 1920 ई. के असहयोग आंदोलन और 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया।
इनका जन्म 3 दिसंबर, 1930 ई. को भूप्पल जिला हमीरपुर में हुआ। उन्होंने 1928 ई. में लार्ड इरविन की ट्रेन के नीचे बम लगाने के षड्यंत्र में हिस्सा लिया और 6 वर्ष तक आप जेल में रहे।
इनका जन्म 23 दिसंबर 1889 को टिक्का नगरोटा जिला कांगड़ा में हुआ। 1912 में लाहौर से कानून की डिग्री प्राप्त की तथा 27 दिसंबर, 1943 ई. को लाहौर न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए। जनवरी 1954 से दिसंबर 1954 तक आप भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे।
गांव डांड (जिला कांगड़ा) निवासी जनरल शर्मा ने 1950 में सेना में कमीशन प्राप्त किया। इन्होंने 1962, 1965 एवं 1971 की लड़ाई में हिस्सा लिया। परम विशिष्ट सेवा मेडल एवं अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित 1 मई, 1988 से 30 जून, 1990 तक भारत के सेनाध्यक्ष रहे। सेनाध्यक्ष बनने वाले आप हिमाचल प्रदेश के प्रथम सैनिक थे।
आपका जन्म 31 जनवरी, 1923 को जम्मू में हुआ था। आपने शेरवुड कॉलेज नैनीताल तथा प्रिंस ऑफ वेल्ज रॉयल अकादमी देहरादून से शिक्षा प्राप्त की और 1942 में सेना (कुमाऊँ रेजीमेंट) में कमीशन प्राप्त किया। 3 नवंबर, 1939 ई. को कश्मीर में कबालियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके महान बलिदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें प्रथम परमवीर चक्र की उपाधि से (मरणोपरांत) सुशोभित किया गया।
आपका जन्म 4 अगस्त, 1906 को पददाद क्षेत्र के गांव चहाल में हुआ था। आपने फोरमैन कृषिचयन कॉलेज, लाहौर और कैनिंग कॉलेज, लखनऊ तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की। यह सिरमौर में वकील रहे यह देहरादून थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य भी रहे।
1930- 1937 ई. तक सब जज एवं प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट सिरमोर रहे। 1937-41 में जिला व सत्र न्यायाधीश नाहन रहे। 1941 में यशवंत सिंह परमार ने राजनीतिक मतभेदों अर्थात् राजा द्वारा थोपी गई बातों के कारण त्याग पत्र दे दिया। परिणामस्वरुप राजा द्वारा इन्हें सिरमोर से निष्कासित कर दिया। 1947 में हिमालयन हिल स्टेशन रीजनल कौंसिल के अध्यक्ष बने। 1948 में हिमाचल प्रदेश बनने पर मुख्यायुक्त की सलाह परिषद के सदस्य रहे। 1952-56 तक हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे। 1 जुलाई, 1981 को इनका देहांत हो गया।
इनका जन्म 5 सितंबर, 1909 गांव शांग किन्नौर और में हुआ। 1932 में सरकारी नौकरी में नियुक्ति हुई तथा 1996 में प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में रिटायर हुए। 1967, 1972, 1977, 1982 एवं 1990 में आप विधानसभा के लिए चुने गए। ठाकुर सेन नेगी हिमाचल प्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष एवं मंत्री भी रहे हैं। 2 जनवरी, 2001 को 91 वर्ष की आयु में आपका देहांत हो गया।
आपका जन्म 15 जनवरी 1929 ई. को गांव, नरथाटा जिला शिमला में हुआ था। वर्ष 1957-62 तक आप क्षेत्रीय परिषद के लिए निर्वाचित हुए 1 जुलाई, 1963 को रामलाल जी विधानसभा के लिए चुने गए। श्री रामलाल 1977 तक पुन: 1981 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1983 में आपको आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया।
इनका जन्म 5 अप्रैल, 1950 ई. को नदौन में हुआ था। इनके बचपन का नाम मंगतराम था। शिक्षा पूर्ण हो जाने पर आप अध्यापक हो गए। बाद में आप लाहौर चले गए और सुदर्शन चक्र पत्रिका का संपादन करने लगे। यशपाल और भगत सिंह से मिलकर आप क्रांतिकारियों की गतिविधियों में शामिल हो गए। इंद्रपाल तुगलकाबाद के पास बदरपुर गांव में साधु बनकर रहा करते थे। कई बमकांडों में आपका हाथ रहा था। सिंहमुमरी जेल में इनको सजा भी भुगतनी पड़ी। 1948 ई. में महात्मा गांधी की मृत्यु का समाचार सुनकर बेहोश हो गए।
इनका जन्म 10 अप्रैल, 1944 को गांव समीरपुर जिला हमीरपुर में हुआ था। अंग्रेजी विषय के प्राध्यापक श्री धूमल 1989 तथा 1991 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए तथा 1988 में प्रथम बार विधानसभा के लिए निर्वाचित होकर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1993- 98 तक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे। श्री धूमल प्रदेश के 1998- 2003 व 2007-12 तक मुख्यमंत्री रहे है।
इनका जन्म 23 जून, 1934 को राजा बुशहर के परिवार में हुआ था। राजा बुशहर परिवार के 131 वें उत्तराधिकारी श्री वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1972 एवं 1980 में लोक सभा के लिए चुने गए। 1980-83 तक केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे। कुछ समय के लिए केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री रहे। 1983 से 1990, 1990 से 1993 से 1998 तथा फिर 2003 से 2007 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 2012 में चुनाव जीते और छठी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
इनका जन्म 13 सितंबर, 1934 ई. में गांव गढ़जुमला जिला कांगड़ा में हुआ था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक श्री शांताकुमार 1972, 1977, 1982 एवं 1990 में हिमाचल प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए 1990 एवं 1998 में आप दो बार लोक सभा के लिए चुने गए। 1977 से 1970 1990 से 1992 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1991 मैं लोकसभा के लिए चुने गए तथा केंद्र में नागरिक उपभोक्ता पर मंत्री बने रहे।
इनका जन्म 20 अप्रैल, 1932 ई. में गांव सुल्तानपुर जिला सोलन में हुआ था। श्री सुल्तानपुरी 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 एवं 1998 में लगातार छह बार लोकसभा के लिए चुने गए।
आपका जन्म 26 जुलाई 1921 ई. गांव अरनारायण, जिला मंडी में हुआ था। श्री सुखराम 1962,67 तथा 1972 में प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए। 1998 में विधान सभा के लिए चुने गए तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
आपका जन्म स्वर्गीय श्री धोगड़ राम के परिवार में 17 नवंबर, 1930 ई. को दियालड़ि जिला हमीरपुर में हुआ। एम. ए. एम. एंड पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से शिक्षा प्राप्त पेशे से अध्यापक एवं कृषक। 2007 में विधान सभा चुनाव में पुनः जीत हासिल की और बी.जे.पी. सरकार में शिक्षा मंत्री बने।
इनका जन्म 29 मई, 1948 को गांव मंजौरनू जिला मंडी मे हुआ । 1977, 1982, 1990, 1993 तथा फिर 1998 में विधान सभा के लिए कांग्रेस की टिकट पर निर्वाचित हुए। 1979 से 1997 तक कई बार राज्य मे मंत्री रहे। 1998 में भाजपा ही. वी. का. के समर्थन से विधान सभा अध्यक्ष बनाए गए।
इनका जन्म 8 दिसंबर, 1927 को गांव कोटगढ़ जिला शिमला में हुआ। इन्होंने 1982, 1985, 1990 तथा 1998 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 11 मार्च, 1985 को विधान सभा की प्रथम महिला अध्यक्ष चुनी गई।
इनका जन्म 9 अक्टूबर, 1874 ई. में सेंट पीटरबर्ग रूस में पैदा हुए, किंतु वे लंबे समय तक भारत में रहे। इन्होंने यूरोप मध्य एशिया, मंगोलिया, तिब्बत, चीन, जापान और भारत की यात्रा की। आपने अपने जीवन के 20 वर्ष कुल्लू घाटी में गुजार दिए। 73 वर्ष के अपने जीवनकाल में इन्होंने विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में अपार ज्ञान प्राप्त किया। लेकिन प्रमुख रुप से ये अमर चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। 13 दिसंबर, 1947 में आपका निधन हो गया।
शर्माजी का जन्म 7 जुलाई, 1883 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ। यह हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक थे। जिन्होंने कहानीकार निबंधकार, शोध विद्वान व समिक्षक के रूप में ख्याति प्राप्त की। उनका पैतृक गांव कांगड़ा का गूलेर था। गुलेरी जी की रचना उसने कहा था कहानी साहित्य की उत्कृष्ट व अमर रचना है। 1922 ई. में मृत्यु हो गई।
सौठाजी का जन्म 23 सितंबर 1899 में शिमला जिले के जुब्बल क्षेत्र गांव डाकघर धार में हुआ था। 1922 में कांग्रेस के बड़ौदा सम्मेलन में शामिल हुए और कांग्रेस में मंत्री बने। इन्होंने हिमालयन रियासती प्रजामंडल की स्थापना में अपना योगदान दिया।
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