आज इस आर्टिकल में हम आपको हिमाचल प्रदेश में उद्यान और अभयारण्य के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप एग्जाम की तैयारी आसानी से कर सकते है.
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हिमाचल प्रदेश वन्य जीव विहार (अभयारण्य)
अभयारण्य का नाम | स्थान | अधिसूचित वर्ष |
गोविंद सागर वन्य जीव विहार | मंडी व बिलासपुर | 1962 |
दर्राघाटी वन्य जीव विहार | शिमला | 1974 |
कन्बार वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1954 |
सींबलवाड वन्य जीव विहार | सिरमौर | 1958 |
मजथाल घासरंग वन्य जीव विहार | सोलन एवं शिमला | 1974 |
नयना देवी वन्य जीव विहार | बिलासपुर | 1962 |
केस (कीयास) वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1954 |
बांदली वन्य जीव विहार | मंडी | 1974 |
चूड़धार वन्य जीव विहार | सिरमोर एवं शिमला | 1985 |
एक छायाचित कुल वन्य जीव विहार | किन्नौर | 1962-74 |
चेल वन्य जीव विहार | सोलन एवं शिमला | 1976 |
काला टोपा खजियर वन्य जीव विहार | चंबा | 1949 |
मनाली वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1956 |
शिकारी देवी वन्य जीव विहार | मंडी | 1974 |
टालड़ा वन्य जीव बिहार | शिमला | 1965 |
रेणुका वन्य जीव विहार | सिरमोर | 1964 |
दाड़ला धार वन्य जीव विहार | सोलन व बिलासपुर | 1994 |
लिप्पा आसरांग वन्य जीव विहार | किन्नौर | 1962 |
शिल्ली वन्य जीव विहार | सोलन | 1974 |
तीर्थम वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1976 |
रूपी भाभा वन्य जीव विहार | किन्नौर | 1982 |
नारगू वन्य जीव विहार | मंडी | 1974 |
भामगुल सिपाबेही | चम्बा | – |
कुगती | चम्बा | 1962 |
सेचु तुआंनाला | चम्बा | 1974 |
महाराणा प्रताप वन्य जीव विहार | कांगड़ा | 1983 |
दारलाघाट वन्य जीव विहार | शिमला | 1974 |
धौलाधार वन्य जीव विहार | खंजर | 1994 |
गामगुल वन्य जीव विहार | हिमालय थार | 1974 |
राज्य में जड़ी-बूटी उद्यान
- जड़ी-बूटी उद्यान (जोगीन्दर नगर)
- जड़ी-बूटी उद्यान नेरी (हमीरपुर)
- जड़ी-बूटी उद्यान दुम्रेदा (रोहडू)
- जड़ी-बूटी उद्यान जंगल झलेरा (बिलासपुर)
राष्ट्रीय उद्यान
राष्ट्रीय उद्यान (पिन घाटी)
हिमाचल प्रदेश के इस प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1987 ई. में लाहौल और स्पीति जिले में की गई। इसका क्षेत्रफल 807.36 वर्ग किलोमीटर है। इस अभयारण्य में उनी भेड़, तिब्बती, गजल, बर्फीले क्षेत्रों में पाया जाने वाला लियोपार्ड एवं रेड इंडियन लोमड़ी आदि जीव संरक्षित है।
हिमालय राष्ट्रीय उद्यान
इस राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना मार्च 1984 ई. में कुल्लू जिले में की गई थी। इसका क्षेत्रफल 605.6 वर्ग किमी है। इस अभ्यारण में शेर, सेराव, कस्तूरी, हिरण, भरल, तेंदुए, भेड़ियो व गिलहरी जैसे स्तनधारी प्राणी एवं पक्षियों में अनेक प्रकार के फेंजेट और बाज दृष्टिगोचर होते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
- प्रदेश में वन आच्छादन में सुधार, विभागीय पौधारोपण एवं सार्वजनिक वितरण के लिए नर्सरी तैयार करना, चरगाह में सुधार, इंधन व चारा, गौण वन उपज, सांझी, वन योजना, पिछड़ा क्षेत्र, उपयोजग, भू एवं नमी संरक्षण आदि कार्य किए जा रहे हैं।
- हिमाचल प्रदेश सरकार की वन नीति का मूल उद्देश्य वनों के उचित उपयोग के साथ-साथ इनका संरक्षण तथा विस्तार करना भी है।
- प्रदेश में वनरोपण का कार्य वनोत्पादक वन योजना एवं भू-सरंक्षण के अंतर्गत किया जा रहा है।
- प्रदेश में 30 मार्च 2014 तक के ₹25.58 करोड़ की लागत से 6,693 हेक्टेयर क्षेत्र इस वन योजना के अधीन लाया गया है।
- हिमाचल प्रदेश में अनेक प्रकार के पशु पक्षी पाए जाते हैं। वन्य प्राणी एवं प्रकृति संरक्षण योजना के अंतर्गत मुख्य आखेट स्थलों व राष्ट्रीय पार्कों (उद्यानों) में सुधार लाना है। ताकि दुर्लभ प्रजाति के पशुपक्षियों को बचाया जा सके।
- प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014-15 तक ₹10.0 करोड़ (केंद्रीय भाग सहित) की राशि इनके सुधार हेतु खर्च की गई।
- प्रदेश में वन सुरक्षा के अंतर्गत वनों के अवैध कटान को रोकने के लिए चैक पोस्ट हेतु एवं अग्नि से वनों की सुरक्षा हेतु सरकार ने वर्ष 2014-15 तक रू 45.00 लाख खर्च किए है.
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