शिक्षक से झारखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे श्री बाबूलाल मरांडी बेहद मिलनसार और लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ने वाले व्यक्ति हैं।
श्री मरांडी के व्यक्तित्व में साफगोई और अपनी बातों को बेबाक ढंग से कहने की कला है। 1 नवंबर 1928 को गिरिडीह है जिले के तीसरे प्रखंड के कोढायबांक गांव में श्री छोटू लाल मरांडी और श्रीमती हरसू मुर्म के घर जन्मे मरांडी का बचपन अभावों में बीता। गरीब किसान के परिवार में उन्हें जीवन की बुनियादी सुविधाएं भी ठीक ढंग से उपलब्ध नहीं हो पाई। चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े श्री मरांडी ने प्राथमिक विद्यालय चंदौरी और हाई स्कूल बरमसिया त्रिपुरी में पढ़ाई करने के बाद गिरिडीह कॉलेज से 1981-83 में स्नातक की उपाधि हासिल की। बाद में उन्होंने रांची विश्वविद्यालय में भूगोल विषय में स्नातकोत्तर के लिए प्रवेश लिया, लेकिन समाज सेवा करने की धुन के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए।
1980-81 में गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड के महथोघरान प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्य कर रहे. श्री मरांडी के जीवन की एक घटना ने उनके जीवन की दिशा ही मोड़ दी। उनके ही शब्दों में, मैं एक शिक्षक के रूप में गिरिडीह के डीसी ऑफिस में जब एक किरानी क्लर्क से मिलने की कोशिश कर रहा था तब बड़ी मशक्कत के बाद किरानी से भेंट हुई, लेकिन किरानी ने बड़े तिरस्कार के भाव से देखा। इस पर मुझे लगा कि जिस नौकरी को किरानी इतने तिरस्कार के रूप में देखते हैं उसमें रहना बेकार है।
श्री मरांडी ने 1983 में हिंदू परिषद के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। वह 1990 में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने और अपनी कार्यक्षमता की बदौलत पार्टी में संथाल प्रज्ञना के संगठन मंत्री बने।
जनजाति उत्थान संबंधी कार्य में विशेष रुचि होने के कारण पार्टी ने 1992 में उन्हें बिहार राज्य आदिवासी मोर्चा का अध्यक्ष बनाया। 1994 में वह भाजपा के बिहार प्रदेश सचिव और फिर पार्टी की वनांचल समिति के अध्यक्ष बने। उन्होंने पहली बार 1991 में दुमका (सुरक्षित) लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा।
1996 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर दुमका (सुरक्षित) अच्छी तरह से अपनी किस्मत आजमाई लेकिन हार ने उनका साथ नहीं छोड़ा. 1998 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट से श्री सोरेन को पराजित कर उन्होंने बिहार में सनसनी फैला दी।
श्री मरांडी 1998 में केंद्र कि वाजपेई सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री बने। 1999 के लोकसभा चुनाव में यह दुमका (सुरक्षित) सीट में श्री शिबू सोरेन की पत्नी रिबु सोरेन को पराजित कर दूसरी बार संसद पहुंचे से। इस बार फिर वह केंद्र की भाजपा सरकार में वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री बने। श्री मरांडी के परिवार में पत्नी शांति मुरम तथा दो पुत्र है। झारखंड के रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र में संपन्न उपचुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी (भाजपा) ने जीत हासिल की।
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…