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जीव विज्ञान क्या है? और जीवधारियों का वर्गीकरण

जीव विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत जीव धारियों का अध्ययन किया जाता है. बायोलॉजी में bio का मतलब होता है जीवन और logy का अर्थ होता है अध्ययन, तो बायोलोजी का मतलब हो गया जीवन का अध्ययन. जीव विज्ञान शब्द का प्रयोग Lamarck और उनके साथी Treviranus नामक वैज्ञानिकों ने 1801 में शुरू किया था.

जीव विज्ञान क्या है? और जीवधारियों का वर्गीकरण

जीव विज्ञान का एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक अरस्तु के काल में हुआ. उन्होंने ही सर्वप्रथम पौधों और जंतुओं के जीवन के विभिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किए. इसीलिए अरस्तु का जीव विज्ञान का जनक माना जाता है इन्हें जंतु विज्ञान के जनक भी कहते हैं.

जीवधारियों का वर्गीकरण

  • अरस्तू द्वारा समस्त जीवों को दो समूह में विभाजित किया गया था जिनमें से पहला जंतु समूह और दूसरा वनस्पति समूह था.
  • लीनियस ने भी अपनी पुस्तक में संपूर्ण जीव धारियों को दो जगतो में में विभाजित किया जिसमे एक जंतु जगत या दूसरा पादप जगत
  • लीनियस ने वर्गीकरण की जो प्रणाली शुरू की उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नियुक्ति की गई. इसीलिए उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का पिता कहते हैं.

जीव धारियों का पांच जगत वर्गीकरण

परंपरागत द्वि-जगत वर्गीकरण का स्थान Whittaker द्वारा 1969 ईसवी में प्रस्तावित पांच जगत प्रणाली ने ले लिया. इसके अनुसार समस्त जीवों को निम्नलिखित पांच जगत में वर्गीकृत किया है.

1) मोनेरा
2) प्रोटिस्टा
3) पादप
4) कवक
5) जंतु

मोनेरा

इस जगत में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अथार्त जीवाणु, साइनो-बैक्टीरिया तथा आर्की बैक्टीरिया सम्मिलित है. तंतुमय जीवाणु इसी जगत के भाग है.

प्रोटिस्टा

इस जगत में विविध प्रकार के एक कोशकीय प्राय: जलीय यूकैरियोटिक जीव सम्मिलित किए गए हैं. पादप एवं जंतु के बीच में स्थित युग्लीना इसी जगत में है. इस दो प्रकार का जीव पद्धति प्रदर्शित करती है- सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित एवं प्रकाश के अभाव के इतर पोषित इसके  अंतर्गत साधारणतया प्रोटोजोआ आते हैं.

पादप

इस जगत में प्राय: वे सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषी उत्पादक जीव सम्मिलित हैं. शैवाल, मांस, पुष्पीय और अपुश्पीय बीजीय पौधे इसी जगत के अंग है.

कवक

इस जगत में वह यूकेरियोटिक  तथा परपोषित जीवधारी सम्मिलित किए जाते हैं जिनमें अवशोषण द्वारा पोषण होता है. यह सभी इतरपोषी होते हैं. यह परजीवी अथवा मृत्यु परजीवी होते हैं इसकी कोशिका भित्ति काइटिन की बनी होती है.

जंतु

जंतु इस जगत में सभी बहुकोशिकीय जंतुसंभाजी यूकेरियोटिक उपभोक्ता जीव सम्मिलित किए जाते हैं. इनको मोटोजोऔ भी कहते हैं. हाइड्रा, जेलीफिश, कृमि, सितारा, मछली, सरीसृप, उभयचर, पक्षी तथा स्तनधारी जीव जगत के अंग है.

जीवोंं के नामकरण की द्विनाम पद्धति

सन 1753 ईसवी में कैरोलस लीनियस नामक वैज्ञानिक जिनकी वर्गिकी के जन्मदाता भी कहा जाता है, ने जीवोंं की द्विनाम पद्धति को प्रचलित किया. इस पद्धति के अनुसार प्रत्येक जीवधारी का नाम लेटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बनता है पहला शब्द वंश नाम तथा दूसरा शब्द जाती नाम कहलाता है.

वंश तथा जाती नामों के वर्गीकिविद वैज्ञानिक का नाम लिखा जाता है जिसने सबसे पहले उस जाति को खोजा था जिसने इस जाति को सबसे पहले वह वर्तमान नाम प्रदान किया. जैसे- मानव का वैज्ञानिक नाम होमो स्पेनियस लिन है. लिन वास्तव में लीनियस शब्द का संक्षिप्त रूप है इसका अर्थ है कि सबसे पहले लीनियस ने इस जाति को होमोसेपियंस नाम से पुकारा है.

कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम

  • मानव:- Homo Sapiens
  • मेंढक:- Rana Trgrina
  • बिल्ली:- Felis Domestica
  • कुत्ता:- Canis Familiaris
  • गाय:- Bos Indicus
  • मक्खी:- Musca Domestica
  • आम:- Mangifera Indicus
  • धान:- Oryza Sativa
  • गेंहू:- Triticum Aestivum
  • मटर:- Pisum Sativum
  • चना:- Cicer Aestivum
  • सरसों:- Brassica Campestris

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