कार्य

कार्य बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है. इसका मात्रक जुल है.

धनात्मक कार्य

यदि बल विस्थापन के समांतर हो तो कार्य धनात्मक होता है. उदाहरण जब घोड़ा समतल सड़क पर गाड़ी को खींचता है तथा जब कोई वस्तु स्वतंत्र रूप से गुरुत्व के अधीन करती है.

ऋणात्मक कार्य

यदि बल विस्थापन के विपरीत हो तो कार्य ऋणात्मक होता है, उदाहरण- जब कोई वस्तु एक खुरदरी सतह पर फिसलती है.

शून्य कार्य

यदि बल विस्थापन, परस्पर लंबवत होते हैं, तो किया गया कार्य शुन्य होता है तथा बल या विस्थापन किसी एक के शून्य होने पर भी कार्य शुन्य होता है. उदाहरण- जब कोई वस्तु हुई का एक पूरा चक्कर लगाती है तथा जब कुली सिर पर बोझ लिए समतल प्लेटफार्म पर चलता है इत्यादि.

सरल मशीन

सरल मशीन एक ऐसी युक्ति है, जिसमें किसी सुविधाजनक बिंदु पर बल लगाकर, किसी अन्य बिंदु पर रखे हुए बाहर को उठाया जाता है. यह बल-आघूर्ण के सिद्धांत पर कार्य करती है.

ऊर्जा

किसी वस्तु की कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं. ऊर्जा एक अदिश राशि है, इसका मात्रक जूल है. कार्य द्वारा प्राप्त ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा कहलाती है, जो दो प्रकार की होती है-

  • गतिज ऊर्जा
  • स्थितिज ऊर्जा

किसी वस्तु की गति के कारण कार्य करने की क्षमता को वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं. वायु की गतिज ऊर्जा पवन चक्की को चलाने के काम आती है. गतिज ऊर्जा के कारण ही बंदूक की गोली लक्ष्य में धंस जाती है.

किसी वस्तु में उसकी विशेष स्थिति के कारण उर्जा  उसकी स्थितिज ऊर्जा कहलाती है, जैसे- तनी हुई स्प्रिंग की ऊर्जा तथा घड़ी की चाबी में संचित ऊर्जा.

गुरुत्व बल के विरुद्ध सचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है PE = mghl. उर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है, केवल एक रूप में दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है, इसे ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं. ऊर्जा का रूपांतरण करने वाले उपकरण

शक्ति

कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं. यह एक अदिश राशि है. इसका मात्रक वाट है.

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One reply on “कार्य, ऊर्जा एवं शक्ति”

  • Sanjeev rajpoot
    March 3, 2019 at 10:00 pm

    Sanjeev