6 जुलाई 1998
बौद्ध विहार\स्वास्तिक विहार
रायपुर
4963.01 वर्ग किलोमीटर
5 (महासमुंद, सराय पाली, बसना, बागबाहरा, पिथौरा)
1145
05
491
0
03
03
11
10,32,754
5,11,967
5,20,787
1,34,448
68207
66241
71.02
882.05 प्रतिशत
60.25 प्रतिशत है
208 प्रति वर्ग किलोमीटर
1000 : 1017
05
5
11
2,79,896
1,37,339
1,42,557
1,39,581
68,968
17,613
9,12,602
4,51,691
4,60,911
1,20,152
60,276
59,876 ‘
लाल व पीली मिट्टी।
गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, मूंगफली, तिलहन।
बर्नवापुरा।
सिरपुर का मेला, बम हनी का मेला, चंडी का मेला।
लकड़ी चीरने का उद्योग, चावल का दाल मिल।
बिरकोनी ( चंडी माता का मंदिर) खल्लारी माता का मंदिर, नारायण मंदिर, ब्रह्मांमानेश्वरी, वाल्मीकि आश्रम, काली मंदिर, सिंह घोड़ा देवी मंदिर।
6
देव घर जलप्रपात (पिथौरागढ़ महासमुंद)
952 वर्ग किलोमीटर
महासमुंद
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय सथल |
सिरपुर | ऐतिहासिक धार्मिक पुरातात्विक ए | लक्ष्मण मंदिर बौद्ध एवं स्वास्तिक विहार |
तुरतुरिया | धार्मिक प्राकृतिक पुरातात्विक | लव-कुश की जन्म स्थली बौद्ध विहार |
खल्लारी | धार्मिक ऐतिहासिक | प्राचीन देवालय खल्लारी माता मंदिर भीमपाव |
सन 1955-56 में हुए उत्खनन के फल स्वरूप बौद्ध विहार और स्वास्तिक विहार प्रकाश में आए थे. बौद्ध विहार में 14 कक्षाओं से युक्त मुख्य गर्भग्रह में 6.5 फूट ऊँची भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित है. बुद्ध मंदिर के सामने पानी का कुंड तथा चारों और बौद्ध भिक्षुओं की कुटिया बनी हुई है. इनका निर्माण लम्बी इंटों तथा लंबे-लंबे प्रस्तर खंडों से किया गया है. निर्माण की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि यह दो मंजिला रहा होगा. स्वास्तिक विहार भी बौद्ध विहार का लघु रूप दिखाई पड़ता है. बौद्ध विहार का निर्माण छठवीं शताब्दी में महाशिव गुप्त के शासनकाल (595- 655 ईसवी) में आनंद प्रभु द्वारा कराए जाने की जानकारी मिलती है.
पांडु वंश (सोमवश) के राजा हर्ष गुप्त का विवाह मगध के मौखरी राजा सूर्य वर्मा की बेटी वास्ता देवी से हुआ था। वह वैष्णो धर्मावलंबी थी। पति के स्वर्गवास होने के उपरांत पति की स्मृति को चिरस्थाई बनाने हेतु राजमाता वास्ता ने शिरपुर में हरी (विष्णु) का मंदिर बनवाया जो आज लक्ष्मण मंदिर के नाम से विख्यात है। इस समय इनके पुत्र महाशिव गुप्त बाल अर्जुन का शासन (595- 655 ईसवी) था।
लाल ईंटों द्वारा निर्मित यह मंदिर सिरपुर का विशेष आकर्षण है तथा संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है। ईंटों में ही विभिन्न देवी-देवताओं, पशुओं, का सुस्पष्ट आकृतियां मंदिर में ऊपर से नीचे तक उभरी हुई है। ईंटों पर किसी किस्म का प्लास्टर नहीं होने के बावजूद सैकड़ों वर्षो की वर्षा, धूप में अपने सौंदर्य को समेटे खड़ा यह मंदिर वास्तु विद्वान तथा पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर गर्भ गृह में शेषनाग युक्त लक्ष्मण जी की एक प्रतिमा रखी हुई है। संभवत है इसलिए इसे लक्ष्मण मंदिर कहा जाने लगा है।
गंधेश्वर महादेव का स्थापना काल आठवीं शताब्दी में माना जाता है इसका जीर्णोद्धार चिमनजी भोसला राजा द्वारा कराया गया था। यहां काले पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर प्रांगण में भगवान बुध जैन प्रतिमा विष्णु महिषासुर मर्दिनी तथा नटराज की प्रतिमाएं दृष्टिगोचर होती है, जो तत्कालीन धर्मनिरपेक्षता की परिचायक है।
लक्ष्मण मंदिर के पार्श्व में भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा स्थापित एक संग्रहालय है। इसमें सिरपुर में प्राप्त लगभग 100 प्रतिमाएं तथा कलाकृतियां सुरक्षित है। यह कृतियां सेव वैष्णव, बौद्ध, जैन आदि संप्रदायों से संबंधित है प्रतिवर्ष बौद्ध पूर्णिमा के अवसर पर या सिरपुर महोत्सव का आयोजन किया जाता है तथा प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर मेला लगता है।
प्रसिद्धि चीनी यात्री हैंन\सॉग सन 1939 ई. में कलिंग होते हुए दक्षिण कोशल की राजधानी पहुंचा था जिसने अपने यात्रा वृतांत में यहां का रोचक वर्णन किया है किंतु उसने यहां के राजा एवं राजवंश की चर्चा नहीं की है। उसने यहां अशोक के द्वारा स्तूप बनाए जाने का भी उल्लेख किया है। यदि विस्तृत उत्खनन कार्य किया जाए तो यहां मौर्य एवं बुध काल के अवशेष भी प्राप्त होंगे।
यह रायपुर जिले की सीमा को छूता हुआ महासमुंद जिले में महानदी तट पर 80०22’30’ से 82०37’30’ पूर्वी देशांतर तथा 21०81’45’ से 21०30’0′ पूर्वी अक्षांश के मध्य स्थित अभयारण्य है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रम संख्या 6 पर रायपुर के आगे स्थित पेटवा से इसकी दूरी 17 किलोमीटर है।अभयारण्य का संपूर्ण क्षेत्रफल 244.66 वर्ग किलोमीटर है। इस अभयारण्य में हिरणों की संख्या अधिक है। इसके अलावा, बाघ, तेंदुआ, चित्तल, गौर,आदि वन्य प्राणी यहां पाए जाते हैं, सागौन से अधिक वन और उसमें स्थिति यह अभयारण्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। इसकी स्थापना 1976 में हुई थी। नवंबर से जून के मध्य पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
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