आज इस आर्टिकल में हम आपको मनुष्य में पोषण एवं पाचन प्रक्रिया के बारे में बता रहे है.
आहारनाल मनुष्य में भोजन ग्रहण करने के लिए एक नली होती है, जो मुख से लेकर अवश्य कर द्वार तक पाई जाती है. किसी के द्वारा मनुष्य भोजन ग्रहण कर के पाचन तंत्र द्वारा अवशोषण करें अवशिष्ट मल का अवश्कर द्वार द्वारा परित्याग करता है. मनुष्य में आहारनाल की लंबाई कुल 9 मीटर होती है. यह मुख, मुखगुहा, ग्रसनी, छोटी आंत और बड़ी आंत से जुडी होती है.
उन सभी क्रियाओं का कुल योग है, जो भोजन के अंतग्रहण, पाचन, पचे हुए भोजन के अवशोषण और अपचित भोजन के बहिष्कार से संबंधित है.
संयुक्त एवं अघुलनशील भौज्य कणों को सरल, घुलनशील एवं अवशोषण योग्य भोज्य कणों में परिवर्तित करने की क्रिया पाचन कहलाती है. जंतु द्वारा खाया गया भोजन कोशिका का भोजन नहीं होता है, भोजन में ग्रहण किए गए अघुलनशीलता तथा बड़े अनुभव का एंजाइमों की सहायता से जल अपघटन किया जाता है.
भोजन के पाचन की संपूर्ण प्रक्रिया निम्न चरणों में पूरी होती है:- अन्तग्रहण
मुख द्वारा भोजन का मुखगुहा में अन्तग्रहण लार ग्रंथियों भोजन को गिला करके, भौज्य कणों को समूह में लाकर लुगदी बना देती है. लार में स्टारच को तोड़ने वाला एंजाइम टाईलीन पाया जाता है.
पचा हुआ भोजन आंत्र की भित्ति द्वारा अवशोषित होकर यह रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचता है
पचे हुए भोजन के कोशिकाओं द्वारा उपयोग को स्वांगीकरण कहा जाता है.
बिना पचे भोजन को शरीर से बाहर निकालना मल परित्याग कहलाता है.
मानव के स्वास्थ्य और रोगों से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी
यह सबसे बड़ी ग्रंथि होती है, जिसमें एक बड़ी दाई पाली, एक छोटी बाई पाली तथा दो छोटी पालिया, जिन्हें अनुसधिका कहते हैं, पाई जाती है.मुख्य पालियों के पीछे पुछक पाली होती है.दाई पाली की और पिताशय होता है, जो यकृत द्वारा स्त्रावित पित्त रस को संग्रहित करता है. पित्त रस में कोई एंजाइम नहीं होता परंतु इसमें पित लवण तथा वर्णक है होते हैं. यकृत में हिपेटिक कोशिकाओं के मध्य में भक्षक कोशिकाएं होती है.जिन्हें कुफ्र कोशिकाएं कहते हैं. यह कोशिकाएं जीवाणुओं एवं बाह्य पदार्थों का भक्षण करती है. यकृत विरोधी सक्नदन में, ग्लाइकोजन के निर्माण में,रुधिर शर्करा के नियम मन में विटामिन A के संश्लेषण तथा कुछ खनिजों के संग्रहण में सहायक है.
मनुष्य में 32 स्थाई दांत होते हैं, जो चार प्रकार के होते –
यह संख्या में चार होते है तथा भोजन को कुतरने का कार्य करते हैं.
यह संख्या में दो होते हैं तथा भोजन को चीरने, फाड़ने का कार्य करते हैं.
यह संख्या में चार होते है तथा भोजन को चबाने तथा दबाने का कार्य करते हैं.
यह संख्या में 6 होते हैं तथा भोजन चबाने का कार्य करते हैं
भोजन में पोषक पदार्थ है जो किसी जीव द्वारा वृद्धि, कार्य, मरम्मत और विभिन्न क्रियाओं के संचालन हेतु ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ग्रहण किया जाता है.यह विभिन्न पदार्थों का मिश्रण होता है, जीन की मात्रा एवं उनके अवयव भिन्न भिन्न हो सकते हैं.
आज इस आर्टिकल में हमने आपको मनुष्य में पोषण एवं पाचन प्रक्रिया, मानव पाचन तंत्र भागों और कार्यों, मानव पाचन क्रिया, पाचन तंत्र की परिभाषा, गाय का पाचन तंत्र के बारे में बताया है, अगर आपको इससे जुडी कोई अन्य जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते है.
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…