नाना फडनवीस का मूल नाम ‘बालाजी जनार्दन भानु’ था
शिवाजी का जन्म 1627 ई. में पूना के निकट शिवनेर के दुर्ग में हुआ था उनके पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था शिवाजी के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव उनकी माता जीजाबाई तथा संरक्षक एवं शिक्षक दादा कोणदेव का पड़ा इनके गुरु का नाम समर्थ रामदास था
शिवाजी, औरंगजेब से बहादुरी के साथ लडे थे 1665 ई. में औरंगजेब ने कछवाहा राजा जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा था, जिसने शिवाजी को पराजित कर पुरंदर की संधि (1665 ई.) करने के लिए बाध्य किया
छत्रपति शिवाजी को हराने के लिए औरंगजेब ने राजा जय सिंह को भेजा था दोनों के मध्य पुरन्दर की संधि 11 जून, 1665 ई. को हुई
1660 ई. में औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खां को दक्षिण का सूबेदार नियुक्त किया और शिवाजी को खत्म करने का आदेश किया उसने शिवाजी के विरुद्ध पूना, चाकन और कल्याण सहित कुछ स्थानों और किलों को जितने में सफलता पाई, परन्तु 1663 ई. में शिवाजी ने रात्रि के समय पूना में शाइस्ता खान के निवास-स्थान पर आक्रमण कर दिया इस संघर्ष में शाइस्ता खां का अंगूठा कट गया और उसका पुत्र फ़तेह खान मार डाला गया
छत्रपति शिवाजी (1627-1680) ने सूरत को दो बार लूटा प्रथम बार फरवरी, 1664 में व दूसरी बार अक्टूबर, 1670 में
राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई ने अपने चार वर्षीय पुत्र को शिवाजी द्वितीय के नाम से गद्दी पर बैठाया और मुगलों से स्वतंत्रता हेतु संघर्ष जारी रखा
शिवाजी का राज्यभिषेक काशी के प्रसिद्ध विद्वान गंगा भट्ट अथवा विश्वेश्वर भट्ट द्वारा 6 जून, 1674 ई. में अपना राज्याभिषेक यहीं पर करवाया गया था.
शिवाजी के पास एक छोटा तोपखाना था, जिसमें लगभग 200 तोपें थी ये तोपें फ्रांसीसियों, पुर्तगालियों तथा अंग्रेज से खरीदी गई थी
बालाजी बाजीराव ‘नाना साहब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे यह बाजीराव प्रथम के पुत्र थे इनका शासन 1740-61 ई. तक था
मराठा राज्य में पेशवा व्यवस्था बालाजी विश्वनाथ के साथ ही शुरु हुई थी इस प्रकार बालाजी विश्वनाथ को ही पेशवा व्यवस्था का संस्थापक माना जाता है.
1761 में पानीपत की तीसरी लडाई अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली व मराठों के बीच लड़ी गई थी इस समय दिल्ली का शासक मुग़ल बादशाह शाहआलम II (अलीगौहर) था इस युद्ध में मराठों की हार हुई
प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82 ई.) का कारण मराठों के आपसी झगड़े तथा अंग्रेजों की महत्वाकक्षाएं थी 1782 ई. में सालबाई की संधि (अंग्रेज तथा महादजी सिंधिया के बीच) द्वारा प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध समाप्त हो गया तथा एक-दूसरे के विजित क्षेत्र वापस कर दिए गए तथा अगले 20 वर्षों तक शान्ति बनी रही
एल्फिंस्टन ने पेशवा बाजीराव द्वितीय से उसकी इच्छा न रहने पर भी 13 जून,1817 ई. को पूना की संधि पर हस्ताक्षर करवाए इस संधि से पेशवा को मराठा संघ की प्रधानता छोड़ देनी पड़ी
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