आज इस आर्टिकल में हम आपको मौर्य साम्राज्य की विस्तृत जानकारी देने जा रहे है-
चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद शासक धनानंद को अपदस्थ करें 322 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य मगध का था. उसने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी. साम्राज्य विस्तार के दौरान 325 ई. पु. में चंद्रगुप्त मौर्य का संघर्ष यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर के साथ हुआ .चंद्रगुप्त सेल्यूकस के युद्ध का वर्णन एम्पियान्स ने किया है.
सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में अपने राजदूत मेगास्थनीज की नियुक्ति की. मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र में रहते हुए इंडिका की रचना की. चंद्रगुप्त को सैंड्रोकोट्स के नाम से भी जाना जाता है. चंद्रगुप्त मौर्य ने सौराष्ट्र, मालवा, अवंती के साथ है सुदूर दक्षिण भारत के कुछ हिस्से को मगध साम्राज्य में मिलाया.
प्लूटार्क के अनुसार चंद्रगुप्त ने 600000 सैनिक लेकर संपूर्ण भारत को रौंद डाला. अपने अंतिम समय में चंद्रगुप्त जैन सन्यास भद्रबाहु के साथ है ऋव्णबेलगोला ( कर्नाटक) पहुंचा. उसने चंद्र गिरी पर्वत पर चंद्रगुप्त की बस्ती बसाई, जहां 297 ई.पु.मैं लंबे उपवास के बाद में उसका निधन हुआ.
चंद्रगुप्त के पश्चात 297 ई.पु, मैं बिंदुसार शासक.बना. यूनानी लेखकों ने बिंदुसार को अमित्रोचेट्स कहा. उसे भद्रसार सिहसेन भी कहा गया है. बिंदुसार के शासन काल में तक्षशिला में दो गुजरे हुए. प्रथम को अशोक नेता दूसरे विद्रोह को सूसिम ने दबाया. बिंदुसार आजीवक संप्रदाय को संरक्षण देने वाला पहला मौर्य शासक था. 273 ई.पु. मैं उसकी मृत्यु हो गई.
सम्राट अशोक ने 273 ई.पु. मैं ही शासन प्राप्त कर लिया था, परंतु 4 साल तक गृह युद्ध में रत रहने के कारण अशोक का वास्तविक राज्यभिषेक 269 ई. पू. में हुआ. राज्य अभिषेक के 8 वें वर्ष अर्थात: 261 ई. पु. में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया. कलिंग युद्ध में व्यापक हिंसा के बाद उसने युद्ध विजय की जगह धम्म विजय को अपनाया था उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली.
बौद्ध धर्म अपनाने के बाद उसने बौद्ध धर्म का प्रचार- प्रसार किया. उसने अपने पुत्र महेंद्र तथा पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए श्रीलंका भेजा. अशोक ने विहार यात्रा की जगह बौद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा अर्थार्थ धम्म यात्रा को प्रेरित किया. उसने दम को स्थापित करने के लिए धम्ममर्हामात्र ( 13वें वर्ष) नमक अधिकारियों की नियुक्ति की. अशोक के शिलालेख ब्राह्मणी, ग्रीक, और माइक था खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण है, जबकि सभी संलेख प्राकृतिक भाषा में है.
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मेगास्थनीज ने नगर प्रशासन का वर्णन इंडिका में किया है, इसके अनुसार नगर का प्रशासन 30 सदस्यों का एक मडल करता था, 26 समितियों में विभक्त था. प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे. मौर्य काल में प्रांतों को चक्कर कहा जाता था, 2 मंडलों में विभाजित है. भविष्य आहार कहा जाता था. मौर्य काल में दीवानी न्यायालय धर्मपत्नी तथा फौजदारी न्यायालय कंटक शोधन कहलाता था. इस काल में गुप्तचरों को गुड पुरुष कहा जाता था. नगरों में दो प्रकार की समितियां थी- चेन्नई तथा सामान्य प्रशासन. एग्रोनॉमई मार्ग निर्माण का अधिकारी था.
प्रांत राजधानी | प्रांत राजधानी |
उत्तरापथ तक्षशिला | दक्षिणापथ सुवर्णागिरि |
अवंति उजयीनी | प्रांची पाटलिपुत्र |
कलिंग तोसली |
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