संविधान के अनुच्छेद 241(1) के तहत वर्ष 1950 में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई, उस समय एक मुख्य न्यायमूर्ति और 7 अन्य न्यायधीश थे. न्यायधीश थे वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायधीश और 30 अन्य न्यायधीश है.
अनुच्छेद 124 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश और उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों के परामर्श द्वारा की जाएगी, जिन से परामर्श करना राष्ट्रपति आवश्यक समझे. मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर किसी न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में, भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श लेना आवश्यक है.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के अवकाश ग्रहण की अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष है. भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे कनिया थे. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं. न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते, पेंशन आदि का निर्धारण संसद द्वारा किया जाता है.
उच्चतम तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों (मुख्य न्यायाधीश सहित) की नियुक्ति तथा अंतरण हेतु न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना की गई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश तथा भारत के कानून मंत्री इसके सदस्य होंगे. किन्ही भी दो सदस्यों की असहमति होने पर नियुक्ति अथवा अंतरण संभव नहीं होगा.
एक व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है, यदि उसके पास निम्नलिखित योग्यताएं हैं वह भारत का नागरिक हो, वह कम से कम 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय अथवा दो या दो से अधिक के न्यायालयों का दर्द रह चुका हो या कम से कम 10 वर्ष तक उच्चतम न्यायालय का वकील या अधिवक्ता रह चुका हो.
संविधान की व्याख्या से संबंधित मामलों में अपील का न्यायाधिकार संविधान न्यायाधिकार समान की धारा 132 ने यह व्यवस्था दी है कि भारत के क्षेत्र में उच्च न्यायालय के किस भी निर्णय, या अंतिम निर्णय की अपील सर्वोच्च न्यायालय में स्वीकार्य है. यदि उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर देता है के मुकदमे में कानून की संवैधानिक व्याख्या से संबंधित कोई महत्वपूर्ण प्रशन उलझा है.
न्यायिक पुनरीक्षण के अधिकार के तहत सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित किए गए किसी भी कानून को इस आधार पर ऐसे वैधानिक घोषित कर सकता है कि यह संविधान की व्यवस्था का उल्लंघन करता है.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश को केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है. इसे संसद के प्रत्येक सदन के संबोधन के बाद पारित किया जाता है और इसे सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत का समर्थन प्राप्त होना चाहिए. इसे दुर्व्यवहार या एक अक्षमता सिद्ध होने के आधार पर,इसी सत्र में, ऐसी बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रपति को पेश किया गया हो. संसद को यह शक्तियां दी गई है कि वह एक संबोधन और एक न्यायाधीश के व्यवहार या अक्षमता की जांच या साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करें.
संविधान के अनुच्छेद 214 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक न्यायालय होगा. भारत में 24 उच्च न्यायालय है. मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, में वर्ष 2013 में उच्च न्यायालयों की स्थापना की गई है. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हुए संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद करता है.
महान्यायवादी सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है, इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा वह उसके प्रसादपर्यंत पद धारण करता है. महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएं होनी चाहिए, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती है.
पद | शपथ | त्याग- पत्र |
राष्ट्रपति | मुख्य न्यायाधीश | उप- राष्ट्रपति |
उप- राष्ट्रपति | राष्ट्रपति | राष्ट्रपति |
प्रधानमंत्री | राष्ट्रपति | राष्ट्रपति |
राज्यपाल | संबंध राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश | राष्ट्रपति |
मुख्य न्यायाधीश | राष्ट्रपति | राष्ट्रपति |
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