आज दुनिया भर में soft copy से hard copy बनाने के लिए जो डिवाइस इस्तेमाल हो रहा है उसे ही हम प्रिंटर के नाम से जानते है. अगर हमारे पास कंप्यूटर में कोई डाटा है जिसको हम किसी पेज पर प्रिंट करना चाहते है तो इसके लिए प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है. आज इस आर्टिकल में हम आपको प्रिंटर क्या है और इसके प्रकार के बारे में बताने जा रहे है.
प्रिंटर सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग प्रदर्शित सूचना की कागज पर कॉपी के रूप में प्राप्त करने के लिए किया जाता है. प्रिंटर कम्प्यूटर पर प्रोसेस्ड संख्यात्मक व वैज्ञानिक गणनाओं, टेक्स्ट, टेबल्स तथा प्रतिबिम्बों को आसानी से प्रिंट कर सकता है.
प्रिंटर की प्रिंटिंग अच्छी होती है जिसे अक्षर प्रति सेकेंड या पेज प्रति मिनट में मापा जाता है. प्रिंटिंग गति प्रिंटरो की गुणवता पर निर्भर करता है.
प्रिंटर की दो भिन्न श्रेणियों
इन प्रिंटर्स में प्रिंटिंग हैड तथा कागज का सीधा यांत्रिक सम्बन्ध होता है. प्रिंट हैड में पिंन स्याही पट्टी या रिबन पर सीधा जाकर लगते है इससे पिन के डांट कागज पर अक्षर या नम्बर बना देते है. ऐसे प्रिंटर्स कम खर्चीले होते है.
इम्पैक्ट प्रिंटर के निम्न उदाहरण है :
डेजीव्हील प्रिंटर ठोस फॉन्ट करैक्टर्स को बिन्दुओ की तीव्र गति से प्रिंट करता है. इसमें अक्षरों वाला एक चक्र होता है जिसके प्रत्येक खाँचे पर अक्षर उभरा होता है. प्रिंट हथौड़ी इन अक्षरों पर आउटपुट के लिए आकर लगता है और इच्छित अक्षर प्रिंट हो जाता है.
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में एक बार में एक ही अक्षर छपता है. करैक्टर्स छोटे-छोटे डॉट्स से बने होते है. ये बिंदु प्रिंट हेड के पिनो से बनते है. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के एक प्रिंट हेड में 9 से 24 पिन तक हो सकते है. इन पिनो के प्रिंटर रिबन पर आकर लगने से कागज पर बने बिन्दुओ द्वारा छपते है.
यह प्रिंटर एक बार में एक पूरी पंक्ति को प्रिंट करता है इन प्रिंटरों को सामान्यत अत्यधिक उच्च प्रिंटिंग अनुप्रयोगों के लिए बनाया गया होता है. ये कई घंटो तक लगातार काम कर सकते है. इनमे प्रति मिनट 150 से 2,400 पंक्तियों तक प्रिंट की जा सकती है. लाइन प्रिंटर ड्रम होता है जिस पर अक्षर उभरे होते है.
चेन प्रिंटर में एक इस्पात की पट्टी होती है जिस पर अक्षर उभरे होते है. जब यह घूमती है तो एक हथौड़ी काम करने लगती है जो इच्छित अक्षर के पट्टी के सामने आते ही अक्षर पर जा लगती है.
इस प्रकार के प्रिंटर में पिन व रिबन नहीं होते. इनमे प्रिंट हेड तथा कागज के मध्य कोई यांत्रिक सम्पर्क भी नहीं होता.इन प्रिंटरों में तापीय , रासायनिक विद्युत् स्थैतिकी तथा इंकजेट तकनीको के प्रयोग से छिद्रों या लेजर किरणों से रंग का छिडकाव कर छपाई की जाती है. ऐसे प्रिंटर्स सर्वोतम गुणवत्ता वाली आउटपुट प्रदान करते है.
इंक-जेट प्रिंटर अपने प्रिंट हेड की स्याही की छोटी बूंदों का छिडकाव कर उच्चस्तरीय गुणवत्ता वाली आउटपुट प्रदान करता है. इस प्रिंटर के प्रिंट हेड में अनेक छोटे-छोटे छिद्र होते है जिसके माध्यम से स्याही छिडकी जाती है. इंक जेट प्रिंटर की गति धीमी होती है. यह प्रति मिनट 2 से 10 पृष्टो तक प्रिंट कर सकता है.
लेजर प्रिंटर तीव्र गति वाला व सर्वक्षेष्ठ गुणवत्ता वाली आउटपुट देने वाला प्रिंटर है. इसमें लेजर किरणों एवं स्याही का प्रयोग कर प्रतिबिम्बों को देखने लायक बनाते है और फिर उसे कागज पर स्थानातंरित कर दिया जाता है प्रत्येक लेजर प्रिंटर का अपना सी.पी यू. – सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट होता है. यह सी.पि यू. निर्देशों को प्रोसेस करता है तथा सुचना-प्रवाह को भी नियंत्रित करता है. इसके अलावा सी.पी.यू. टेक्स्ट तथा प्रतिबिम्बों की प्रिटिंग की गति भी निर्धारित करता है.
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