पर्यावरण किसी जीव का भौतिक, रासायनिक तथा जैविक वातावरण है जिसमें वह जीव निवास करता है.
पर्यावरण में जैविक तथा अजैविक घटक निहित है.
अधिक कचरा व अधिक प्रदूषण उत्पन्न होने से पर्यावरण (वायुमंडल आदि) का ह्रास कहलाता है।
एंजाइम विशेज पदार्थों में क्रिया करते हैं। वे केवल विशेष पदार्थ पर/की क्रिया की गति को कम या अधिक कर सकते हैं।
जीवशाला, फसली खेती।
हरे पौधे जो अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा स्वयं संश्लेषित कर लेते हैं, उत्पादक कहलाते हैं, इन्हें स्वपोषी भी कहते हैं।
हरे पौधे द्वारा सूर्य की ऊर्जा (सौर ऊर्जा) का सीधे ही रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन, प्रकाश संश्लेषण कहलाता है।
यह एक मानव निर्मित पारितंत्र है जिसमें जल, शैवाल, जलीय पौधे, मछलियां आदि होते हैं।
पारितंत्र एक स्व:निर्भर तंत्र होता है जिस में जैविक व अजैविक घटक एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
क्योंकि यह अजैव निम्नीकरणीय है और जीवाणुओं व कवक के द्वारा बिना अपघटीत हुए पर्यावरण में बने रहते हैं।
जैव निम्नीकरणीय, अजैव निम्नीकरणीय
वे पदार्थ जिन्हें अपघटक सरल पदार्थों में अपघटीत नहीं कर सकते, अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ का कहलाते हैं।
कांच, प्लास्टिक, DDT, पॉलिथीन आदि।
वे पदार्थ जिन्हें सूक्ष्म जीव अपघटीत करके सरल पदार्थों में बदल देते हैं, जेव निम्नीकरणीय पदार्थ कहलाते हैं।
गोबर, कृषि अपशिष्ट है, फल, सब्जियां, कागज, मृत जंतु और पौधे की।
किसी पारितंत्र में जीवों की श्रंखला जिसमें एक जीव दूसरे जीव को खाता है तथा स्वयं अन्य जीव द्वारा खाया जाता है खाद्य श्रंखला कहलाती है।
जलपलव्क-कीट लारवा-छोटी मछली- बड़ी मछली
केवल 1% भाग।
पारितंत्र जैविक तथा अजैविक घटकों से मिलकर बना होता है।
वह मृत जीव सूक्ष्म जीव, ऐसे कवक जीवाणु जटिल कार्बनिक पदार्थों का सरल कार्बनिक पदार्थों में गठित कर देते हैं, अपघटक कहलाते हैं।
क्योंकि हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपने व दूसरों के लिए भोजन संश्लेषित करते हैं।
पौधे तथा शैवाल जो अपना भोजन पोषण एवं संश्लेषित कर लेते हैं स्वपोषी कहलाते हैं।
वह जीव जो अपने पोषण के लिए केवल पौधों तथा उनके उत्पादों पर निर्भर करते हैं, शाकाहारी जीव कहलाते हैं।
गाय, हिरण, टिंडा, खरगोश आदि।
वे जीव जो केवल अन्य जीवो या उनका मांस खाकर निर्वाह करते हैं मांसाहारी जीव कहलाते हैं।
शेर, बाघ।
वह जीव जो अपने पोषण के लिए पादप उत्पाद (पौधे) तथा जंतु उत्पाद (मांस) दोनों पर निर्भर करते हैं सर्वाहारी कहलाते हैं।
तिलचट्टा, कुत्ता, बिल्ली, मानव आदि।
वह जीव जो अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकते बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर करते हैं विषमपोषी कहलाते हैं।
वह जीव जो दूसरे जीव के शरीर में या उसके ऊपर रहकर पोषण ग्रहण करते हैं, परजीवी कहलाते हैं।
प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी), फीता कर्मी, गोला कर्मी।
अमरबेल।
पोषक तत्वों का पुन: चक्रिकरण
यह पारितंत्र की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न करेगा तथा इससे जैव रासायनिक चक्र रुक जाएगा।
नहीं, केवल उर्जा के 1 प्रकार को अन्य प्रकार में परिवर्तित करते हैं।
एक पोसी स्तर से दूसरे पोषी स्तर तक केवल 10% ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, जैसे 90% ऊर्जा जो अपने वृद्धि व विकास उपापचय के लिए ही प्रयोग कर लेते हैं।
ओजोन परत का कुछ विशेष क्षेत्रों में पतला होना ओजोन छिद्र कहलाता है।
ऑक्सीजन जीवो के जीवित रहने के लिए आवश्यक है तथा ओजोन एक जहरीली गैस है वह वायुमंडल की पृथ्वी के समीप वाले शहर में विद्यमान है।
ओजोन परत का पतला होना या लुप्त होना ओजोन क्षय कहलाता है।
क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs) तथा एयरोसोल।
शीतलन में तथा अग्निशमन में।
हां, यह हरित गृह प्रभाव को बढ़ावा देती है।
घरों से तथा उद्योगों से निकला ठोस कचरा जैसे भूमि पर फेंक दिया जाता है।
क्योंकि कुल्हड़ बनाने में ऊपरी उपजाऊ भूमि की हानी होती है।
ओजोन।
जैव निम्नीकारणीय पदार्थ
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…