प्रयुक्त यांत्रिक से जुडी जानकारी

भौतिक विज्ञान की वह शाखा का जिसका संबंध बल के नियमों तथा पिंडों पर इसके प्रभाव से होता है, यांत्रिकी कहलाता है। यांत्रिकी विज्ञान के विभिन्न नियमों व सिद्धांतों तथा उसके दैनिक इंजीनियरिंग कार्यों में उपयोगों का व्यवस्थित अध्ययन में प्रयुक्त यांत्रिकी कहलाता है।

बल

बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु की स्थिति या अवस्था में परिवर्तन लाता है या परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इसकी इकाई MKS प्रणाली में किलोग्राम, CGS प्रणाली में डाईन तथा FPS प्रणाली में पाउंड है। SI प्रणाली में बल की इकाई न्यूटन है।

बलों के समांतर चतुर्भुज का नियम

इस नियम के अनुसार किसी कण पर कार्यरत दो बलों को यदि किसी समांतर चतुर्भुज की दो आसन्न भुजाओं तथा परिमाण तथा दिशा में निरूपित करें, तो उन बलों का परिणामी परिमाण तथा दिशा में, उस समांतर चतुर्भुज के विकर्ण द्वारा निरूपित किया जाता है जो उन दोनों बलों के उभयनिष्ठ बिंदु से गुजरता है।

जहां P तथा Q दो बल है, θ दोनों बलों के बीच का कोण है तथा α एक बल P तथा परिणामी R के बीच का कोण है।

न्यूटन के गति के नियम

प्रथम नियम

यह जड़त्व का नियम भी कहलाता है। इस नियम के अनुसार प्रत्येक वस्तु अपनी विराम अवस्था अथवा गति अवस्था तब तक बनाए रखती है जब कि उस वस्तु पर कोई बाहरी बल कार्य ना करें।

द्वितीय नियम

इसे संवेग परिवर्तन का नियम भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए बल के समानुपाती होती है तथा बल की ही दिशा में होती है।

तृतीय नियम

इसे क्रिया प्रतिक्रिया का नियम भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार के लिए था क्रिया तथा प्रक्रिया परिमाण में समान तथा दिशा में विपरीत होती है।

वेरीगनन का प्रमेय

इस नियम के अनुसार किन्हीं दो समतलीय बलों का उनके समतल में स्थित एक बिंदु के सापेक्ष आघूर्णो का बीजगणितीय योग उसी बिंदु बिंदु के सापेक्ष उनके परिणामी के आघूर्ण के बराबर होता है।

आघुर्ण का प्रमेय

यदि किसी पिंड पर लगे सभी बलों आघूर्णों का बीजगणितीय योग शून्य है, तो पिंड घूर्णन के संदर्भ में संतुलन में होगा।

लीवर

यह एक ऐसी दृढ़ घरन होती है जिसके बीच में किसी वांछित स्थान पर आलम्ब रख दिया जाए, तो सिरों पर बल लगाने पर धरन उस आलम्ब के परित: घूम सकती है।

लीवर के प्रकार

1. सीधी छड़ वाले लीवर

प्रथम प्रकार, द्वितीय प्रकार, तृतीय प्रकार

2. मूडी छड़ वाले लिवर

बलयुग्म

यदि दो समान परिमाण के समांतर बल विरोधी दिशाओं में एक पिंड पर कार्यरत हो, तो उन्हें बलयुग्म कहते हैं, यह उनकी क्रिया रेखाओं अलग अलग हो।

बलयुग्म का आघूर्ण = बल x बलयुग्म भुजा

इसका मात्रक MKS प्रणाली में किग्रा- मी है तथा यह एक सदिश राशि है।

संतुलन का बल नियम

बल निकाय तभी संतुलन में होगा जब परिणामी बल संतुलन में हो अर्थात सभी बलों के किन्ही दो परस्पर लंब दिशाओं X तथा Y में वियोजित भागों का बीजगणितीय योग शून्य होना चाहिए अर्थात X तथा Y = 0

संतुलन का आघूर्ण नियम

पिंड पर कार्यरत बल निकाय तभी संतुलन में होगा यदि सभी बलों के उनके तल में स्थित किन्ही बिंदु पर आघूर्णों का बीजगणितीय योग हो अर्थात

M = 0

धरन के प्रकार

  1. कैंटीलीवर बीम
  2. स्पेशली सपोर्टेड बीम
  3. ओवर हैंगिंग बीम
  4. फिक्स बीम
  5. कंटिन्यूअस (लगातार) बीम

भार के प्रकार

  • डेड लोड (जड़ भार)
  • लाइव लोड (जीवित भार)
  • स्टेटिक लोड
  • डायनेमिक लोड (गतिक भार)
  • कंसट्रैक लोड (सेकेंद्रित भार)
  • यूनीफोर्मली डिस्ट्रीब्यूटेड भार (एक समान वितरित भार)

कर्तन बल

धरन कि किसी काट पर कर्तन बल का मान उस काट के केवल एक और लगे सभी बलों का बीजीय योग होता है।

नमन घूर्ण

किसी भारित धरन के किसी परिच्छेद के परित: नमन आघुर्ण या बकन आघुर्ण का मान उसे परिछेद के केवल एक और लगे सभी बलों का उसी परीच्छेद के परित: आघुर्ण का बिजीय योग होता है।

गुरुत्व केंद्र

जिस बिंदु पर किसी वस्तु का कुल भार है केंद्रित माना जा सके, वह बिंदु गुरुत्व केन्द्र कहलाता है।

जड़त्व

वस्तु का वह गुण जो उसकी वर्तमान अवस्था में परिवर्तन किए जाने का विरोध करता जड़त्व कहलाता है।

जड़त्व आघुर्ण

किसी के पारित: घूमने वाली वस्तुओं का वह पूर्ण जो उसकी घूर्णन गति में परिवर्तन का विरोध करता है, उस वस्तु का उस घूर्णन अक्ष के परित: जड़त्व आघुर्ण कहलाता है।

घर्षण

यह एक मन धन बल है जो सदा गति या संभावित गति की दिशा में कार्य करता है। यह वस्तुतः संपर्क में आने वाली सतहों के खुरदरेपन के कारण होता है।

घर्षण के प्रकार

  1. वस्तु के गति में आने से पूर्व संपर्क सतह पर पैदा हुआ प्रतिरोध स्थितिक घर्षण कहलाता है।
  2. गति घर्षण : एक बार गति प्रारंभ हो जाने पर सताओं पर गति के दौरान लगता रहने वाला प्रतिरोध गतिज घर्षण कहलाता है। यह मान स्थितिक घर्षण से कुछ कम होता है।

घर्षण के नियम

  1. वर्षण सदा लगाए गए बल के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
  2. वह धरातल की प्रकृति पर निर्भर करता है। चिकने धरातल पर कम तथा पूरे धरातल पर आकर्षण का मान अधिक होता है।
  3. दौ धरांतलों के बीच का घर्षण (F) उनके बीच की प्रतिक्रिया (R) के समानुपाती होता है।
  4. जब कोई वस्तु के तल पर पड़ी हो, तो उसका स्लाइडिंग कौण, tan 0 = uu होता है।

यंत्र

कड़ियों का एक समायोजन जो ऊर्जा के परीक्षण या परिवर्तन में प्रयोग किया जाए यंत्र कहलाता है।

उत्थापक यंत्र

वे सभी उपकरण जो कम अयाश लगाकर अपेक्षाकृत अधिक भार उठाने हटाने का कार्य करते हैं उत्थाक यंत्र कहलाते हैं।

यांत्रिक लाभ

स्थापक यंत्रों में यांत्रिक लाभ लगाए गए आयास p तथा उठाए गए बाहर W के अनुपात को कहते हैं।

यांत्रिक लाभ = भार\ आभार = W\P

वेग अनुपात

स्थापक यंत्रों में उठाने की क्रिया में भार द्वारा एवं उसे उठाने में आयास द्वारा चली गई दूरियों के अनुपात को वेग अनुपात कहते हैं।

वेग अनुपात = भार द्वारा चली गई दूरी/आभार द्वारा चली गई दूरी

  • इनपुट कार् अयास द्वारा किए गए कार्य को इनपुट कार्य कहते हैं।
  • आउटपुट कार्य भार द्वारा किए गए कार्य को आउटपुट कार्य कहते हैं।

यांत्रिक दक्षता

यंत्र द्वारा किए गए आउटपुट कार्य तथा किए गए इनपुट कार्य के अनुपात को यांत्रिक दक्षता कहा जाता है।

यांत्रिक दक्षता = आउटपुट कार्य\इनपुट कार्य

यंत्रों के प्रकार

  1. आनत तल
  2. उत्तोलक
  3. घिरनी
  4. पहिया तथा धुरी
  5. फनी
  6. स्क्रू जैक
  7. गियर

प्रतिबल

किसी वस्तु के इकाई क्षेत्रफल में लगाया गया बल प्रतिबल कहलाता है। वस्तु पर जब बल लगाया जाता है तो उस वस्तु के अंदर प्रतिरोध उत्पन्न होता है। जिसे प्रतिरोध बल कहते हैं। इसी प्रतिरोध बल को प्रतिबल कहते हैं।

प्रतिबल = बल\ क्षेत्रफल

इसको इकाई MKS प्रणाली में किलोग्राम\मी2 तथा SI प्रणाली में न्यूटन\मी2 है।

प्रतिबल के प्रकार

  1. तनन प्रतिबल
  2. संपीडन प्रतिबल
  3. अपरूपण प्रतिबंध
  4. नमन प्रतिबल

विकृति

जब किसी वस्तु पर लगाते हैं, तो उसके आकार में परिवर्तन हो जाता है। आकार में इस परिवर्तन को विकृति कहते हैं।

विकृति = आकार में परिवर्तन\ मूल आकार

इसमें कोई इकाई नहीं होती है।

विकृति के प्रकार

  1. तनन विकृति
  2. संपीडन विकृति
  3. अपरुपण विकृति

हुक का नियम

इस नियम के अनुसार प्रत्यास्थता सीमा के अंदर प्रतिबल विकृति के समानुपाती होता है।

प्रतिबल विकृति

प्रतिबल\विकृति = प्रत्यास्थता गुणांक (E)

पायसन अनुपात

पर विकृति तथा सीधी विकृति के अनुपात को पायसन अनुपात कहते हैं।

पायसन अनुपात = पार्श्व विकृति\ सीधी विकृति

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