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रायपुर का संभाग कहां है?
रायपुर संभाग
रायपुर जिले का उपनाम क्या है?
छत्तीसगढ़ का प्रयाग/वाल्मीकि की पुण्य भूमि
रायपुर का क्षेत्र कितने वर्ग किलोमीटर में स्थित है?
2914,37 वर्ग किमी
रायपुर की तहसील कहां स्थित है?
4, अभनपुर, आरंग, तिलदा, धारसिवान।
रायपुर की जनसंख्या रैंक कितनी थी 2011 में?
1
रायपुर की कुल जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
21,60,876
रायपुर की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
11,00,861
रायपुर की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार महिला की जनसंख्या कितनी थी?
10,60,015
रायपुर में 0-6 आयु की कुल जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
3,04,044
रायपुर में 0-6 आयु की कुल जनसंख्या 2011 में पुरुष की संख्या कितनी थी?
1,55,199
रायपुर में 0-6 आयु की कुल जनसंख्या 2011 में महिला की संख्या कितनी थी?
1,48,845
रायपुर में 2011 में साक्षरता दर कितनी प्रतिशत थी?
80.52%
रायपुर के कुल साक्षरता दर 2011 के अनुसार पुरुष साक्षरता दर कितनी प्रतिशत थी?
87.97%
रायपुर के कुल साक्षरता दर 2011 के अनुसार महिला साक्षरता दर कितनी प्रतिशत थी?
72.79%
रायपुर की कुल जनसंख्या का घनत्व 2011 में कितने प्रति वर्ग किलोमीटर था?
742
रायपुर में लिंग अनुपात 2011 में कितना था?
1000 : 963
रायपुर की जनसंख्या घनत्व में रैंक 2011 में कितनी थी?
तीन
रायपुर में साक्षरता में 2011 में कितनी रैंक थी?
2
रायपुर के कुल गांव की संख्या कितनी है?
485
रायपुर में राजस्व गांव की संख्या कितनी है?
485
रायपुर में कुल तहसील कितनी है?
04
रायपुर में जनपद पंचायत कितनी है?
4
रायपुर में ग्राम पंचायत कितनी है?
408
रायपुर में नगर निगम कितने हैं?
02
रायपुर में नगर पालिका कितनी है?
03
रायपुर में नगर पंचायत कितनी है?
04
रायपुर का इतिहास
- 14वीं सदी के अंतिम चरण में रतनपुर के कल्चुरी राज्य से एक शाखा अलग हो गई एवं उसने रायपुर को अपनी राजधानी बनाया.
- वर्तमान रायपुर का अभ्युदय खारुद नदी के तट पर स्थित रायपुर ग्राम से होता है. यह स्थल आज पुरानी बस्ती के नाम से जाना जाता है.
- कल्चुरी वंश के रतनपुर के राजा राय ब्रह्मादेव इस अंचल में 1401 ईसवी में प्रविष्ट हुए तथा रायपुर ग्राम को प्रशासन हेतु उपयुक्त समझकर उसे राजधानी का रूप दिया एवं नगर बसाया.
- 1741 में मराठों के आक्रमण के पश्चात उनके आधिपत्य में लगभग 80 वर्ष रहा. तत्पश्चात 1818 ईस्वी में तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में मराठों की पराजय से संपूर्ण छत्तीसगढ़ अंग्रेजों के नियंत्रण में चला गया.
- 1818 ईस्वी में अंग्रेज कर्नल एगेन्यू, जोकि छत्तीसगढ़ के ब्रिटिश प्रशासक थे, ने छत्तीसगढ़ की राजधानी रतनपुर से रायपुर स्थानांतरित की।
- 1861 में मध्यप्रांत के गठन के पश्चात 1862 ईसवी में छत्तीसगढ़ एक पृथक संभाग बना जिसका मुख्यालय रायपुर बना।
- छत्तीसगढ़ में उद्योगों को प्रोत्साहन हेतु रायपुर में 1982 में टास्क फोर्स की स्थापना की गई है
रायपुर की GK Information
- मिट्टी- लाल मिट्टी
- फसलें- चावल, गन्ना, अरहर, तिलहन, अलसी, गेहूं, मूँग
- अभयारण्य- उदंती अभयारण्य, नंदनकानन अभ्यारण्य।
- नदिया- पैरी नदी, इंद्रावती, खारुन, जोंक।
- लाभ देने वाली परियोजनाएं- महानदी, पैरी, कोडर, जोक, रविशंकर सागर, दुधवा बांध परियोजना।
- खनिज- बॉक्साइट, कोयला, चुना पत्थर, डोलोमाइट, सीसा, हीरा, टिन, फ्लोराइट, वेरील।
- मेला महोत्सव- चंपारण का मेला, राजीम ( रायपुर), गिरोधपुरी का मेला, महादेव घाट का मेला, मां बंजारी धाम मेला (तिल्दा रायपुर), नरसिंह मेला।
रायपुर में विश्वविद्यालय
- पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर ( 1964)
- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर ( 2004)
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ( 1960)
- जस्टिस हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय ( 2003)
- आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय ( 2008)
- एमडीएस विश्वविद्यालय (निजी), रायपुर ( 2006)
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, रायपुर ( 2010)
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( 2012)
- भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान रायपुर ( प्रस्तावित)
हवाई अड्डा
स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा
प्रमुख उद्योग
सीमेंट उद्योग
जनजातीय
हलवा, भतरा, कंवर, बिझवार, भुजिया, पारधी।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या
6, 200
पुलिस प्रशासन जोन रायपुर से संबंधित जिले
रायपुर, महासमुन्द्र, धमतरी।
सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला
रायपुर ( 21,60,876 )
छत्तीसगढ़ का प्रमुख रेलवे जंक्शन
रायपुर
रायपुर नगर किस नदी के तट पर स्थित है
खारुन
छत्तीसगढ़ के प्रांतीय मुख्यालय
मुख्यालय का नाम | स्थान |
सचिवालय | रायपुर |
पुलिस मुख्यालय | रायपुर |
उच्च शिक्षा | रायपुर |
स्कूल शिक्षा | रायपुर |
आदिवासी विकास | रायपुर |
राजधानी परियोजना | रायपुर |
डी. जी. कार्यालय | रायपुर |
डी. जी. होमगार्ड | रायपुर |
संचालक बजट में वित्त | रायपुर |
संचालक कृषि एवं उद्यानिकी | रायपुर |
संचालक आयुक्त स्वास्थ्य | रायपुर |
सहकारिता | रायपुर |
सचिव पदेन महानिरीक्षक पंजीयक | रायपुर |
जनसंपर्क | रायपुर |
महिला बाल दिवस | रायपुर |
संचालक खाद्य नियंत्रक | रायपुर |
संचालक भौमिकी एवं खनन | रायपुर |
खाद एवं औषधीय | रायपुर |
ग्रामोद्योग | रायपुर |
नगर ग्रामीण निवेश | रायपुर |
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी | रायपुर |
नगरीय प्रशासन व विकास | रायपुर |
पंचायत समाज कल्याण | रायपुर |
- छत्तीसगढ़ का रसायन उद्योग मुख्यतः रायपुर संभाग में स्थापित है।
- राज्य का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम- रायपुर
- राज्य का प्रथम आकाशवाणी केंद्र- रायपुर
- एफ. एम रेडियो केंद्र – रायपुर
- उड़ीसा में सर्वाधिक सीमा बनाने वाला जिला-रायपुर
- केंद्र सरकार द्वारा संचालित साइट परियोजना के अंतर्गत 1972-73 में रायपुर में दूरदर्शन रिले केंद्र स्थापित किया गया था।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक मोर (मयूर) उदंती अभयारण्य (रायपुर) में पाए जाते हैं।
- छत्तीसगढ़ में ब्रिस्टल ब्रांड की बीड़ी रायपुर में बनाई जाती है।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक महाविद्यालयों की संख्या पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर में है।
- निजी क्षेत्र में देश का पहला विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थापित किया गया है।
- छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी ऊर्जा शिक्षा पार्क, एपरेल पार्क तथा राजीव गांधी ऊर्जा पार्क की स्थापना रायपुर में की गई है।
- छत्तीसगढ़ के रायपुर में नया क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय दिसंबर 2007 में स्थापित किया गया है। इसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने किया। यह देश में 34वां पासपोर्ट कार्यालय है।
- छत्तीसगढ़ का पहला आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान राजधानी रायपुर में स्थापित किया गया है। इसका शुभारंभ सितंबर 2004 में किया गया है।
- राजधानी रायपुर में इंटेलिजेंट नेटवर्क की सुविधा है।
- रायपुर आकाशवाणी का प्रसारण केंद्र लगभग 150 वर्ग किलोमीटर में है।
- उच्च शक्ति ट्रांसमीटर (एच. टी. पी.) के दो केंद्र जगदलपुर के अलावा स्थापित किए गए- रायपुर
- दूरदर्शन के कार्यक्रम निर्माण का केंद्र छत्तीसगढ़ में सिर्फ रायपुर (1994) है।
- 1972 से 1975 तक दूरदर्शन में सिर्फ शैक्षणिक कार्यक्रमों का प्रसारण तथा 1986 में स्थानीय प्रसारण प्रारंभ हुआ।
- स्मार्ट सिटी पायलट प्रोजेक्ट- इस योजना के तहत राज्य के प्रमुख शहरों को स्मार्ट सिटी बनाकर कंप्यूटर नेटवर्क से जोड़ने की योजना है। रायपुर नगर निगम में स्मार्ट सिटी पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया गया।
- रायपुर बिलासपुर मार्ग पर डॉ खूबचंद बघेल ट्रांसपोर्ट नगर विकसित किया जा रहा है। यहां 3000 ट्रकों की आवाजाही की जा सकती है। यही कारण है कि यह देश की सर्वसुविधाजनक ट्रांसपोर्ट नगर के रूप में माना जा रहा है।
- 21वी सदी का ग्रीन कैपिटल सिटी नया रायपुर विकसित करने वाला देश का पहला राज्य है।
- रायपुर सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला है।
- 11 सितंबर 2008 को छत्तीसगढ़ के पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शुभारंभ किया गया। 60 हजार की क्षमता वाला यह स्टेडियम कोलकाता के ईडन गार्डेन के बाद देश का दूसरा बड़ा स्टेडियम है।
- रायपुर के पर्यटन स्थलों में नगरघड़ी है। यह हर घंटे छत्तीसगढ़ लोक धुनें सुनाती है।
- बूढ़ा तलाब शहर का सबसे बड़ा तालाब है जिसे स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से जाना जाता है। इस तालाब के बीचोबीच एक छोटे से द्वीप पर उद्यान है भगवान राम का 500 साल पुराना मंदिर है।
- रायपुर छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा शहर है। यह एक बड़े मैदान (छत्तीसगढ़ का मैदान) के मध्य स्थित है, जो धान का कटोरा नाम से जाना जाता है।
प्रकाशित समाचार पत्र
नवभारत | दैनिक भास्कर |
देशबंधु | स्वदेश |
समवेत शिखर | अमृत संदेश |
तरुण छत्तीसगढ़ | हिंदुस्तान टाइम्स |
एम. पी क्रॉनिकल | हाइवे चैनल |
राष्ट्रीय हिंदी मेल | अग्रदूत |
हितवाद | हरिभूमि |
फैक्ट्री और उनकी उत्पादन क्षमता
नाम | स्थान व जिले | स्थापना वर्ष | उत्पादन क्षमता ( लाख मीटर टन) |
सेंचुरी सीमेंट | बेकुंटपुर (रायपुर) | 1975 | 8.00 |
सीमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड | माढर (रायपुर) | 1970 | 3.80 |
जे. के. सीमेंट लिमिटेड | नेवदा तिल्दा(रायपुर) | 1975 | 6.00 |
प्रमुख उद्योग
- दक्षिणी पूर्वी रेलवे वैगन वर्कशॉप, रायपुर (1966)
- पंजार संयंत्र, रायपुर
- बीड़ी उद्योग, रायपुर
- हर्रा निकालने का कारखाना, रायपुर
- जूट उद्योग, रायपुर
- मैदा उद्योग, रायपुर
- लकड़ी चीरने का उद्योग, रायपुर
- मालगाड़ी के डिब्बे सुधारने का कारखाना, रायपुर
धार्मिक स्थल
- महामाया मंदिर
- बुढेश्वर महादेव मंदिर
- दूधाधारी मठ
- बंजारी माता मंदिर
- जगन्नाथ मंदिर
- बंजारी वाले बाबा की मजार
- कबीरपंथियों को पीठ (दामाखेड़ा, सिमगा)
- सिद्धेश्वर मंदिर (ईंट से निर्मित)
पर्यटन स्थल
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दर्शनीय स्थल |
रायपुर | धार्मिक ऐतिहासिक | दूधाधारी मठ, विवेकानंद सरोवर, बोट क्लब, संग्रहालय, शदाणी दरबार |
चंपारण | धार्मिक ऐतिहासिक | महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली, चंपाकेश्वर महादेव मंदिर |
फिंगेश्वरगढ़ | ऐतिहासिक | फणिकेश्वरनाथ महादेव, मवाली माता किला |
आरंग | धार्मिक ऐतिहासिक | भाण्डलदेव जैन मंदिर, बाद्य देवल |
पलारी | धार्मिक | सिद्धेश्वर शिव मंदिर |
गिरौधपुरी | धार्मिक ऐतिहासिक | गुरु घासीदास का निवास, छाता पहाड़, सुफरा मठ |
चंद्रखुरी | पुरातात्विक | प्राचीन शिव मंदिर |
बारनवापारा | अभयारण्य | वन्य प्राणी |
उदंती | अभयारण्य | वन्य प्राणी |
दामाखेड़ा | धार्मिक | कबीर चबूतरा |
रायपुर के महाविद्यालय
महाविद्यालय | स्थान |
इंजीनियरिंग महाविद्यालय | रायपुर |
चिकित्सा महाविद्यालय | रायपुर |
आयुर्वेदिक महाविद्यालय | रायपुर |
दुग्ध महाविद्यालय | रायपुर |
शारीरिक परीक्षण महाविद्यालय | रायपुर |
श्रीराम संगीत महाविद्यालय | रायपुर |
कमला देवी संगीत महाविद्यालय | रायपुर |
भातखंडे संगीत महाविद्यालय | रायपुर |
रायपुर के प्रसिद्ध व्यक्तित्व
डॉ खूबचंद बघेल
चिकित्साधिकारी, सविनय अवज्ञा आंदोलन में भागीदारी, 1931 में स्वयंसेवक संगठन की छत्तीसगढ़ में स्थापना, राज्यसभा के वरिष्ठ सदस्य रहे।
पंडित वामनराव लाखे
रायपुर में कोऑपरेटिव बैंक की स्थापना, राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका, 1945 में बलौदा बाजार में कोऑपरेटिव राइस मिल की स्थापना की।
तनबीर हबीब
करीब 8 फिल्मों में अनेक मंचों में अभिनय, संस्कृत नाटक मृच्छकटिकम् की हिंदी में अभिनय (1964 दिल्ली में) प्रस्तुति की, चरणदास चोर, सहित अनेक नाटक प्रस्तुत कर रंगकर्मियों का मार्ग प्रदर्शन किया, 1983 में पदमश्री में 1984-85 शिखर समान से पुरस्कृत।
रायपुर में पर्यटन स्थल
नंदन कानन (वन्य प्राणी अभयारण्य)-
नंदनकानन रायपुर शहर से भिलाई की और राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 पर 3 किलोमीटर भीतर स्थित है। यह एक लघु जीव उद्यान है, जिसका रखरखाव वन विभाग की वन्यजीव शाखा द्वारा किया जाता है। यहां विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी यथा शेर, तेंदुआ, हिरण की विभिन्न प्रजातियां व अनेक प्रकार के पक्षी, सरीसृप लोगों के मनोरंजन एवं शिक्षा की दृष्टि से रखे गए।
गिरौधपुरी (सतनामी समाज का तीर्थस्थल)-
बिलासपुर से लगभग 80 किलोमीटर तथा शिवरीनारायण में से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है- गिरौधपुरी, छत्तीसगढ़ की पावन भूमि एवं महानदी के किनारे स्थित पवित्र गांव गिरौधपुरी में सोमवार माघ पूर्णिमा 13 दिसंबर, 1756 को घासीदास का जन्म हुआ था, जो आगे चलकर साथ घासीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
गुरु निवास-
गिरौधपुरी में संत गुरु घासीदास जी का निवासगृह स्थित है। जहां लगभग 60 वर्ष प्राचीन जैन स्तम्भ है एवं समीप गुरुजी की गद्दी बनी हुई है। जिसके दर्शन के लिए समाज के लोग प्रतिवर्ष जाते है।
तपोभूमि-
गिरौधपुरी से 2 किलोमीटर पूर्व दिशा की ओर पहाड़ी पर ओरा व घोरा वृक्ष के नीचेगुरु घासीदासजी ने तप किया था। जिसके फलस्वरूप उन्हें संत ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए इस स्थल को तपोभूमि के नाम से जाना जाता है। प्रतिवर्ष इसी स्थल पर फाल्गुन शुक्ल पंचमी से लेकर स्पतमी तक मेला लगता है।
छाता पहाड़ –
तपोभूमि से लगभग 8 किलोमीटर पूर्व की और पहाड़ी के डाल में बहुत ही बड़ी शिला है जिसे छाता पहाड़ कहते हैं। गुरु घासीदासजी ने इस पर्वत की एक शिला पर बैठकर छ माह की समाधि लगाई थी।
सुफरा मठ –
गुरु घासीदास के जन्म स्थल के करीब 200 गज पूर्व दिशा में एक छोटासा जलाशय है, जिसके समीप उत्तर दिशा में गुरु घासीदास जी की पत्नी सुफराजी का मठ है, इस मठ के विषय में किवदंती है कि घासीदास के बड़े पुत्र अमरदास के वन में खो जाने के वियोग में माता सुफरा ने समाधि लगा ली थी, जिस लोगों ने मृत समझकर गुरु की अनुपस्थिति में उपयुक्त स्थान पर दफना दिया था। समाधि समाप्त होने पर उन्होंने माता सुफरा को पुनर्जीवित किया था।
राजीम ( छत्तीसगढ़ का प्रयाग)-
रायपुर से 45 किलोमीटर की दूरी पर राजीम स्थित है, राजीम कि पद्मावती, पंचकोशी, छोटा काशी आदि नामों से जाना जाता है। राजीम छत्तीसगढ़ का एक त्रिवेणी संगम तीर्थस्थल है, धार्मिक दृष्टि से राजीम इसको छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। यहां महानदी पैरी तथा सौढुल (सौढुर)नदियों का पवित्र संगम स्थल है, यह संगम स्थल प्राचीन कुलेश्वर मंदिर के निकट है, जो इसकी महता को प्रकट कर रहा है। इस त्रिवेणी संगम का धार्मिक महत्व प्रयाग के समकक्ष है। इसलिए हिंदू आकर श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, पर्व स्नान, अस्थि विसर्जन, दान आदि करते हैं।
राजीव लोचन मंदिर-
राजीम में ही त्रिवेणी संगम के निकट राजीव लोचन मंदिर, छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिरों में से एक है। मंदिर में अंकित महामंडप की पार्श्वभित्ति पर कल्चुरी सवत: 896 (अर्थात 1154 ईस्वी सन्) एक शिलालेख है। शिलालेख में कुल्चरी पृथ्वीदेव द्वितीय (1135- 1165) के सेनानी दवारा तलहारि मंडल को पराजित करने का वर्णन मिलता। दूसरा शिलालेख आठवीं नवमी शताब्दी में लिखा गया प्राप्त हुआ है जिसे पढ़ने से पता चलता है कि यह एक विष्णु मंदिर है। इस तरह यह मंदिर यहां के मंदिरों में सर्वाधिक प्राचीन है। यह मंदिर अपनी प्रधानता तथा शिल्पप्ररौढ़त्ता के कारण विशिष्ट है, गर्भगृह के काले पत्थर की बनी भगवान विष्णु कि चतुर्भुजी मूर्ति है। श्री राजीव लोचन मंदिर को पांचवा धाम माना गया है।
कुलेश्वर महादेव मंदिर-
पंचमुखी महादेव के दर्शन विश्व में गिने-चुने स्थानों पर होते हैं, उनमें है राजीम, जहां पर पंचमुखी कुलेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। यह मंदिर महानदी, पैरी तथा सोढुल (सोंढर) तीनों नदियों के संगम में स्थित है। किवदंती है कि भगवान राम, सीता जी एवं लक्ष्मण के वनवास के दिनों में यहां कुछ दिनों के लिए निवास स्थल बनाया था। संगम स्थल पर स्थापित कुलेश्वर महादेव मंदिर का उल्लेख सतयुग की कथाओं में मिलता है।
इसके अलावा यहां महर्षि लोमेश ऋषि का आश्रम, सोमेश्वर महादेव का मंदिर,राजीम तेलीन का मंदिर, श्री गरीबनाथ मंदिर, श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर, श्री पंचेश्वर महादेव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, ब्रह्मचारी आश्रम आदि। यह महाशिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेला लगता है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में लोग त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं।
चंपारण ( महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्म स्थली)-
रायपुर से 56 किलोमीटर तथा राजिम से मात्र 9 किलोमीटर की दूरी चंपारण या चंपाझर नदी के समीप स्थित है. यही प्रसिद्ध वैष्णव संत महाप्रभु वल्लभाचार्य ने वैशाख कृष्ण 11 सवंत 1535 विक्रमी को जन्म लिया था। इनके पिता का नाम लक्ष्मण भट्ट था। यह तेलंग ब्राह्मण थे। चंपारण को महाप्रभु की 84 बैठकों में से एक महत्वपूर्ण बैठक होने का गौरव प्राप्त है। यहां अरण्य के बीच चंपकेश्वर महादेव का एक प्राचीन मंदिर है। चंपारण धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थस्थल का रूप धारण कर रहा है। यहां पर दूर-दूर से वैष्णव एवं सभी धर्मों के लोग दर्शन एवं पर्यटन हेतु आते हैं। प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है।
आरंग ( मंदिरों का नगर)-
रायपुर से 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आरंग पौराणिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस छोटे से नगर में अनेक मंदिर हैं, अंत आरंग को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहां जैनियों का एक महत्वपूर्ण उत्कृष्ट मंदिर है, जो लोग भांड देवल (जैन मंदिर) के नाम से जानते हैं। 12 वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के गर्भगृह में जैनधर्म के तीर्थकर – नेमिनाथ, अजीतनाथ तथा श्रेयांश की 6 फुट ऊंची काले ग्रेनाइट पत्थर की मूर्तियां स्थापित है। साथ ही यहां पर 11 वीं सदी पूर्व का प्राचीन शिव मंदिर बाघेश्वर बाबा मंदिर या बाघ देवल है। रथशैली के इस 18 संभोग एवं 60 फुट ऊंचे शीर्ष वाले मंदिर पर शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। इसके अलावा यहां के इस 18 स्तंभों एवं 60 फुट ऊंचे शीर्ष’ वाले मंदिर पर शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। इसके अलावा यहां की अनेक मंदिरों में बाबा हरदेव लाला मंदिर, महामाया मंदिर, पंचमुखी महादेव, पंचमुखी हनुमान आदि का प्रमुख।
तुरतूरिया-(महर्षि वाल्मीकि की पुण्यभूमि)
सिरपुर से लगभग 24 किलोमीटर दूर तुरतूरिया नामक स्थल है। इसकी गणना तीर्थस्थानों में की जाती है। अनुश्रुति है कि त्रेतायुग में यही महर्षि वाल्मीकि का आश्रम था और उन्होंने यहां सीताजी को श्रीरामचंद्रजी द्वारा त्याग देने पर आश्रय दिया था। यही सीताजी के दोनों पुत्र लव और कुश ने जन्म लिया था।
खल्लारी (खल्लवाटिका) प्राचीन राजधानी-
रायपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर आरंग खरियार रोड मार्ग पर बागबाहरा विकासखंड में खलारी ग्राम स्थित है। इसका प्राचीन नाम ख्ल्लवाटिका अशोक खैवाटिका था। यहां के देवालय से जो शिलालेख प्राप्त हुए हैं उसे पता चलता है कि यह स्थान विक्रम संवत 1471 अर्थात सन 1415 ईस्वी का है और उसमें उल्लिखित है कि है यह हेहावंशी राजा हरि ब्राहादेव की राजधानी थी। यह मंदिर देवपाल मोची द्वारा बनाया गया है। क्ल्चुरियों की रायपुर शाखा के अंतर्गत खलारी भी एक महत्वपूर्ण गढ़ था। यहां खलारी माता का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है। इसके अलावा यहां दर्शनीय स्थलों में भीम पाँव, भीम की नाव एवं चूल्हा, लखेशरी गुड़ी, आदि स्थल है। माना जाता है महाभारतकालीन भीम अर्थात पांडव यहां आए थे।
पलारी (धर्म स्थल) –
रायपुर से 68 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में तथा बलौदा बाजार से ग्राम पलारी 15 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां ईंटों से निर्मित लगभग आठवीं- 9 वीं शताब्दी का अनूठा शिव मंदिर स्थित है। इस देवालय के निर्माण पर अपनायी गई उत्कृष्ट तकनीक व सूझबूझ पूर्णता स्थानीय वास्तुकला का प्रमाण है और इससे छत्तीसगढ़ की अपनी स्वयं की मंदिर वास्तु शैली का बोध होता है।
नारायणपुर (ऐतिहासिक धार्मिक स्थल)-
यह रायपुर से 53 मील दूर महानदी के तट पर एक छोटासा ग्राम है। यहां एक पूर्वभिमुख शिव मंदिर है। स्थापत्य एवं मूर्तिकला की दृष्टि से 10वीं और 11वीं शती ईस्वी का लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। जहाँ शिल्प की श्रेष्ठ कृतिया दृष्टिगत होती। खरौद में पाए गए सन्न 1181 ईस्वी के शिलालेख के अनुसार हैहावंशी राजाओं ने यहां पर एक सुंदर उद्यान लगवाया था।
चंद्रपखुरी (ऐतिहासिक धार्मिक स्थल) –
रायपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रपुरी एक छोटा सा ग्राम स्थित है । यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। स्थापत्य एवं मूर्तिकला के आधार पर मंदिर को 13वीं 14वीं सदी ईसवी का माना जाता है।
उदंयती वन्य प्राणी अभयारण्य –
रायपुर जिले में उड़ीसा की सीमाओं के मध्य उदंयती अभयारण्य स्थित है। उदयंती अभयारण्य 247.59 वर्ग किमी क्षेत्र पर फैला हुआ है। इस अभयारण्य में बाघ, तेंदुआ, वन भैंसा, गौर, चित्र एवं अन्य वन्य प्राणी की प्रचुरता है। यह प्रमुख रूप से वन भैंसा के संरक्षण हेतु 1983 में स्थापित किया गया ।
परियोजनाएं
पैरी परियोजनाएं-
यह परियोजना रायपुर जिले में स्थित है। इस परियोजना में पैरी नदी का सिकासारा गांव में सिकासर बांध तथा 35 किलोमीटर नीचे की ओर नदी पर कुकदा पिकअप वियर का निर्माण सम्मिलित है। कुकदा वियर से दाएं तक नहर 27.37 किलोमीटर, बाए तट नहर 25.76 किमी तथा उनकी शाखाएं 165.83 किमी व 135.34 किमी प्रस्तावित है,
महानदी जलाशय परियोजना-
यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं। इस परियोजना से धमतरी, रायपुर व दुर्ग जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। महानदी जलाशय परियोजना के अंतर्गत छः जलाशय एवं महानदी पोषक नहर और सिंदूर पोषक नहर सीमिल्लित है। महारथी जलाशय योजना में मुरुमसिल्ली (1923), दुधवा ( 1963), रविशंकर सागर ( 1978), सिकासार ( 1979), सोढुर (1988) एवं पैरी हाई डेम सम्मिलित है।
कोडार परियोजना-
यह परियोजना रायपुर जिले के कोबाझार के समीप महानदी की सहायक कोड़ार नदी पर स्थित है। इस परियोजना के अंतर्गत 2,360 मीटर लंबा, 23.32 मीटर ऊंचा बांध निर्माणधीन है। इस परियोजना से 16,760 हेक्टेयर (खरीफ) एवं 6,720 हेक्टेयर (रबी) की भूमि सींची जा सकेगी।
नगरघड़ी-
रायपुर के पर्यटन स्थलों में नगरघड़ी भी प्रसिद्ध है यह हर घंटे पूरे छत्तीसगढ़ की लोक धुनें सुनाती है।
बूढ़ा तालाब-
बूढ़ा तालाब रायपुर शहर का सबसे बड़ा तालाब है जिसे स्वामी विवेकानंद सरोवर के नाम से जाना जाता है । इस तालाब के बीचोबीच एक छोटेसे द्वीप पर उद्यान है।
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