आज इस आर्टिकल में हम आपको सफाहोड़ आंदोलन का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.
सफाहोड़ आंदोलन का स्वरूप धार्मिक था, परंतु उसका लक्ष्य है राजनीतिक था इसके जन्मदाता भागीरथ मांझी थे. आंदोलनकारी राम नाम का हमेशा जप करते थे. ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा जब से उनके राम नाम जप एवं अन्य धार्मिक विश्वासों पर पाबंदी लगा दी गई तब से ब्रिटिश शासन से उनका विरोध बढ़ता चला गया.
कालांतर में सपा और आंदोलन के नेता लाल हेब्रम तथा पेका को डाकू घोषित कर दिया गया. लाल हेंब्रम आजाद हिंद फौज के अनुरूप संथाल परगना में देशोंद्धारक के दल का संगठन किया. सन 1945 ईसवी में लाल हेंब्रम ने महात्मा गांधी के आदेश पर आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन साक्ष्य के अभाव में 1940 ईसवी में वह रिहा हो गए.
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