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संचार प्रणालियाँ से जुडी जानकारी

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तारयुक्त संचार प्रणालियाँ

टेलीग्राफ प्रणाली

इस प्रणाली मे संदेशों का आदान प्रदान मोर्स-कुंजियों, मोर्स-कोड रिपीटर्स, भूतल लाइन या केबिल एवं बेंट्री के द्वारा किया जाता है। इसका उपयोग आम जनता द्वारा टेलीग्राफ विभाग के माध्यम से संदेशों को लिखित रूप से प्रेषित एवं प्राप्त करने के लिए किया जाता था

टेलीफोन प्रणाली

इस प्रणाली में माइक्रोफोन व हेडफोन (हैंडसेट)  भूतल लाइन या केबिल टेलीफोन एक्सचेंज एवं बैटरी के द्वारा दूर-दूर स्थिति व्यक्तियों के बीच वार्तालाप किया जाता है। इस प्रणाली का आविष्कार ग्राहम बेल नामक वैज्ञानिक ने सन 1876 में किया था ।

टेलीप्रिंटर या टेलेक्स प्रणाली

इस समय में टेलीग्राफ/टेलीफोन लाइन के माध्यम से संदेश को टाइप-राइटर से छापते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रेक्षित किया जाता है। प्रणाली का उपयोग समाचार इन संस्थाओं प्रेषण द्वारा समाचार-पत्रों के कार्यालयों को समाचार भेजने के लिए किया जाता है।

तारविहिन संचार प्रणालियां:

रेडियो टेलीग्राफी प्रणाली

इस प्रणाली में संदेशों का आदान-प्रदान मोर्स-कुंजियों, हेडफोन आफ ट्रांसमीटर एवं रिसीव के द्वारा किया जाता है। इसका उपयोग जलयानों, वायुयानों आदि के द्वारा भूतल अवस्थित नियंत्रक स्टेशन से संपर्क साधने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त एक गोपनीय संचार प्रणाली होने के कारण इसका उपयोग सैन्य बलों के द्वारा दिया जाता है।

रेडियो टेलीफोन प्रणाली

इस प्रणाली में हैंडसेट, ट्रांसमीटर एवं रिसीवर के द्वारा दो दूरस्थ व्यक्तियों के बीच वार्तालाप किया जाता है। इस प्रणाली का उपयोग जलयानों, वायुयानों, थलयानों आदि के द्वारा भूतल अवस्थित नियंत्रक केंद्र के संपर्क में बने रहने के लिए किया जाता है।

मोबाइल फोन प्रणाली

प्रणाली रेडियो टेलीफोन सेवा का उन्नत स्वरुप है जिसमें हैंडसेट, ट्रांसमीटर, माइक्रोवेव-लिंक, भू- उपगृह रिले केंद्र, भतल लाइन आदि सभी का उपयोग होता है।

रेडियो फोटो या फैसीमाईल प्रणाली

इस प्रणाली में टी.वी. कैमरा टी.वी. ट्रांसमीटर टी.वी. रिसीवर आदि के द्वारा अचल चित्रों का परीक्षण एवं संग्रहण किया जाता है। इसका उपयोग समाचार पत्र संस्थाओं के द्वारा किया जाता है।

दूरदर्शन प्रणाली

संचार की प्रणाली आम जनता में अत्यधिक प्रचलित बन गई है। इसमें टी.वी. कैमरा टी.वी. ट्रांसमीटर, टी.वी. रिसीवर, भू- उपगृह रिले केंद्र, भूतल व केबिल लाइन आदि के द्वारा अचल व सचल चित्रों एवं ध्वनि कार्यक्रमों का प्रेषण आम जनता के उपयोगार्थ किया जाता है

राडार

परिचय

विद्युत चुंबकीय तरंगों के धात्विक स्थल से परावर्तित होने के गुण का उपयोग करके वस्तुओं अथवा लक्ष्यों की दिशा तथा दूरी ज्ञात करने वाली प्रणाली राडार कहलाती है। रडार का अर्थ है – Radio Detection and Ranging

रूप-रेखा

इस प्रणाली में मुख्यतः ट्रांसमीटर, रिसीवर, टाईमर, ट्रांसमीटर/रिसीव स्विच, इंडिकेटर कथा डिश एंटीना होता है। ट्रांसमीटर द्वारा प्लस संकेत प्रेषित किए जाते हैं। टाइमर नियंत्रित ट्रांसमीट/रिसिव स्विच, संकेत प्रेक्षण के तुरंत बाद एंटीना को रिसीवर से जोड़ देता है। संकेतों के लक्ष्य तक पहुंचने और वापिस लौटने के समय की गणना करके दूरी = 1/2x चाल x  समय की सूत्र से लक्ष्य की दूरी ज्ञात की जाती है।

विद्युत

चुम्बकीय तरंगो (रेडियो तरंगो) की गति ज्ञात है जो 3 x 108 मी/से है। प्रेषी लक्ष्य की वास्तविक की दूरी, रेडियो तरंगों के जाने तथा वापिस लौटने में लगे समय के आधे के आधार पर ज्ञात जाती है।

प्लान पोजीशन इंडिकेटर

यह एक ऐसा मॉनिटर है जो लक्ष्य की दूरी एवं दिशा दोनों को एक साथ, एक ही परदे पर दर्शा सकता है। इसका पर्दा वृत्ताकार होता है जो 0 से 360 अंशों में विभाजित होता है।

राडार की किस्में

  1. DFW शत्रु विमानों की पूर्व सूचना देने वाले राडार।
  2. GCI विमानों के सुरक्षित उड़ान भरने एवं उतरने में सहायक राडार।
  3. फायर कंट्रोल राडार शत्रु की विमान भेदी तोपों, अन्य तोपों आदि की खोज करने वाला राडार।
  4. राडार एल्टीमीटर उड़ान काल मे वायुयान की भूतल की ऊंचाई बताने वाला वायुयान में स्थापित राडार ।
  5. राडार बीकन उड़ान काल में वायुयानों को दिशा, दूरी व स्थिति बताने वाले भूतल स्थित भंडार।

रेडियो तरंग संचरण

परिचय

रेडियो तरंगों के जूते अंतरिक्ष में फैलाना उनका संचरण कहलाता है। किरण के लिए किसी माध्यम की कोई आवश्यकता नहीं होती जबकि ध्वनि तरंगों के माध्यम की उपस्थिति आवश्यक है। रेडियो तरंगे अंतरिक्ष में अनंत दूरियां तक जाने में सक्षम होती है। की प्रभावी संचार सीमा वृद्धि ट्रांसमीटर की शक्ति, नैना की सूचना व प्रसारण विधि आदि पर निर्भर करती है।

आयन मंडल

रेडियो तरंगे अपने मार्ग पर पड़ने वाले कारकों में उच्च आवृति का  वी वा पैदा कर देता है शिक्षक के पार नहीं जा पाती और उस से परावर्तित हो जाती है। इसके अतिरिक्त, भूमि के चारों ओर 19 से 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैले आयन मंडल के द्वारा बीती MHz  और रेडियो तरंगों में परिवर्तित हो जाती है। एवं आईडी की दवाओं का यह घेरा, आयनमंडल कहलाता है। घेरे में 80 से 144 किलोमीटर तक ही कैनली हेविसाइड तथा परत 140 से 400 किलोमीटर, टर्की ईटन पक रेडियो संचार में सहायक होती है।

रेडियो तरंग संचरण की किस्में

प्रेसी एंटीना से संग्राही एरियल तक पहुंचने में रेडियो द्वारा बनाया गया मार्ग कहलाती है उसकी संचरण की किस्म कहलाती है।

भूतल तरंग

पृथ्वी की वक्रता के समांतर संचरित होने वाली तरंग भूतल तरंग कहलाती है। ये तरंगे  बैंड में से आवृत्ति परास मे प्रेषी एन्टेना के चारों ओर 400 किलोमीटर अर्ध व्यास वाले क्षेत्र रेडियो सचार स्थापित कर सकती है। इनकी प्रसारण के लिए ऊर्ध्व एंटीना (मार्कीनी एंटीना) प्रयोग किया जाता है।

आकाश तरंग

पीवीसी आयन मंडल तक और उसे परावर्तित होगा शंघाई एरियल तक पहुंचने वाली तरंगें, आकाश तरंग कहलाती है। यह तरंगे SW  बैंड में 3 MHz से 30 MHz आवृत्ति परास में पूर्ण भूमंडल पर रेडियो संचार कर सकती है। इनके प्रसारण के लिए क्षैतिज एंटीना (हर्ट्ज एन्टेना) प्रयोग की जाती है।

सीधी तरंग

जो प्रेषी एंटीना से संग्राही एरियल तक दृश्य रेखा में चलती है वह सीधी तरंग कहलाती है। ये तरंगे vhf, UHF व SHF आवृत्ति परास में भूतल पर 80 किलोमीटर तक तथा अंतरिक्ष में किसी भी दूर तक रेडियो संचार स्थापित कर सकती है। सिम के प्रसारण के लिए ऊर्ध्व एंटीना या डिश ऐंटेना प्रयोग किया जाता है। क्योंकी इन तरंगों की तरंग धैर्य केवल कुछ सेंटीमीटर मिलीमीटर होती. ह। इसलिए माइक्रोवेब कहते है।

भू- परावर्तित तरंग

प्रेषी एंटीना से चलकर भूतल परावर्तन के बाद संग्रहालय रियल पर पहुंचने वाली तरंगों भू- परावर्तित  तरंग कहलाती है। इस तरंग के द्वारा MW तथा SW बैंड में कुछ अधिक दूरी तक रेडियो संचार स्थापित किया जा सकता है परंतु यह रिसेप्शन दोषयुक्त हो सकता है।

माइक्रोवेब लिंक

क्योंकि 3000 MHz से 30000 MHz आवृत्ति की रेडियो तरंगों की तरंग धैर्य है 10 सेंटीमीटर से 1 सेंटीमीटर तक होती है अत: जिन्हें माइक्रोवेव कहते हैं। यह तरंगे, दृश्य रेखा मैं ही संचरित हो सकती है और पृथ्वी की वक्रता के कारण भूतल तरंगो के द्वारा केवल 80 किलोमीटर की दूरी तक ही संचार स्थापित किया जा सकता है। इस संचार से अधिक दूरी तक बढ़ाने के लिए प्रति 20 – 30 किलोमीटर की दूरी पर रिसीविंग एवं ट्रांसमिटिंग को ऊंची टावर पर स्थापित कर दिया जाता है। इसआता पिता वर्ष का  समूह या संजाल माइक्रोवेव लिंक कहलाता है।

भू-उपग्रह संचार

वर्तमान समय में सभी प्रकार के रेडियो संचार के लिए भू उपग्रह का उपयोग किया जा रहा है। इस विधि में कोई देश, भू-स्थिर कक्षा ( लगभग 36000 किलोमीटर  ऊंचाई पर) मैं एक भू-उपग्रह स्थापित करता है। इस उपग्रह में सौर ऊर्जा चालित एक ऐसा रिसीवर तथा ट्रांसमीटर लगाया जाता है जो पृथ्वी से प्रेषित प्रसारण को ग्रहण करके पुन  भूतल के 1 बड़े क्षेत्र परावर्तित कर देता है। इस संचार उपग्रह को रेलवे स्टेशन भी कह सकते हैं। प्रत्येक संग्रहण कथा प्रेषण आवर्ती चैनल ट्रांसपोंडर कहलाता है। ईस प्रकार एक भू- उपग्रह प्राय: 100 अथवा ट्रांसपोडर्स कि व्यवस्था होती है।

अमेरिका आदि देशों ने पृथ्वी के चारों ओर भू-स्थिर कक्षा में एक जैसे तीन भू उपग्रह बराबर पार्स्पारिक दूरी पर स्थापित किए हैं। ईद में से कोई न कोई भू- उपग्रह पृथ्वी से परेषित प्रसारनों ग्रहण कर लेता है और शेष दो भू-उपग्रह एवं पृथ्वी की और पुनः प्रसारित कर देते हैं। इस प्रकार  संचार क्षेत्र का विस्तार संपूर्ण पृथ्वी तक हो जाता है। यह अमेरिकी प्रणाली इंटेल सेट नाम से जानी जाती है।

किसी देश के एकल भू- उपग्रह के कुछ  ट्रांसपोडर्स दूसरे देश के एकल भू- उपगृह संयोजित कर भी संचार क्षेत्र को पृथ्वी के अधिकांश तल तक विस्तार्ण किया जा सकता है।

दूरसंचार

  1. वर्ष 18 सो 76 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक ग्राहम बेल ने टेलीफोन नामक संचार प्रणाली का आविष्कार किया था। यह प्रणाली निरंतर विकास रथ रही अपना वर्तमान स्वरूप प्राप्त कर सकी है। टेलीफोन प्रणाली का प्रारंभिक स्वरूप उसके वर्तमान स्वरूप से भिन्न था।
  2. प्रारंभिक टेलीफोन प्रणाली प्रारंभिक प्रकार की टेलीफोन प्रणाली में प्रत्येक टेलीफोन कर आपके पास एक हैंडसेट होता था जो एक दबाव तारीख पर टिका हुआ रहता था।  जैसे ही हैंडसेट को उठाया जाता, एक्सचेंज में पायलट ले जल उठता और टेलिफोन ऑपरेटर आपसे वांछित टेलीफोन नंबर पूछता है और आपके यंत्र का संबंध दूसरे टेलीफोन ग्राहक के अंदर से जोड़ देता है यंत्रों को पारस्पारीक संबंध जुड़ जाने पर दो व्यक्ति आपस में वार्तालाप कर सकते थे। आज से लगभग 35 से 40 वर्षों तक भारत में वह प्रणाली चलती थी। हैंडसेट में श्रेणी क्रम में संयोजित एक माइक्रोफोन तथा 1 ईयर फोन होता है। इस यंत्र को टेलीफोन सेट भी कहते हैं।
  3. टेलीफोन प्रणाली के मुख्य घटक टेलीफोन प्रणाली के मुख्य घटक निमन है। टेलीफोन एक्सचेंज, टेलीफोन लाइन, टेलीफोन सेट।
  4. टेलीफोन एक्सचेंज- दो टेलीफोन ग्राहकों के बीच संबंध स्थापित करने का कार्य करने वाला विभाग, टेलीफोन एक्सचेंज कहलाता है। टेलीफोन एक्सचेंज का निर्माण क्षेत्रवार किया जाता है। किसी नगर धवा महानगर में अनेक नक्षत्र अर्थात अनेक टेलीफोन एक्सचेंज हो सकते हैं। टेलीफोन एक्सचेंज में उसके क्षेत्र के अंतर्गत स्थापित सभी टेलीफोन जुड़े हुए होते हैं।
  5. प्रत्येक टेलीफोन ग्राहक को एक टेलीफोन नंबर आवंटित किया जाता है जो उस नगर के टेलीफोन ग्राहकों की कुल संख्या के आधार पर 6, 7 या 8 अंको का होता है। टेलीफोन नंबर के प्रारंभ के तीन अंक टेलीफोन सेट किए जुड़े टेलीफोन एक्सचेंज की पहचान संख्या होते हैं।
  6. क्षेत्र के टेलीफोन से दूसरे से संपर्क स्थापित करना होता है तो टेलीफोन एक्सचेंज की पहचान संख्या के आधार पर ही संपर्क स्थापित होता है।
  7. प्रत्येक नगर का एक टेलीफोन कोड होता है जो शून्य अर्थात 0 से प्रारंभ होता है और दो या तीन अंकों वाला होता है। एक नगर से दूसरे टेलीफोन संपर्क स्थापित करने हेतु पहले शून्य, उसके बाद उस नगर का कोड नंबर और इसके बाद टेलीफोन नंबर डायल किया जाता है।
  8. टेलीफोन लाइन :  टेलीफोन प्रणाली का दूसरा महत्वपूर्ण घटक है- टेलीफोन लाइन। यह वह लाइन है जो किसी टेलीफोन के अंतर को टेलीफोन एक्सचेंज से जोड़ती है। इसके अतिरिक्त एक नगर के सभी टेलीफोन एक्सचेंज एक्सचेंज तथा एक नगर नगर के टेलीफोन एक्सचेंज को आपस में जोड़ने वाले टेलीफोन लाइन देती है।
  9. वर्तमान समय में टेलीफोन लाइन के लिए 10 आरसी 200 तक भूमिगत केबल प्रयोग किए जाते हैं। एक टेलीफोन यंत्र से दो तारे जोड़ी होती है जिनमें लगभग 48 वोल्ट डीसी वोल्टता होती है। टेलीफोन यंत्र का हैंडसेट उठाने पर यह वोल्टता होती है। अन्यत्र का हैंडसेट उठाने पर यह वोल्टता घटकर 12 वोल्ट डीसी रह जाती है। अधिक वोल्टता रिंगर (घंटी) विजिट करने के लिए होती है और यंत्र के इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के प्रचलन के लिए 12  वॉल्ट डीसी पर्याप्त होती है।
  10. टेलीफोन सेट – (टेलीफोन यंत्र) : यह टेलीफोन प्रणाली का तीसरा घटक है। इसमे माइक्रोफोन
  11. तथा ईयरफोन (हैंडसेट) घंटी, इलेक्ट्रॉनिक परिपथ, डायलीग की-बोर्ड होता है।  टेलीफोन- यंत्र मुख्यतः दो प्रकार की होती है।
  12. तारयुक्त टेलीफोन यंत्र: सामान्य प्रकार के यंत्र जिनमें हैंडसेट तथा टेलीफोन सेट इकाई तार से जुड़ी होती है।
  13. तारविहिनी टेलीफोन यंत्र  : इस प्रकार के यंत्र मैं हैंडसेट को पोर्टेबल यूनिट कथा टेलीफोन सेटिंग को बेस यूनिट कहा जाता है। बेस यूनिट, केबील के द्वारा टेलीफोन एक्सचेंज से जुड़ी हुई होती है।पोर्टेबल इंट कथा वेज यूनिट में एक एक छोटा ट्रांसमीटर तथा रिसीव रहता है जो एक लघु दूरी सीमा (25-30 मी) क्षेत्र में बेस यूनिट तथा पोर्टेबिल यूनिट को आपस में जोड़ता है। पत्रिका इ में रेडियो तरंग परीक्षण के लिए एक छोटा एरियल साबित होता है।

टेलीफोन तंत्र के घटक

  1. कीपैड या की मैट्रिक्स : टेलीफोन यंत्र के ऊपरी भाग में प्राय: 12 पुश बटन वाला कीपैड होता है।  इनमें से 10 पुश बटन, 0 से 9 तक के अंको के लिए एक फ्लैश पुष बटन तथा एक रीसेट पुष बटन होता है। ये पुष बटन एक विशेष क्रम मे लगाए जाते है। जो की मैट्रिक्स कहलाते है।
  2. डायलर : या इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है जो की पेड मेन से दबाए गए पुष बटन के अनुसार डायलिंग हेतु उस अंक की प्लस या टोन केबिल के माध्यम से टेलीफोन-एक्सचेंज को प्रेषित करता है। इनहि अको  से बनी संख्या, वांछित टेलीफोन नंबर होती है।
  3. रिड़यल – यह एक मेमोरी चिप होती है जो अंतिम डायल किए गए टेलीफोन नंबर को संग्रह ककार लेती है। रिडायल पुष बटन को दबाकर पुन वांछित टेलीफोन – नंबर को डायल किया जा सकता है, रिडायल करने से पूर्व हुक स्विच को एक बार दबाकर रीसेट करना आवश्यक है।
  4. रिंगर : आने वाली टेलीफोन की सूचना देने के लिए टेलीफोन यंत्र मे एक इलेक्ट्रोनिक रिंगर होता है। यह 48 वॉल्ट डीसी पर कारी करता है। रिंगर से जुड़े इलेक्ट्रोनिक परिपथ मे यह व्यवस्था होती है की 20 दुहरी रिंगस के पश्चात , रिंग का परिपथ बंद हो जाता है।इस प्रकार काल करने वाले व्यक्ति को पता चल जाता है की काल किया गया व्यक्ति  उसके द्वारा की गई काल पर अपने यंत्र का हैंडसेट नहीं उठा पा रहा है अथवा वहाँ कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है।
  5. साउण्ड एम्पालिफायर : यह सामान्य श्रव्य आवृति प्रवार्द्धक परिपथ होता है जो इयरफोन से प्राप्त ध्वनि संकेतो का प्रवर्द्धन करता है जिससे की संकेतो को भली प्रकार सुना जा सके। इसके साथ ही यह परिपथ, माइक्रोफोन द्वारा पैदा किए गए श्रव्य आवृति संकेतो का भी प्रवर्द्धन करता है और तत्पशचात ही उन्हे केबिल के द्वारा प्रेषित करता है।
  6. वोल्टेज ड्रापर : यह खण्ड, 48 वॉल्ट डी सी को 9 या 12 वॉल्ट डी सी वोल्टता मे घटता है। टेलीफोन यंत्र मे टेलीफोन काल आने पर जब तक हैंडसेट उठाया नहीं जाता तब तक रिंगर परिपथ को 48 वॉल्ट डी सी उपलब्ध रहती है। हैंडसेंट उठाते ही हुक स्विच की प्र्किर्या से वोल्टता  बट करें 48 से 9 या 12 वॉल्ट रह जाती है जो इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के प्रचलन के लिए आवश्यक होती है।
  7. ध्रुवता  सुरक्षा: इलेक्ट्रॉनिक परिपथ के प्रचलन के लिए उसे प्रदान की गई डीसी  वोल्टता ध्रुवता तो पूर्ण होती है। यह ध्रुवता यंत्र को के बिल से संयोजित करते समय परिवर्तित हो सकती है। विपरीत ध्रुवता पराई सी आदि कार्य नहीं करेगी और साथ ही वे नस्ट भी हो सकती है। अंतर ध्रुवता कि सुरक्षा आवश्यक है। इस कार्य के लिए टेलीफोन यंत्र में एक ब्रिज- रेक्टिफायर परिपथ प्रयोग किया जाता है। इस  परिपथ की विशेषता यह है कि इसकी इनपुट ध्रुवता परिवर्तित हो जाने पर भी इसकी आउटपुट ध्रुवता अपरिवर्तित रहती है।
  8. अधिक वोल्टता  सुरक्षा: किसी भी ब्राह्म कारण से टेलीफोन केबिल के द्वारा टेलीफोन-यंत्र को प्राप्त होने वाली डीसी की वोल्टता बढ़ जाती है। अधिक वोल्टता पर यंत्र खराब हो जाता है अत: इससे यंत्र की सुरक्षा करना आवश्यक है। यह प्रपत्र जीनर डायोड प्रताड़ित परिपथ होता है जो यंत्र के इलेक्ट्रॉनिक परिपथ को 9:00 या 12  वोल्ट से अधिक है वोल्टता प्राप्त नहीं होने देता।

टेलीफोन यंत्र के कार्य

टेलीफोन यंत्र निमृत कार्य करता।

हुक-स्विच  के द्वारा यंत्र को ऑन ऑफ करना तथा वोल्टता -पातक  परिपथ को ऑफ\ओन करना।

इनकमिंग कॉल के वैदिक संकेतों को ध्वनि संकेतों में  परिवर्तित करना (इयरफोन\ स्पीकर के द्वारा) तथा आउटगोइंग कॉल किए ध्वनि संकेतों को परिवर्तित करना (माइक्रोफोन के द्वारा।

डायल टोन सुनना। हैंडसेट उठाने पर यह परिपथ चालू हो जाता है। इससे पता चलता है कि टेलीफोन उपयोग के लिए तैयार है। डायल टोन मूलत: टेलीफोन- एक्सचेंज के द्वारा प्रेषित की जाती है ।

यदि कॉल किए गए व्यक्ति का टेलीफोन यंत्र किसी अन्य व्यक्ति से वार्तालाप में व्यस्त है तो एंगेज़ टोन सुनाना।   यदि डायल करने के बाद है रिंगैंग ध्वनि के के स्थान पर एंगेज़ टोन सुनाई दे तो इसका अर्थ है है कि कॉल किया गया यंत्र व्यस्त है। कुछ समय बाद पुनः कॉल करें। यह टोन मूलत टेलीफोन एक्सचेंज।

रिडार्लिंग सुविधा उपलब्ध कराना । यह कार्य एक पृथक पुश बटन (R) के द्वारा संपन्न किया जाता है जो मेमोरी चिप में संग्रहित अंतिम बार डायल किए गए टेलीफोन नंबर को पुनः डायल कर देता है।

यह कार्य प्लेस पुश बटन के द्वारा संपर्क किया जाता है जो R  जो पुश बटन दबाने पर मेमोरी चिप में संग्रहीत अंतिम बार डायल किए गए टेलीफोन नंबर को द्रुत गति से रिडायल करता है। इसके साथ ही रीसेट पुश- बटन से द्रुत गति रिडायलिंग कार्य शैली समाप्त की जा सकती है। 

वर्तमान मे प्रयुक्त टेलीफोन यंत्रो मे और भी अनेक सुविधाएं उपलब्ध होती है। जैसे

कोलर आई डी: कॉल करने वाले व्यक्ति के यंत्र का टेलीफोन नंबर हमारे यंत्र में आजा LCD के द्वारा दिखाई देना.

  1. समय वर्तमान समय का दृश्य प्रदर्शन.
  2. कॉलिंग समय इतने समय तक  वार्तालाप किया गया उसका प्रदर्शन एवं रिकॉर्डिंग.
  3. इनकमिंग कॉल तथा आउटगोइंग कॉल्स को फोन नंबर वार्तालाप समय आदी रिकॉर्डिंग हो जाना और  आवश्यक होने पर दृश्य रुप से प्रदर्शित हो जाना।
  4. यदि कोई यंत्र धारक व्यक्ति वहां उपस्थित नहीं है तो कॉलर के संदेश को रिकॉर्ड करना तथा उसे बताना कि व्यक्ति उपस्थित नहीं है कृपया संदेश देते।
  5. यंत्र  रिकॉर्ड की गई इनकमिंग तथा आउटगोइंग कॉल्स के रिकॉर्ड को मिटाने की सुविधा।

टेलीफोन यंत्र का प्रचालन

डायलिंग

टेलीफोन यंत्र के द्वारा किसी टेलीफोन- ग्राहक से संपर्क स्थापित करने हेतु उसका टेलीफोन नंबर को मिलाना डायलिंग कहलाता है। इस कार्य के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई गई है-

हैंडसेट को रेडियम को स्विच पर से उठाएं।

डायल टोन सुनाई देने लगी तो की पैड (कि-बोर्ड) एक-एक करके वछिंत टेलीफोन- नंबर की आंखों के लिए बटन दबाएं। ध्यान दे की प्रथम बटन दबाते ही डायल टोन समाप्त हो जाती है।

पूरा टेलीफोन- नंबर डायल हो जाने के बाद टेलीफोन- एक्सचेंज वाछिंत टेलीफोन नंबर वाले यंत्र में रिंगर संकेत अर्थात घंट्टी प्रेषित करता है। घंटों की यह ध्वनि डायल करने वाले व्यक्ति को हैंडसेट केयर फोन के द्वारा सुनाई देती है।

रिडायलीग

यदी डायल किया गया नंबर एंगेज है (व्यस्त है)डार्लिंग के बाद दूसरे व्यक्ति को रिंगर संख्या कि नहीं पहुंच रहा हो तो पुन: डायलिंग की जाती है। इस कार्य के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है-

हुक-स्विच को दबाकर डायल टोन सुने।

रिडायल पुश-बटन R दबाए। इस बटन को दबाते ही अंतिम बार डायल किया टेलीफोन नंबर पुन डायल होने लगता है।

हुक-स्विच – तथा R पुश बटन को क्रमश दबाकर  पुन रिडायलीग कि जाती है।

टोन/पल्स स्विच प्रचालन- यदि टेलीफोन यंत्र में तथा पल्स डार्लिंग दोनों प्रकार की सुविधा उपलब्ध हो तो टोन\पल्स स्विच को वांछित स्थिति (प्राय: पल्स डायलिंग) में खिसकाकर सेट कर दे। दोनों प्रकार कि डायलिंग दोनों प्रकार विधियों मे से टोन डायलिंग विधि कि गति ऊंची होती है।

फ्लैस बटन प्रचालन : यदि टेलीफोन-यंत्र FPABX सेंड हुआ है तो इस पुश बटन को दबाकर आगत कॉल को दूसरे टेलीफोन यंत्र पर स्थानांतरित किया जा सकता है।

रिंगर वॉल्यूम कंट्रोल:  इंद्र की ध्वनि को कम अधिक करने के लिए टेलीफोन यंत्र में नीचे की ओर से पोटेंशियोमीटर संयोजित होता है। इसकी नोब को घुमाकर रिंगर ध्वनि घटाई-बढाई जा सकती है।

टेलीफोन प्रणाली से संबंधित शब्दावली

  1. ADC एनेलोंग-टू-डिजिटल कनवर्टर परिपथ
  2. AGC ऑटोमेटिक गैन कंट्रोल परिपथ
  3. Alert Tone हैंडसेट की उपस्थिति में टेलीफोन यंत्र में सुनाई देने वाली बीप-बीप ध्वनी।
  4. Answering machine ऐसा टेलीफोन यंत्र जो टेलीफोन ग्राहक की अनुपस्थिति में कॉलर व्यक्ति को संक्षिप्त उत्तर दे सके संक्षिप्त संदेश को रिकॉर्ड कर सके।
  5. Analog लगातार सूचना युक्त संकेत (डिजिटल से भिन्न)।
  6. Astable vibrator लगातार ऑसिलेन्स पैदा करने वाला परिपथ है।
  7. Band प्रति सेकंड परिवर्तन संख्या जैसे – 400 बैंड का अर्थ है 400 परिवर्तन प्रति सेकंड।
  8. Bandwidth एक चैनल में समाहित हो सकने वाली सूचनाओं की संख्या, यह हर्टज़ प्रति सेकंड या बिट्स प्रति सेकेंड में व्यक्त की जाती है।
  9. Busy singal वह संकेत जिससे कोई व्यक्ति को पता चल जाता है कि कॉल किया गया यंत्र व्यस्त है। यह संकेत टेलीफोन एक्सचेंज प्रेषित करता है और एंगेज टोन भी कहते हैं।
  10. Cable टेलीफोन यंत्र को टेलीफोन एक्सचेंज में संयोजित करने वाली तारे।
  11. Call restrictor टेलीफोन एक्सचेंज में स्थापित वह उपकरण जो किसी व्यक्ति को निर्देशित प्रकार की कॉल करने से रोकता है। उदाहरण के लिए केवल स्थानीय टेलीफोन यंत्र से STD अथवा ISD कॉल रोकने वाला यंत्र।
  12. Cell टेलीफोन के संदर्भ में वह सब स्टेशन जो केंद्रीय टेलीफोन एक्सचेंज से संयोजित किए जाने वाले प्रणाली के माध्यम से संकेतों का आदान प्रदान करता है।
  13. Cellular मोबाइल फोन प्रणाली जो सेल के नेटवर्क का उपयोग करके संचार स्थापित करती है,
  14. Central switching office (co) वह स्थान जहाँ फोन कॉल सबसे पहले पहुंचता है अर्थात टेलीफोन एक्सचेंज।
  15. channel : निर्धारित आवृत्ति परास जिसमें सूचनाओं को एक अधिकारी के रूप में समाहीत व प्रसारित किया जाता है।
  16. Clamp टेलीफोन प्रणाली के संदर्भ में किसी स्थान के तत्व वोल्टता उदाहरण के लिए लाइन मे रिगर के संकेत को डबल जिनर युक्त परिपथ से दबाना या क्लैम्प करना।
  17. CMOS : कंप्लीमेंट्री मेटल ऑक्साइड सेमीकंडक्टर आई सी ।
  18. इस प्रकार की आई सी विस्तृत वोल्टता परास पर कम विद्धुत शक्ति खपत करती है।
  19. Coaxial cable धात्विक जाली की आवरण संयुक्त के बिल्लू बाहर शौर संकेतों से केबल चालकों से मुक्त करती है।
  20. Controller वॉल्यूम थी या उपकरण जो किसी अन्य उपकरण को कार्य को नियंत्रित करता है।
  21. Converter वह परिपथ अपनी पत्नी को किसी संकेत को एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित कर दें। उदाहरण के लिए DAC ( डिजिटल-टू-एनलोंग-कन्वर्टर)
  22. Coupling Capacitor किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के दो खंडों को आवृति उत्पन्न करने के लिए प्रयुक्त कैपीसीटर डीसी वोल्टता  रोकने वाला कैपिसीटर।
  23. Crystal क्वार्टर से बना केलास जिसका उपयोग ओसीलेटर परिपथ की आवृत्ति उत्पन्न करने हेतु आवर्ती नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  24. DAC डिजिटल-टू-एनलोंग-कन्वर्टर,अर्थात  डिजिटल संकेतों (0 व 1 के रूप में) को सामान्य प्रकार के (लगातार) संकेतों में प्रवृत्त करने वाला पेपर है।
  25. Decodar बाइनरी कॉर्डेड संकेतों को अलग अलग करने वाला परिपथ ।
  26. Demultiplexer संयुक्त संकेतों को उनके अवयवों मे विभक्त करने वाला परिपथ ।
  27. Dial tone 11th का हैंडसेट गाने पर फोन में सुनाई देने वाली ध्वनि।  इसकी आवृत्ति 350 Hz तथा 400 होती है और यह टेलीफोन एक्सचेंज द्वारा प्रेषित की जाती है। ध्यान दे कि सेल्यूलर फोन  ( मोबाइल फोन) मै डायल टोन नहीं होती ।
  28. Digital अंक  आधारित संकेत यंत्र उपकरण आने के लिए प्रयोग किया जाने वाला विशेषण है।
  29. DP : डायल प्लस ।
  30. DPDT डबल लाइट सिंगल करो
  31. DPST -डबल पोल सिंगल थ्रो स्विच की एक किस्म है।
  32. DTMF ड्यूअल : टोन मल्टी फ्रिक्वेंसि । एक संकेत परीक्षण प्रणाली है जिसका उपयोग टेलीफोन का मोबाइल फोन संचार प्रणाली में किया जाता है।
  33. Electroet microphone टेलीफोन में माइक्रोफोन की एक किस्म जिसका प्रयोग कार्बन माइक्रोफोन के स्थान पर किया जाता है।
  34. Elctronic Ringer टेलीफोन हिंदुओं में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक घंटी। कई प्रकार की अप्रिय कर सकते हैं जबकि सामान्य प्रकार की विद्युत घंटी (रिंगर) केवल एक ही प्रकार की ध्वनि उत्पन्न कर सकती है।
  35. E-mail इलेक्ट्रॉनिक मेल। कंप्यूटर के द्वारा इंटरनेट बनाने के माध्यम से आदान प्रदान किया गया टाइप संदेश ईमेल कहलाता है।
  36. Encoder सामान्य वैधुतिक को कूट भाषा ( जैसे बाईनरी) नेत्रवती करने वाला इलेक्ट्रॉनिक परिपथ एनकोडर कहलाता है। टेलीफोन यंत्र में डार्लिंग हेतु प्रयुक्त DTMF जनरेटर परिपथ एक एंनकोडर परिपथ होता है।
  37. EPABX इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेट ऑटोमेटिक ब्रांच एक्सचेंज। का उपयोग कार्यालय\ स्थानों में एक दो ……. चारणी टेलीफोन सयोजकों कों अनेक कक्षों  में उपयोग करने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा विभिन्न पक्षों में कार्य करते व्यक्ति आपस में भी वार्तालाप कर सकते हैं और इस कार्य में टेलीफोन एक्सचेंज की कोई भूमिका नहीं होती है।
  38. FAX  एक फोन के माध्यम से कागज के लिखे संदेशों का आदान प्रदान करने वाला यंत्र फ़ैक्स  कहलाता है।
  39. Fibre-Optic cable ग्लास फाइबर नामक पदार्थ से बने के बिल में प्रकाश किरणों\ वैधूतिक तरंगो \ रेडियो तरंगों के संचालन की अद्भुत क्षमता होती है और आजकल इसका उपयोग टेलीफोन लाइन में किया जाता है।
  40. Field phone  एसी टेलीफोन प्रणाली, जो पूर्णत: सचल हो और अन्य सभी टेलीफोन प्रणालियों से प्रिंटर के अस्तित्व रखती हो, फील्ड फोन कहलाती है।उपग्रह के उपयोग पर आधारित है सेटेलाइट एक फील्ड फोन है।
  41. Filter वह इलेक्ट्रॉनिक परिपथ है जो अनेक आकार प्रकार की आवृतियों में से वाछिंत आकार प्रकार की आवृतयां छाटकर पृथक कर सके फिल्टर परिपथ कहलाता है ।
  42. Gain प्रवर्धन प्रक्रिया के संकेत वोल्टता\ भक्ति में प्राप्त की गई वृद्धि, गेन  कहलाती है। यह कार्य वाल्व\ ट्रांजिस्टर\ आई सी युक्त इलेक्ट्रॉनिक परिपथ ( प्रवर्धक परिपथ) के द्वारा संपन्न किया जाता है।
  43. Hertz आवृत्ति की इकाई जो पहले साइकिल्स प्रति सेकंड में व्यक्त की जाती थी।
  44. HS (Hookswitch) टेलीफोन यंत्र को ऑन\ऑफ करने वाला दबाव चालित स्विच, हुक स्विच कहलाता है। हैंडसेट की इसी स्विच पर टिकाया जाता है। यह पुश-टू-ऑफ प्रकार का स्विच होता है।
  45. IR इनपुट रिसीवर एंपलीफायर इकाई।
  46. ISD इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायलिंग।
  47. Local loop टेलीफोन यंत्र को टेलीफोन एक्सचेंज से जोड़ने वाला केबिल अथवा मोबाइल फोन को स्थानीयसब- स्टेशन से जोड़ने वाला रेडियो नेटवर्क लोकल लूप कहलाता है।
  48. Microphone ध्वनि तरंगों को समतुल्य मे वैदयुतिक तरंगों में परिवर्तित करने वाली ( सेंसर) माइक्रोफोन कहलाता है।
  49. Mobile Phone रेडियो तरंगों के उपयोग पर आधारित है सचल  मोबाइल फोन या सेल्यूलर फोन कहलाता है।
  50. Modulation वेदयुतिक संकेत तरंगों को रेडियो तरंगों (वाहक तरंगो) आरूढ़ करना मोड्यूलेशन कहलाता है।
  51. MOV मेटल ऑक्साइड वैरिस्टर । इसका उपयोग टेलीफोन लाइन में ब्राह्म से प्रेरित व्यक्तिकरण संकेतोंको दबाने के लिए टेलीफोन यंत्र में किया जाता है।
  52. MS मार्क स्पेस
  53. Mute म्यूट अर्थात चुप। यह एक प्रकार का इनपुट होता है।
  54. Network एक दूसरे से संयोजित संचार उपकरणों की प्रणाली नेटवर्क कहलाती है। जैसे एक दूसरे से जुड़े टेलीफोन यत्र अथवा कंप्यूटर आदि।
  55. off-hook – वह अवस्था जिसमें हैंडसेट को टेलीफोन यंत्र के हुक-स्विच से अलग रखा गया हो ।
  56. Oscillater ए सी उत्पन्न करने वाला इलेक्ट्रॉनिक परिपथ ओसिलेटर कहलाता है।
  57. PABX प्राइवेट ऑटोमेटिक ब्रांच एक्सचेंज. यह एक वैदिक उपकरण है जिसके द्वारा एक टेलीफोन संयोजन से एक ही भवन के विभिन्न पक्षों में कार्य किसी व्यक्ति में संपर्क स्थापित किया जाता है।
  58. PBX  प्राइवेट ब्रांच एक्सचेंज। इस प्रणाली में ऑपरेटर का उपयोग आवश्यक है।
  59. RC tank ओसीलेटर परिपथ में आवर्ती निर्धारण करने वाला केपीसीटर तथा रेसिटरसे बना उप परिपथ।
  60. Receiver DTMF वह इकाई जो वैदिक संकेतों को बायनरी कोडेड डेसीमल (BCD) संकेतों में परिवर्तित करती है।
  61. Ring चार तारों वाले टेलीफोन केबिल में लाल रंग की तार रिंग कहलाती है।
  62. Ringer टेलीफोन यंत्र की घंटी।
  63. Ringer Signal टेलीफोन एक्सचेंज द्वारा प्रेषित निमन आवृत्ति (20 mz) का संकेत जो टेलीफोन ग्राहक को उसके लिए टेलीफोन कॉल की सूचना देने के लिए प्रेषित किया जाता है रिंगर  संकेत कहलाता है।
  64. RD\RE\CD- डायल रेट ओसीलेटर।
  65. Speaker phone आधुनिक टेलीफोन यंत्र में लगा हुआ है लाउडस्पीकर है, जिसके द्वारा हैंडसेट की ऑन होक अवस्था में ही वार्तालाप किया जा सकता है,  स्पीकर फोन कहलाता है।
  66. STAB  करण सेटीबिलाइईजर कनेक्शन।
  67. STD सब्सक्राइबर ट्रक डायर्लिंग।
  68. TIP  चार तारों वाले टेलीफोन केबिल में हरे रंग की तारे टिप कहलाती है।
  69. ITL  ट्रांजिस्टर- ट्रांजिस्टर- लोजीक आई सी। एसी आई सी जिसमें केवल, ट्रांजिस्टर्स हो।

टेलीफोन प्रणाली में दोष अनिवेश एवं उपचार

टेलीफोन यंत्र का मुख्य खंड

  1. रिंगर
  2. पोलैरिटी करैक्टर
  3. वोल्टेज ड्रॉपर
  4. डायलर
  5. साउंड एंपलीफायर
  6. की- मैट्रिक

प्रमुख टेलीफोन यंत्र मॉडल्स

  1. बीटेल
  2. गोदरेज
  3. एनको
  4. टाटा
  5. श्याम
  6. पैनासोनिक
  7. पनवायर
  8. वेवकाम
  9. ऑरपैट
  10. आई टी आई
  11. बी पी एल

टेलीफोन यंत्र में जोड़ी जाने वाली अन्य युक्तियां

संगीतमय घंटी

इनकमिंग कॉल की रिंग के स्थान पर संगीत में ध्वनि प्राप्त करने के लिए आधारित डुएल टोन घंटी प्रयोग की जा सकती है। इस कार्य के लिए या तो रिंग अ के स्थान पर संगीत में लगा दे अथवा दोनों को समांतर में लगा दे। ध्यान रखें कि 48 वोल्ट पर कार्य करता है अतः संगीत में घंटी भी 48 वोल्टता  वाली होनी चाहिए।

इलेक्ट्रॉनिक लॉक

आउटगोइंग कॉल को रोकने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक प्रयोग किया जा सकता है। यह टेलीफोन लाइन के तार के श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाता है।

आउटगोइंग कॉल कवि परिचय ध्रुवता  मैं जुड़े दो कैपिटर्स मैं से गुजारना पड़ता है और वे रुक जाती है। इसके विपरीत, इनकमिंग कॉल के लिए रिंग स्थिति में घंटी सुनाई देती है और साथ ही दोनों LED  चमकने लगती है। वार्तालाप करने के लिए हैंडसेट को उठाकर स्लाइड-स्विच को कौन सी तिथि में करना पड़ता है। इस स्थिति में केवल लाल LED चमकती रहती है।

अधिक ध्वनि देने वाली घंटी

कार्यशाला मोटर गैरेज आदि में स्वभाविक शोर के कारण टेलीफोन कॉल की घंटी का पता नहीं चल पाता है। ऐसे स्थानों पर तीव्र ध्वनि पैदा करने वाली घंटी प्रयोग की जाती है। इस घंटी को इनकमिंग टेलीफोन लाइन के समांतर में ब्रह्म रूप से जुड़ा जाता है।

टेलीफोन बग

यह एक लघु माइक्रोफोन होता है जिसमें एक लघु FM  ट्रांसमीटर लगा हुआ होता है। इसे इनकमिंग टेलीफोन लाइन के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। इसके ट्रांसमीटर के प्रसारण को लगभग 50 मीटर राजकीय क्षेत्र में साधारण FM  रिसीवर से ग्रहण किया जा सकता है। इस यंत्र का उपयोग पुलिस की जासूसी विभाग के द्वारा किसी अपराधी के टेलीफोन सुनने के लिए किया जाता है।

स्वचालित कॉल रिकॉर्डर

टेलीफोन यंत्र के साथ एक टेपरिकॉर्डर को जोड़कर टेलीफोन कॉल का संदेश रिकॉर्ड किया जा सकता है।

स्पीकर फोन

यह सुविधा टेलीफोन के द्वारा परिवारिक अथवा समूह वार्तालाप के लिए उपयोगी होती है। इसमें एक अतिरिक्त माइक्रोफोन था लाउडस्पीकर को एक स्विच के माध्यम से हैंडसेट के समांतर में जोड़ा जाता है। यह दोनों उपकरण सुग्राही होते हैं और 5-6 फीट दूर कि ध्वनि भी ग्रहण कर लेते हैं।

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