आज इस आर्टिकल में हम आपको शारीरिक पुष्टि व सुयोग्यता के बारे में जानकारी दे रहे है.


शारीरिक पुष्टि का अर्थ

आज के यांत्रिक युग में प्रत्येक मनुष्य अपनी शारीरिक पुष्टि बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील है. यह मनुष्य कि वह शक्ति तथा कार्य करने की योग्यता है, जिसको वह बिना किसी बाधा के आसानी से थोड़ी सी शक्ति का प्रयोग करके पूरा कर लेता है. शारीरिक पुष्टि का अर्थ बहुत व्यापक है, इसलिए इसे परिभाषित करना बहुत कठिन है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि यह हमें अपने शरीर को सही ढंग से रखने और अधिक देर तक मेहनत करने की क्षमता प्रदान करती है।

  1. डॉ. ए. के. उप्पल के अनुसार शारीरिक पुष्टि वह क्षमता है, जिसके द्वारा शारीरिक क्रियाओं के विभिन्न रूपों को बिना रुकावट के तर्कपूर्ण ढंग से किया जा सके इसके अंतर्गत व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा निरोगता के महत्वपूर्ण गुण सम्मिलित होते हैं.
  2. डेविड लैंब के अनुसार शारीरिक पुष्टि को उस कुशलता के रूप में परिभाषित किया गया है जिसके द्वारा जीवन की वर्तमान तथा सशक्त प्रदेश शारीरिक चुनोतियों का सफलता के साथ मुकाबला किया जा सके
  3. शारीरिक पुष्टि से व्यक्ति को अपने शरीर का ठीक ढंग से प्रयोग करने और अधिक देर तक परिश्रम करने की क्षमता से है.

शारीरिक सुयोग्यता का अर्थ

शारीरिक सुयोग्यता एक ऐसी अवस्था है, जो हमारे दैनिक जीवन में प्रत्येक कार्य को प्रभावशाली ढंग से करने में सहायक होती है तथा शेष बची हुई शक्ति से हम खाली समय में मनोरंजन कर सकते हैं. शारीरिक सुयोग्यता क्रोध को सहन करने और तनाव को दूर करने में सहायक होती है यह एक अच्छे स्वास्थ्य का सीन है यह प्रत्येक मनुष्य में विभिन्न भिन्न होती है क्योंकि इस पर पैतृक आदतों, व्यायाम, आयु तथा लिंग का प्रभाव पड़ता है. अंत: शारीरिक सुयोग्यता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह एक उत्तम एवं संतुलित जीवन व्यतीत करता है.

शारीरिक पुष्टि एवं उपयोगिता का महत्व

  1. शारीरिक पुष्टि एवं सुयोग्यता शरीर की विभिन्न प्रणालियों के कार्य करने की गति में सुधार करती है।
  2. इनसे व्यक्ति की कार्य कुशलता एवं क्षमता में वृद्धि होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति पहले की अपेक्षा अधिक कार्य करने में सक्षम हो जाता है।
  3. यह रोग निवारक क्षमता को बढ़ाती है और शरीर के सुचारु विकास में मदद करती है।
  4. यह व्यक्ति का आसान ठीक करती है।
  5. यह मानसिक स्वास्थ्य तथा चेतना में सुधार करती है और मानसिक क्षमता में वृद्धि करती है।
  6. यह तनाव व दवाब को दूर करने में सहायक होती है।
  7. यह हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों को दूर करती है।
  8. यह कार्य की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में वृद्धि करती है।
  9. यह व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने हेतु प्रेरित करती है।
  10. यह शरीर के आकार एवं बनावट में सुधार करती है।
  11. यह शरीर को मोटा एवं स्थुलता से बचाती है।

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One reply on “शारीरिक पुष्टि व सुयोग्यता”

  • Anki
    September 5, 2021 at 3:10 pm

    Hiii