सूक्ष्म जीवो से आप क्या समझते हैं? उनकी उपयोगि तथा अनुपयोगी प्रभाव के बारे में चर्चा करें?
सूक्ष्म जीव हमारे मित्र भी हैं और शत्रु भी यथार्थ सूक्ष्म जीवों से जहां में अनेक लाभ है वहीं अनेक हानियां भी है।
लाभ-
- सूक्ष्मजीवों के प्रभाव से ही शराब, बियर, एल्कोहल, सिरका, दूध से दही तथा पनीर आदि बनाए जाते हैं।
- इनके प्रभाव से ही डबल रोटी, इडली, डोसा, जलेबी आदि बनाए जाते हैं।
- इनके प्रभाव से ही प्रतिजैविक पदार्थ है, कंपोस्ट खाद तथा विटामिन बनाए जाते हैं।
- नील में नीला रंग, तंबाकू में कड़वाहट, चाय की पत्ती में रंग और स्वाद सूक्ष्म जीवों के कारण होता है।
- भूमि को उपजाऊ बनाना, नाइट्रोजन स्थिरीकरण है, तो बड़ों को साफ करना,एनसीलेजयुक्त चारा बनाना आदि ही के प्रभावों से संभव है।
- इनका उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में भी किया जाता है। शैवाल और कवक इसके उदाहरण हैं।
हानियां-
- इनके प्रभाव से खाद्य पदार्थ , जैसे अचार, चटनी, जैम, दूध, गूंथा, आटा, फल, की सब्जियां आदि खराब हो जाते हैं।
- इनके प्रभाव से मनुष्य को भयानक रोग, जैसे हैजा, तपेदिक, दाद, खुजली, पोलियो, चेचक, खसरा आदि हो जाते हैं।
- इनके प्रभाव से पौधों के रोग, जैसे सेब का चकता रोग, आलू का सड़न रोग, गेहूं का कांग्यारी रोग, गन्ने का रतुआ आदि के रोग हो जाते हैं।
- यह हमारी इमारती लकड़ी, पुस्तकें, फर्नीचर, चमड़े से बनी वस्तुओं को खराब कर देते हैं।
जीवाणुओ से होने वाली हानियों का वर्णन करो ।
- जीवाणु मनुष्य की बीमारियों, जैसे क्षय, ( टी॰बी॰) रोग, निमोनिया, टाइफाइड, टिटनेस, हैजा, सिफलिस, कोढ, मोतीझरा, प्लेग आदि के प्रमुख कारण है।
- पालतू जानवरों की बीमारियां, जेसे क्षय रोग, ब्लैक लैग, हैजा, भेड़ों का एंथ्रेक्स,आदि जीवाणु के कारण होती है।
- जीवाणु पौधों को रोग ग्रस्त कर देते हैं, जैसे आलू का रतुआ, नींबू का कैंकर, सेब का चकता, मिर्च का रिंग रोग तथा संतरा, गोभी, आडू, टमाटर का सड़न रोग जीवाणु के कारण ही होता है।
- जीवाणु हमारे भोजन, दूध, अचार, मुरब्बे, जेम, पकी सब्जियों, गूँथे आटे, मांस, मछली आदि को खराब कर देते हैं।
- जीवाणु कागज,, कपास, कीमती लकड़ी आदि को खराब कर प्रयोग करने योग्य नहीं रहने देते।
- कुछ जीवाणु भूमि को बंजर बना देते हैं।
- कुछ विशेष प्रकार के जीवाणु भूमि के नीचे पेट्रोलियम को नष्ट कर उपयोगी संसाधन की कमी करते हैं।
जीवाणुओं के लाभप्रद प्रभाव बताएं?
- जीवाणु भूमि में उपस्थित सूखे पत्तों तथा पौधों को बड़ा कर ह्रामूस बनाते हैं जो एक उत्तम खाद का काम करते हैं।
- जीवाणु मृत जीवों को गला- सड़ाकर पोषक तत्वों में बदलकर वापस मिट्टी में भेज देते हैं, जिससे प्राकृतिक मृदा संतुलन बना रहता है।
- जीवाणु सिरका तथा एल्कोहल बनाने में सहायता करते हैं।
- जीवाणु दूध से दही बनाने में सहायक होते हैं तथा दूध से मक्खन, पनीर आदि बनाने में भी सहायता करते हैं।
- जीवाणु चमड़े को साफ करने में सहायता करते हैं।
- चाय की पत्ती और तंबाकू को उपयोगी के योग्य बनाने में जीवाणु सहायता करते हैं।
- जीवाणु विटामिन बनाने के काम आते हैं।
- जीवाणु वायु की नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदलने में सहायक होते हैं जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने से अधिक पैदावार मिलती है।
- नील का नीला रंग जीवाणुओं के कारण ही होता है।
- जीवाणु मरीजों को अपघटीत कर सफाई रखने में सहायता करते हैं, जिससे दुर्गंध आदि से भी छुटकारा मिलता है।
शैवालों के उपयोग का वर्णन कीजिए?
- कुछ शैवाल मानव आहार के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं।
- डायटम कवच के विशाल निक्षेप का उपयोग छन्नक, विशेष प्रकार के काँच तथा पोर्सिलेन के उत्पादन में किया जाता है।
- कल्प नामक भूरे रंग की शैवाल आयोडीन तथा पोटेशियम की अच्छी स्रोत है।
- एगार तथा एलगीनिक अमल का उपयोग औषधि, खाद्य एवं प्रसाधन सामग्री के उत्पादन, कागज बनाने, कपड़े की छपाई तथा रंगों को गाढ़ा करने में होता है।
- चीन और जापान में अनेक प्रकार की समुद्री घास का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में होता है।
- सायनो जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक है।
- यह भूमि की उर्वरा शक्ति को बढाकर बंजर भूमि के गुणों को समाप्त कर देता है।
- सायनो जीवाणु उर्जा के प्रथम उत्पादक है।
- कुछ सायनो जीवाणु मास, फर्न, अनावृतबीजी, स्प्नज में सीलेंटेट्रा के लिए सहजीवी है।
कवक से हमें कौन कौन से लाभ और हानियां होती है?
कवकों से लाभ-
- कुछ कवक खाने के काम आते हैं जैसे छात्रक, खुम्ब, गुच्छी आदी।
- कुछ कवक मृत जंतुओं तथा पौधों का अपघटन करके उनके तत्वों को पुनः वातावरण में भेज देते हैं। अत: कवक प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ सफाई रखने में भी लाभदायक सिद्ध हुए हैं।
- यीस्ट नामक कवक का उपयोग डबल रोटी बनाने तथा एल्कोहल बनाने में होता है।
- कुछ कवक पौधों को हानि पहुंचाने वाले कीटों की रोकथाम के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
- बहुत से कवकों का उपयोग दवाओ के निर्माण में होता है,। महत्वपूर्ण प्रतिजैविक औषधि पेनिसिलिन कवक से ही प्राप्त होते हैं।
- कवक इडली, डोसा, जलेबी, आदि स्वादिष्ट व्यंजन बनाने में सहायक है।
कवकों से हानियां-
- कई प्रकार के कवक पौधों में रोग फैलाते हैं, जैसे गेहूं का कांग्यारी व रस्ट रोग, सेब के फल की सड़न, आलू का अगमारी रोग, गन्ने का लाल गलन (रतुआ) रोग आदि।
- बहुत से कवक हमारे खाद्य पदार्थों पर उगकर उन को नष्ट कर देते हैं, जैसे डबल रोटी, मुरब्बे, जैम, चटनी, आटे, आचार, जेली आदि पर लगने वाली फफूंदी।
- कुछ कवकों द्वारा हमारे दैनिक उपयोग की बहुत सी वस्तुओं को नष्ट कर दिया जाता है, जैसे कपड़े, चमड़े का सामान, कागज का सामान, बिजली का सामान, कैमरे का लेंस आदि।
- बहुत से कवक मनुष्य में रोग फैलाते हैं, जैसे चर्म रोग, दाद, खारीश, खुजली आदि।
- कुछ कवक इमारती लकड़ी को हानि पहुंचाते हैं।
नाइट्रोजन यौगीकीकरण किसे कहते हैं? इसका क्या महत्व है? जीवाणु इस प्रकरण में क्या योगदान देते हैं?
यह वह क्रिया है जिसमें एक विशेष प्रकार के जीवाणु फलीदार पौधों की जड़ों की ग्रंथियों में पाए जाते हैं तथा पानी और भोजन प्राप्त करते हैं। यह जीवाणु वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन का नाइट्रेट्स में बदल देते हैं। इस क्रिया को नाइट्रोजन यौगीकरण कहते हैं। नाइट्रेट्स पानी में घुलनशील होते हैं जिन्हें आसानी से ग्रहण कर सकते हैं।
नाइट्रोजन यौगीकीकरण का महत्व- नाइट्रोजन यौगीकीकरण का पौधों के लिए बहुत महत्व है। पौधे वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन का प्रयोग नहीं करते। भूमि में उपस्थित सहजीवी जीवाणु इसे नाइट्रोजन के यौगिक में बदलकर फलीदार पौधों की जड़ों में इकट्ठा कर लेते हैं। इससे प्रोटीन अधिक बनती है और फसल अच्छी और अधिक होती है।
जीवाणुओं का योगदान- सहजीवी जीवाणु वायुमंडल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदलकर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं क्योंकि पौधे नाइट्रोजन को सीधे रूप में ग्रहण नहीं कर सकते। अंतः पौधे जीवाणुओं द्वारा की जाने वाली नाइट्रोजन यौगीकीकरण की क्रिया के कारण ही नाइट्रोजन को ग्रहण करते हैं।
नाइट्रोजन चक्र का संक्षिप्त में वर्णन करें।
नाइट्रोजन चक्र- हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन गैस है। पौधे एवं जंतु वायुमंडल से सीधे नाइट्रोजन ग्रहण नहीं कर सकते।
लैग्युम की जड़ों में विद्यमान राइजोबियम जीवाणु व तड़ित विद्युत द्वारा नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के द्वारा नाइट्रेटस बनते हैं। नाइट्रेटस जल में घुलित होने के कारण पौधों के द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। पौधे नाइट्रेटस का उपयोग प्रोटीन एवं यौगीको के संश्लेषण में करते हैं जिन्हें जंतु खाद्य के रूप में ग्रहण कर लेते हैं।
पौधों और जंतुओं की मृत्यु के उपरांत है नाइट्रोजन युक्त यौगिक मिट्टी में मिल जाते हैं। यह पौधों द्वारा पुनः प्रयुक्त कर लिए जाते हैं। कुछ विशिष्ट जीवाणु नाइट्रोजनी यौगीको कों नाइट्रोजन गैस में परिवर्तित कर वायुमंडल में मुक्त कर देते हैं। इसी प्रकार वायुमंडल में नाइट्रोजन का चक्कर चलता रहता है।