आज इस आर्टिकल में हम आपको तुगलक वंश (1320-1413 ई.) के बारे में जानकारी देने जा रहे है जो निम्न प्रकार से है.

तुगलक वंश (1320-1413 ई.)

तुगलक वंश (1320-1413 ई.)
तुगलक वंश (1320-1413 ई.)

तुगलक वंश (1320-1413 ई.) का संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक ( 1320 – 25 ई.) था. गयासुद्दीन तुगलक ने डाक- व्यवस्था को संगठित किया. मोहम्मद बिन तुगलक ( 1325 – 51 ई.) का मूल नाम जॉन का था.

कुछ इतिहासकारों ने मोहम्मद बिन तुगलक को पागल, रकत- पिपासु कहा है.

यह राजधानी परिवर्तन दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि, सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन तथा प्राचीन एवं खुरासान विजय की योजना. उसने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरी) स्थांतरित की. लेकिन बाद में पुनः दिल्ली को राजधानी बनाया.

सांकेतिक मुद्रा के प्रचलन के लिए उसने तांबे तथा इससे मिश्रित कांसे के सिक्के चलाए थे. यह योजना भी कतिपय कारणों से असफल रही. रेहला पुस्तक का रचयिता मार्को का यात्री इब्नबत्तूता था. जो मोहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था.

मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए एक नवीन कृषि विभाग दीवान-ए-अमीर कोही की स्थापना की.

फिरोजशाह तुगलक ( 1351- 88 ई.) अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध है. जोधा ने सिंचाई की सुविधा के लिए कई नहरों का निर्माण करवाया. वह पहला सुल्तान था जिसने पूजा से सिंचाई कर वसूला.

सैयद वंश (1414-1451 ई.)

फिरोज शाह ने एकदम विभाग दीवान-ए-ईरान की स्थापना की. उसने एक दास विभाग दीवाने-ए-बंदगान की भी स्थापना की थी. वह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाया.

फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा फुतुहात- ए- फिरोजशाही की रचना की.मोहम्मद बिन तुगलक वंश का अंतिम शासक था, जिसके शासनकाल में तैमूर लंग का दिल्ली पर आक्रमण (1398 ई.) हुआ.

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