रेडियो रिसीवर की इंटरमीडिएट फ्रीक्वेंसी होती है-
455Khz
सर्किट जिसके द्वारा सूचना रेडियो सिग्नल पर लागू की जाती है______
मोडूलेटर कहलाता है.
1 Khz का सिग्नल सुपर हेड रिसीवर को कौन से स्टेज जांच करने के काम आती है-
ऑडियो स्टेज
चिप किसका बना होता है –
सिलिकॉन का
बड़े व्यास के डायाफ्राम वाला लाउडस्पीकर कहलाता है-
वूफ़र
किसी IC में NOT गेट्स होते हैं-
7404
LED एनकोडर चिप में होते हैं-
OR गैट्स
फोटो- प्रतिरोधक का अंधेरे में प्रतिरोध होता है-
10M
पेंजर मूलत: होता है-
FM रेडियो अभीग्रहित
इलेक्ट्रॉनिक दूरभाष यंत्र में अतिभार सुरक्षा से प्राप्त की जाती है-
एक दूसरे के विपरीत श्रेणी संयोजित दो जिनर डायोड से
रडार प्रणाली प्रचलित की जाती है-
UHF तथा माइक्रोवेव आवृत्ति परास
वीडियो हेड ड्रम को किस दिशा में घूमाता है-
वामावर्त
CD का आवर्ती प्रतिफल किस आवृत्ति परास पर लगभग सपाट होता है-
20 HHz से 20 khz
वीडियो टेप में ऑडियो ट्रेक, वीडियो ट्रैक तथा कंट्रोल ट्रेक को 0.15 मिमी चौड़े किस चीज के पृथक्क किया जाता है-
गाइड ट्रैक
एक KB वास्तव में किसके तुल्य होता है-
1024 बाइट्स के
VCP\VCR में प्रयुक्त वीडियो टेप की मोटाई लगभग कितनी होती है-
20 माइक्रोन
VCP\VCR में प्रयुक्त वीडियो हेड का व्यास कितना होता है
– 2.6 इंच (6.60 सेमी)
श्रव्य तथा दृश्य संकेतों के प्लेबैक तथा संग्रहण के लिए अभिकल्पित यंत्र क्या कहलाता है-
VCR
दृश्य संग्रहण के लिए प्रयुक्त अधिमिश्रण होता है –
FM
VCR – में नमी की उपस्थिति पता लगाने के लिए कौन सी युक्ति प्रयोग-
ओस संवेदी युक्ति
CRT में इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन किस तापमान पर होता है –
800 डिग्री C
किसी CRO की सुग्राहीता ज्ञात की जाती है –
उसके उर्ध्व प्रवर्धक से
अंकीय वॉल्टमापी (DVB) की सुग्राहिता होती है।
1uv
दुहरा पूंज ऑस्किलोस्कोप में होता है
दो इलेक्ट्रॉन गन
CRO में प्रयुक्त CRT के लिए आवश्यक सूचना वोल्टता का परास कितना होता है-
5Kv से 6kv
किसी टीवी अधिग्रहित का निष्पादन किसके द्वारा परखा जा सकता है-
प्रतिरूप जनित्र
इंटर केरियर ध्वनि संकेत की आवृत्ति होती है-
5.5 MHz
U तथा V वर्ण अंतर संकेतों में कलांतर होता है-
90 डिग्री
R, G, B दृश्य संकेत, पिक्चर ट्यूब के किन पिनो पर प्रदान किए जाते हैं-
7, 9, 3
21 आकार की रंगीन पिक्चर- ट्यूब के अंतिम त्वरक के एनोड के लिए EHT होती है-
22 से 25 किलो वोल्ट
CTV के उर्ध्व खंड में कौन सा नियंत्रक अवस्थित होता है-
उर्ध्व समरूपता नियंत्रक
ट्यूनर का मुख्य कार्य है-
ऐंटेना द्वारा अधिग्रहित चैनल्स में वंचित चैनल छाटना।
द्विध्रुवी एक्टेना का अपघात होता है-
300 ओम
टी वी प्रसारणों मे विद्युत तरंगो का किस प्रकार का ध्रुवण प्रयुक्त होती है-
क्षेतिज ध्रुवण
पिक्चर ट्यूब का आकार निर्देशित किया जाता है-
उसके कर्ण से
पिक्चर ट्यूब की आंतरिक सतह ऑलेपीत होती है-
फास्फेट योगिक से
स्टीरियो- हेड में कितनी कुंडलियां होती है-
दो
दुहरे डेक वाले टेप- रिकॉर्डर को कहा जाता है-
कॉपियर
एक श्रव्य चक्कर समय में टेप कि चुम्बकीता लंबाई क्या कहलाती है-
संग्रहित तरंग धैर्य
टू इन वन में होता है-
एक अभिग्रहित तथा एक फिता अभीलेखित
टू इन वन में फंक्शन- स्विच का अर्थ है-
रेडियो या टेप-रिकॉर्डर छाँटना
टेप को किस नियत गति पर चलाया जाता है-
4.75 सेंटीमीटर\से
AM रेडियो अभिग्रहित की आई एफ का मान सामान्य कितना रखा जाता है-
455 KHZ
मिश्रक संपन्न का निर्गत है-
आई एफ
आई एफ परिणामित्र का कार्य है-
आईएफ को उसके आवश्यक मान पर ट्यून करना
VHF प्रेषित में निहित है-
कई आवृत्ति गुणक सोपान
AFC आवश्यक होता है-
FM प्रेषित में
AM प्रसारण हेतु अधिकतम अनुमत चैनल- चौड़ाई है –
30KHz
चुंबकीय टेप पर संग्रहित कार्यक्रम को मिटाने की सर्वोत्तम तकनीक है-
उच्च आवृत्ति ऐसी वोल्टता का प्रयोग करना
द्विध्रुवी एंटीना का लाभ (गेन) बढ़ाया जा सकता है-
अधिक संख्या में वर्धक जोड़ कर
भारत में कौन सी रंगीन प्रसारण प्रणाली प्रयोग की जाती है-
PAL
उच्च शक्ति वाले टीवी परीक्षेत्र का अधिग्रहण क्षेत्र होता है-
120 किलोमीटर
डेल्टा- गन पिक्चर ट्यूब में तीन इलेक्ट्रॉन-गनों को एक दूसरे से पृथक रखा जाता है-
120 कोण से
रंगीन टीवी के आर एफ प्रवर्धक सोपान में MOSFET प्रयोग किया जाता है, क्योंकि-
इसका निवेशी अपघात तथा शोर निम्न होते हैं।
दृश्य प्रवर्धक की प्रचालन वोल्टता कितनी होती है-
150V
CD सामान्यत: किसी पदार्थ से निर्मित होती है-
पॉलीकार्बोनेट
लाउडस्पीकर में प्रयुक्त स्थाई चुंबक किस से बने हुए होते हैं-
ALNICO
20 Hz से 20,000 Hz
फुल वेव रेक्टिफायर्स की रिफिल फ्रीक्वेंसी कितनी होती है-
50 hz
रेडियो टीवी\ इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक कार्य में प्रयुक्त सोल्डर में टीन और शीशे का सर्वाधिक उपयुक्त अनुपात होता है-
70:30
आवेशित कणों की गति कहलाती है-
धारा
LED की अपेक्षा अग्रिम धारा का मान होता है-
10 mA से 50 mA
PNP ट्रांजिस्टर में दो PN संगम डायोड के तुल्य समझा जा सकता है जिनका संयोजन कम है-
PNNP
किसी ट्रांसमीटर में कलेक्टर- क्षेत्र को बनाया जाता है-
एमीटर क्षेत्र से बड़ा
एक ट्रांजिस्टर को प्रताड़ित किया जा सकता है-
CE या CB या CC शैली में
NPN ट्रांजिस्टर में बहुसंख्यक आवेश वाहक होते हैं-
मुक्त इलेक्ट्रॉन
ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वोल्टेज Vs बराबर है –
N2VP
जब हम टीवी रिसीवर स्क्रीन पर वर्टिकल लाइन पाते हैं, तो यह दोष है-
होरिजेंटल डिफेकेशन सर्किट में
एक टूटी हुई कव्वाईल में-
कोई रिसिस्टेंस नहीं होता है
ऑटो ट्रांसफार्मर अधिक का प्रयोग किया जाता है-
EHT (एक्स्ट्रा हाई टेंशन) हाईटेंशन ट्रांसफर के रूप में टेलीविजन
सर्किट जिसके द्वारा सूचना रेडियो सिग्नल पर लागू की जाती है को क्या कहते हैं-
मोडुलेटर
टीवी के लिए पिक्चर कैरियर तथा साउंड के लिए फ्रिकवेंसी के बीच स्पेसिंग होती है-
5.5 mHz
लाउडस्पीकर के बड़े डायमीटर और भारी कोण को क्या कहते हैं-
वूफर
यदि हमें टीवी के स्क्रीन पर केवल एक वर्टिकल लाइन मिलती है तब दोष है-
वर्टिकल डिफ्लेकेशन सर्किट में
रिसीवर में केवल ताकतवर सिग्नल पर डिस्टॉर्शन मिलती है, तब खराबी कहां है-
AGC सेक्शन में
1 Khz का सिग्नल सुपरहिट रिसीवर की कौन सी स्टेज का टेस्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है-
ऑडियो
IC 741 चिप है-
ऑपरेशनल एंपलीफायर
जर्मेनियम डायोड में फॉरवर्ड नमक वोल्टेज है-
0.3 V
जब इनपुट सिगनल ट्रांजिस्टर एंपलीफायर के बेस पर दिया जाता है और एमीटर आउटपुट सिग्नल लिया जाता है तब एंपलीफायर होता है- कॉमन कलेक्टर
टाइप
एसी को डीसी में परिवर्तित करने के लिए न्यूनतम कितना डायोड चाहिए-
एक
वोल्टता रेगुलेटर परिपथ में प्रयोग किया जाने वाला डायोड है-
जिनर डायोड
साउंड में प्रयोग होने वाले सिग्नल मोडूलेशन किस प्रकार की होती है जो रिसीवर में प्रचलित होती है-
AM
रेडियो रिसीवर की इंटरमीडिएट फ्रीक्वेंसी होती है।
455 KHz
टीवी ऑन करने पर आवाज, तस्वीर तथा रास्टर नहीं मिलती, तब दोष है-
पॉवर सप्लाई में
कलर टेलीविजन के पिक्चर ट्यूब में विद्यमान इलेक्ट्रॉन्स गंन्स की संख्या कितनी होती है-
3
ऊंची आवाज में सिग्नल डिस्ट्रॉट हो जाता है, तो कहां खराबी होगी-
AGC स्टेज में
ट्रांजिस्टर के चिन्ह में तीर का निशान दिशा को दर्शाता है-
एमिटर में इलेक्ट्रॉन करंट
N प्रकार का अर्धचालक होता है-
मुक्त इलेक्ट्रॉन की बहुलता वाला
उच्च शक्ति वाले टीवी प्रेषीत्र का अभिग्रहण क्षेत्र होता है-
120 किलोमीटर
डेल्टा- गन पिक्चर- ट्यूब में तीन इलेक्ट्रॉन- गनों को एक दूसरे से पृथक-
120 कोण से रखा जाता है
रेडियो संचार प्रणाली
रेडियो तरंगों का अर्थ 20 kHz से 3 x 10-6 MHz आवृति के बीच की विद्युत- चुंबकीय तरंगों के द्वारा संचार स्थापित करना रेडियो संचार कहलाता है। इस प्रणाली के मुख्य घटक है- ट्रांसमीटर तथा रिसीवर
ट्रांसमीटर
यह एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका कार्य है- रेडियो तरंग पैदा करना, उन पर संकेत तरंग को आरूढ़ करना और उन्हें विद्युत- चुंबकीय तरंगों के रूप में अंतरिक्ष में फैलाना।
रिसीवर
यह भी एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसका कार्य है- अंतरिक्ष से रेडियो तरंगों को प्राप्त करना, वांछित आवृत्ति की तरंग छांटना, उसमें से संकेत तरंग को पृथक करना और उसे श्रव्य\ दृश्य रूप से पुनरत्पादित करना।
रेडियो ट्रांसमीटर
रेडियो ट्रांसमीटर मे मुख्यतः निम्न लिखित इकाई क्या होती है
संकेत उत्पादक
श्रव्य संकेत तरंग पैदा करने के लिए माइक्रोफोन रिकॉर्ड प्लेयर टेप रिकॉर्डर या डिस्क प्लेयर प्रयोग किया जाता है। दृश्य संकेत तरंग पैदा करने के लिए वीडियो कैमरा प्रयोग किया जाता है।
आर एस ओसीलेटर
यह एक इलेक्ट्रॉनिक परिपथ होता है। यह 20 khz से 3 x 10-6 MHZ आवर्ती के बीच आवश्यक वाहक तरंगे पैदा करता है। ट्रांसमीटर में LC ओसीलेटर या किस्टल ओसीलेटर प्रयोग किया जाता है।
मॉड्यूलेटर
यह एक आर एफ एमप्लीफायर परिपथ है जिसमें संकेत तरंग पर आरूढ़ प्रयोग किया जाता है। यह क्रिया मॉडयूलेशन कहलाती है। मॉडयूलेशन मुख्यतः निम्न तीन प्रकार का होता है-
आयाम आरूढ़न
मॉडयूलेशन कि वह विधि जिसमें वाहक तरंग का आयाम, संकेत तरंग के आयामों के अनुरूप परिवर्तित किया जाता है आयाम आरूढ़न कहलाता है। इसका उपयोग श्रव्य संकेत प्रसारण में किया जाता है। टेलीकास्टिंग में दृश्य संकेतों के प्रसार भी AM प्रणाली के द्वारा किया जाता है।
आवृत्ति आरूढ़न
मॉडयूलेशन कि वह विधि जिसमें वाहक तरंग की आवृत्ति संकेत तरंग के आयामों के अनुरूप परिवर्तित की जाती है आवृत्ति आरूढ़न कहलाती है। उसका उपयोग ब्रॉडकास्टिंग तथा टेलीकास्टिंग में श्रव्य संकेत प्रसारण हेतु किया जाता है।
पल्स आरूढ़न
मॉडयूलेशन कि वह विधि जिसमें साइन वेव आकृति के स्थान पर वर्गाकार पल्सेज, वाहक तरंग के रूप में प्रयोग की जाती है। प्लस मॉडयूलेशन कहलाता है। इसका उपयोग है रिमोट कंट्रोल आदि में किया जाता है।
एंटीना
ट्रांसमीटर का मुख्य घटक है एंटीना। यह मोडयूलेटड तरंगों को विद्युत-चुंबकीय तरंगों के रूप में अंतरिक्ष में फैला देता है।
रेडियो रिसीवर
रेडियो रिसीवर, निम्न में से चार मूल सिद्धांतों पर आधारित होता है
संग्रहण
भू तल पर वायु मंडल (अंतरिक्ष) में स्थापित प्रत्येक चालक में, ट्रांसमीटर द्वारा प्रसारित विद्युत चुंबकीय तरंगें, आरएफ विद्युत वाहक बल उत्पन्न करती है। यह आरएफ विद्युत वाहक बल ही रिसीवर के लिए आर एफ इनपुट का कार्य करता है। यह क्रिया संग्रहण कहलाती है और इसके लिए एरियल प्रयोग किया जाता है।
चयन
विश्व में कार्यरत अनगिनत ट्रांसमीटर्स के द्वारा अंतरिक्ष में प्रसारित है. अनगिनत रेडियो तरंगों में से वाछींत आवर्ती की रेडियो छांटना आवश्यक है तभी उसमें से श्रव्य\दृश्य तरंग का पुनरुत्पादन किया जा सकता है। यह क्रिया चयन कहलाती है और इसके लिए श्रेणी अनुवाद परिपथ प्रयोग किया जाता है।
डिटेक्शन
चयनित आवृत्ति की रेडियो तरंग में से संकेत तरंग को पृथक करना डिटेक्शन कहलाता है। इस कार्य के लिए PN जंक्शन डायोड प्रयोग किया जाता है।
पुनरुत्पादन
संकेत तरंग को श्रव्य तरंगों अथवा दृश्य में परिवर्तित करना पुनरुत्पादन कहलाता है। इस कार्य के लिए क्रमश: हेडफोन या लाउडस्पीकर एवं पिक्चर ट्यूब प्रयोग की जाती है।
टीआरएफ रिसीवर रेडियो तरंगों के संग्रहण के मूल सिद्धांत पर आधारित विश्व का सर्वप्रथम रिसीवर क्रिस्टल रिसीवर कहलाता है। इसमें, संग्रहण के लिए 25 से 30 फीट लंबा चालक तार 20 फीट ऊंचाई पर स्थित किया जाता है जो एरियल का कार्य करता है। आवृत्ति चयन के लिए लगभग 300 लपेट वाली लंबी कुंडली और 30 से 300 पिको फ्रीडमैन का परिवर्तित संधारित्र प्रयोग किया जाता है। डिटेक्शन के लिए PN संगम डायोड तथा पुनरुत्पादन के लिए उच्च अपघात वाला हेडफोन प्रयोग किया जाता है।
क्रिस्टल रिसीवर की कार्य सीमा 50 से 80 किलोमीटर होती है इसमें अधिक दूरी पर संग्रहण के लिए रिसीवर में आर एफ़ तथा ए एफ प्रवर्धक प्रयोग किए जाते हैं। प्रवर्धक परिपथों के उपयोग पर आधारित रिसीवर ट्यूंड रेडियो फ्रीक्वेंन्सी रिसीवर या टी आर एवं रिसीवर कहलाता है। इस चयन तथा डिटेक्शन खंडों के बीच 2 से 3 आर एफ प्रवर्धक इकाइयां प्रयोग की जाती है। इस प्रकार संकेत तरंग इतनी शक्तिशाली हो जाती है कि वह लाउडस्पीकर को चला सकती है और अनेक व्यक्ति एक साथ कार्यक्रम सुन सकते हैं।
प्रवर्धक
थ्रमीऑनिक वाल्व अथवा ट्रांजिस्टर आधारित ऐसा परिपथ जो उसे प्रदान किए गए संकेत की वोल्टता अथवा शक्ति के मान को बढ़ा दे प्रवर्धक परिपथ या प्रवर्धक कहलाता है।
परर्वधन
इस परिपथ में ट्रांजिस्टर के बेस पर आरोपित डीसी बॉयस (पूर्व प्रदत डीसी वोल्टता) के साथ-साथ आर एफ, ए एफ संकेत वोल्टता भी प्रदान की जाती है। यह एक ही संकेत वोल्टता, बायस वोल्टता में जुड़ती\ घटती है। जिसके फलस्वरूप कलेक्टर धारा प्रवर्तित होने लगती है। कलेक्टर परिपथ में संयोजित लोड प्रतिरोधक के सिरों पर प्रवर्तित वोल्टता अर्थात संकेत प्राप्त हो जाता है जो इनपुट संकेत की तुलना कई गुना (या कई 100 गुना) अधिक होता है यही प्रवर्धन है।
प्रवर्धकॉ का वर्गीकरण: प्रवर्धक का वर्गीकरण निमन्वत है।
आवृत्ति के आधार पर
- श्रय आवर्ती ए एफ प्रवर्धक
- रेडियो आवृति या आर एफ़ प्रवर्धक
- वीडियो प्रवर्धक
योग्यता के आधार पर
- श्रेणी ए प्रवर्धक उच्च श्रेणी के ए एफ़ प्रवर्धक में
- श्रेणी बी प्रवर्धक-ए एफ़ आर एफ़ की आउटपुट इकाई में
- श्रेणी ए बी प्रवर्धक- सा ए एफ़ प्रवर्धक में
- श्रेणी सी प्रवर्धक- ट्रांसमीटर में आर एफ़ प्रवर्धन के लिए
कपलिंग विधि के आधार पर
- RC कपिल्ड प्रवर्धक
- अपघात कपिल्ड प्रवर्धाक
- ट्रांसफार्मर कपिल्ड प्रवर्धक
- प्रत्यक्ष कपिल्ड प्रवर्धक
शक्ति के आधार पर
- वोल्टता प्रवर्धक
- शक्ति प्रवर्धक
पुश-पुल प्रवर्धक
रिसीवर्स तथा ट्रांसमीटर्स आउटपुट खंड में संकेत की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेष प्रकार के दो ट्रांजिस्टर\वाल्वस युक्त परिपथ प्रयोग किए जाते हैं जो पुश-पुल प्रवर्धक कहलाते हैं। यह परिपथ निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।
- पुश-पुल परिपथ
- एकल सिरा पशु- पुल परिपथ
- पूरक सममिति कंप्लीमेंट्री सीमेंट्री परिपथ
फीडबैक प्रवर्धक
किसी प्रवर्तक परिपथ में आउटपुट शक्ति का कुछ अंश इनपुट में देना फीडबैक कहलाता है। ‘यह धनात्मक तथा ऋणात्मक प्रकार का होता है। धनात्मक फीडबैक का प्रयोग ओसिलेटस में किया जाता है जबकि ऋणात्मक फीडबैक का उपयोग ए एफ़ प्रबंधकों में विकृति दोष को दूर करने के लिए किया जाता है। फीडबैक परिपथ दो प्रकार के होते हैं।
- वोल्टता फीडबैक या एमीटर फॉलोअर
- धारा फीडबैक
सुपरहेटरोडाइन रिसीवर
टी आर एफ़ रिसीवर में एरियल से ट्यून की गई रेडियो आवृत्ति पर ही डिटेक्शन क्रिया संपन्न की जाती है। इस रिसीवर की सुग्रीहता निम्न स्तरीय होती है। इसका कारण है-आर एफ़ प्रबंधन इकाई का पूर्ण आर एफ़ रेंज पर एक समान प्रवर्धन न कर पाना। इस समस्या के निराकरण के लिए विशेष प्रकार का रिसीवर तैयार किया गया जो सुपरहेटरोडाइन रिसीवर कहलाया।
सुपरहेटरोडाइन सिद्धांत
सुपरहेटरोडाइन रिसीवर में एरियल से ट्यून की गई किसी रेडियो आवृत्ति को स्थानीय ओसीलेटर द्वारा पैदा की गई अवधि के साथ मिक्सर नामक इकाई में एक-दूसरे से प्रतिक्रिया करा कर एक निम्न आवर्ती में प्रवेश कर लिया जाता है। यह निम्न आवर्ती तथा स्थानीय ओसीलेटर से पैदा की गई आवृति के मान का परिवर्तन एक गैंग संधारित्र की सहायता से एक साथ किया जाता है। इसके फलस्वरुप, हेटरोडाइन प्रक्रिया से प्राप्त आई एफ़ का मान निश्चित होता है जैसे- 455 KHz
एक निश्चित अवधि पर आर एफ परिपथ 500 से 5000 गुना तक प्रवर्धन कर सकता है और परिणामस्वरुप रेडियो रिसीवर की सुग्राहिता बहुत बढ़ जाती है। AM रिसीवर के अतिरिक्त FM रिसीवर तथा TV रिसीवर में भी यही तकनीक अपनाई जाती है।
ओसिलेटर
यांत्रिक विधि के द्वारा 2-4 khz से अधिक आवृति की धारा पैदा अव्यवहारिक है। अत उच्च आवृति धारा पैदा करने के लिए इलेक्ट्रोनिक परिथम प्रयोग किया जाता है जो ओसीलेटर कहलाता है। वास्तव में यह एक प्रवर्धक परिपथ होता है जिसमें धनात्मक फीडबैक आरोपित करके उसे ओसीलेटर परिपथ में परिवर्तित किया जाता है। ओसीलेटर परिपथ के आवश्यक घटक है।
- ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ
- धनात्मक फीडबैक परिपथ
- आवृत्ति निर्धारक परिपथ- टैंक परिपथ, क्रिस्टल आदि।
ओसीलेटर परिपथो का वर्गीकरण
- ट्यून कलेक्टर ओसिलेटर
- हार्टले ओसिलेटर श्रेणी पोषित, समांतर पोषित
- क्लेप ओसीलेटर
- क्रिस्टल ओसिलेटर
- फेज शिफ्ट ओसिलेटर
- मल्टीबाइब्रेटर
- वेन ब्रिज ऑस्किलेटर
- ब्लॉकिंग ओसीलेटर
- बीट फ्रीक्वेंसी ओसीलेटर (bfo)
ओसीलेटर परिपथो के उपयोग
- रेडियो रिसीवर की मिक्सर इकाई में- हार्टले समांतर पोषित
- रेडियो ट्रांसमीटर में हार्टले ओसीलेटर, क्रिस्टल ऑसीलेटर
- ए एफ ओसिलेटर यंत्र में- हार्टले ओसिलेटर, बीट फ्रीक्वेंसी ओसिलेटर
- सिग्नल जरनेटर में – हार्टले ओसिलेटर
- फंक्शन जरनेटर में- हार्टले ओसिलेटर तथा मल्टी वाइब्रेटर
- आवृत्ति निर्धारक यंत्र मे वेन ब्रिज ओसिलेटर
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