उत्तर प्रदेश के लोकगीत, up lok geet in hindi, bhojpuri lokgeet, hindi lok geet, dehati lok geet, dehati lok geet up, rajasthani lok geet, hindi lok geet list, bundelkhandi lokgeet
More Important Article
- MI के सबसे सस्ते 4G मोबाइल
- कम्प्यूटर के बारे में सामान्य जानकारी
- वर्ग तथा वर्गमूल से जुडी जानकारी
- भारत के प्रमुख झील, नदी, जलप्रपात और मिट्टी के बारे में जानकारी
- भारतीय जल, वायु और रेल परिवहन के बारे में जानकारी
- ए.पी.जे अब्दुल कलाम की जीवनी
- विश्व में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- भारत में प्रथम से जुड़े सवाल और उनके जवाब
- Gym से Height रूकती है या नहीं?
- सरदार वल्लभभाई पटेल की जीवनी
उत्तर प्रदेश के लोकगीत
देश की प्राचीनतम लोक संस्कृतियों में से एक राज्य की लोक संस्कृति के होने के कारण यहां के लोकगीतों का इतिहास बहुत प्राचीन है। राज्य में हिंदी तथा उसकी सहायक भाषाओं में विशेष अवसरों पर जैक्से मुगलों एवं राजपूतों में होने वाले युद्ध के समय, प्रमुख मेलों तथा उत्सवों के अवसर पर लोकगीत गाने की स्वस्थ परंपरा प्रचलित है।
राज्य के अत्यंत लोकप्रिय लोकगीत- बिरहा, कजरी, चेती, पूरनभगत, आल्हा, रसिया, भर्तहरि आदि है।
लोक गीतों का लोक नृत्यों से घनिष्ठ संबंध है। जिस कारण अनेक प्रकार के नृत्य गीत सुनने में आते हैं। कुछ प्रमुख नृत्य गीत है- जौनपुर के कारों का चौरसिया घड़या नृत्य आदि। राज्य के कुछ क्षेत्रों जैसे जौनसार, बाबर तथा बुंदेलखंड आदि क्षेत्रों के लोकगीतों में वहां की जनजातियां तथा क्षेत्रीय विषमताओं की संपष्ट झलक मिलती है।
लोकगीतों के अंतर्गत गाए जाने वाले संस्कार गीतों में विवाह गीत ,सोहर गीत, सारे धार्मिक गीतों तथा मेला गीतों में लोक संस्कृति की विशेष जलक देखने को मिलती है। राज्य में लोकगीत व लोकनृत्य गीत अवधी, भोजपुरी, बुंदेल खंडी, कन्नौज तथा क्षेत्र के विभिन्न शैलियों में उपलब्ध है।
इन लोकगीतों तथा लोक नृत्य गीतों के प्रभावी प्रस्तुतिकरण में प्रयुक्त विभिन्न लोक वाद्यों, यथा, ढोल, नगाड़ा, रमतूला, रणसिंहगा, केकड़ी, ढोलक, चिंमटा तथा करताल, बेला चमेली आदि से वातावरण तथा प्रस्तुति में चार चांद लग जाते हैं।