G.K

उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक संरचना

उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक संरचना, up ki prakrikit sarnchna, up ki prakritik sanrachna, उत्तर प्रदेश की स्थापना कब हुई, उत्तर प्रदेश जनसंख्या, उत्तर प्रदेश का प्राचीन नाम, उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला, उत्तर प्रदेश के जिले, उत्तर प्रदेश की वेशभूषा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के नाम, उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला कौन सा है,

More Important Article

उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक संरचना

उत्तर प्रदेश की जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, मिट्टी एवं भू-सरंचना आदि के आधार पर मुख्य रुप से 2 प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. दक्षिणी पठारी प्रदेश
  2. मैदानी प्रदेश

दक्षिणी पठारी प्रदेश

उत्तर प्रदेश के दक्षिणी पठारी प्रदेश के अंतर्गत मुख्य रूप से दो भू-भाग आते हैं.

  1. बुंदेलखंड
  2. बघेलखंड

बुंदेलखंड

इस भू-भाग का दक्षिणी उच्च प्रदेश इन विध्ययन काल की प्राचीनतम शैलो एवं नीस चट्टानों द्वारा निर्मित है. इस क्षेत्र में यह चटाने कठोर टीलों के रूप में यत्र-तत्र पाई जाती है तथा इनकी सामान्य ऊंचाई 450 मीटर है. निम्नवर्ती बुंदेलखंड में नदियों द्वारा निक्षेपित मिट्टी पाई जाती है, जो अपक्षरण की क्रिया के फलस्वरूप काफी कट-छट गई है.

यहां के क्षेत्र में लाल रंग की मिट्टी पाई जाती. बुंदेलखंड के क्षेत्र में मौलिक रूप से भू-आकारों में काफी परिवर्तन हो गया है, क्योंकि यहां पर नदियों द्वारा गहरी, संकरी एवं उबड़ खाबड़ घाटियों का निर्माण किया गया है. यहां मानसूनी जलवायु पाई जाती है. इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में औसत तापमान 28 से 32 सेल्सियस एवं शीत ऋतु में 15 से 18 सेल्सियस के मध्य रहता है. इस भाग में मानसूनी हवाओं से वर्षा होती है. जिस की मात्रा 100 सेंटीमीटर तक होती है.

बुंदेलखंड की नदियों इसमें अनउपजाऊ काली एवं दोमट प्रकार की मिट्टियां पाई जाती है. इस प्रदेश में मानसूनी प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियां पाई जाती है. ढाक, शिशम, बांस आदि के वृक्ष से काफी संघन रूप में पाए जाते हैं, कुछ स्थानों पर सीडीनुमा वृक्ष भी बिखरे हुए रूप में पाए जाते हैं.

भवन निर्माण कार्यों के लिए इस क्षेत्र में पाए जाने वाले वनों की लकड़ी उपयुक्त होती है. इन वनों में सहायक उत्पाद के रूप में लाख, गोद, शहद एवं विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां प्राप्त की जाती है, कम वर्षा वाले क्षेत्र में घास के मैदान स्थित है, जिनमें मुख्य रूप से पशु चारण का कार्य किया जाता है, यहां पर कांस नामक घांस अधिकता से पाई जाती है.

बुंदेलखंड

मिर्जापुर जिले का अधिकांश भाग इसके अंतर्गत आता है. इस भू-भाग की ऊंचाई लगभग 450 मीटर है. शंकवाकार टीले यहां पर विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाते हैं. विभिन्न स्थानों पर बघेलखंड का पठारी प्रदेश उत्पन्न कटा फटा है तथा यहां बहने वाली नदियों ने संकरी घाटियों का निर्माण किया है.

सोन इस क्षेत्र की प्रमुख नदी है. बुंदेलखंड के समान ही इस क्षेत्र में जलवायु की दशाएं है तथा बहुतायत में प्राकृतिक वनस्पति भी पाई जाती है. छोटी छोटी झाड़ियों नदियों द्वारा अपरदित क्षेत्रों में पाई जाती है. जबकि बांस पाशर्वरती भागों में अधिकता में मिलते हैं. वनों की उपलब्धि के कारण लकड़ी काटने का कार्य बहुतायत में किया जाता है, साथ ही पशुपालन भी होता है.

मैदानी प्रदेश

उत्तर में शिवालिक की पहाड़ियां तथा दक्षिण में पठारी बागों के मध्य स्थित उत्तर प्रदेश के मैदानी प्रदेश का निर्माण मुख्य तक गंगा एवं उसकी सहायक नदियां- यमुना, गंडक, रामगंगा आदि द्वारा पर्वतीय क्षेत्र में लाए गए अवसादी निक्षेपों से हुआ है. यमुना एवं गंडक नदियां इस विशाल मैदानी प्रदेश की क्रमशः से पश्चिमी एवं पूर्वी सीमाएं निर्धारित करती है. इस प्रदेश को धरातलीय संरचना, मिट्टी, तापमान, वर्षा एवं प्राकृतिक वनस्पति के दृष्टिकोण से प्रदेशों में बांटा जा सकता है.

  1. गंगा का उपरी मैदानी प्रदेश
  2. गंगा का मध्य मैदानी प्रदेश
  3. गंगा का पूर्वी मैदानी प्रदेश

गंगा का ऊपरी मैदानी प्रदेश

शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिण भाग में यह मैदानी प्रदेश स्थित है. इसकी सीमा रेखा उत्तर में शिवालिक पहाड़ियां, दक्षिण में बुंदेलखंड का पठार एवं दक्षिण पश्चिम में मालवा का पठार निर्धारित करते हैं. लगभग 500 किलोमीटर लंबी एवं किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में विस्तृत इस मैदानी प्रदेश में भाबर एवं तराई का मैदानी भाग शाहजहांपुर तथा खीरी आदि जिलों में विस्तृत है, जबकि बहराइच, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर आदि जिलों में तराई क्षेत्र विस्तृत है.

इस मैदान की चौड़ाई भाबर क्षेत्र में पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है. भाबर एवं तराई क्षेत्र से सूखता, देओहा एवं गोमती आदि नदियां निकलती है. इस क्षेत्र में रामगंगा एवं घाघरा नदियों ने गर्तों के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाई है. गंगा के ऊपरी मैदानी प्रदेश को रचना की दृष्टि से गंगा-घागरा दोआब, गंगा यमुना दोआब, पर्वतों की तलहटी वाला प्रदेश एवं यमुना के बीहडो वाले प्रदेश में भी बांटा जाता है.

इस प्रदेश में गंगा के अतिरिक्त घाघरा एवं गोमती नदी अपवाह तंत्र का मुख्य साधन है. हिमालय पर्वत इस प्रदेश में बहने वाली गंगा एवं उसकी सहायक नदियों का मुख्य उद्गम स्थल है, जहां गर्मियों में बर्फ पिघलने के कारण यह वर्ष भर जल से भरी रहती है, इस प्रदेश की जलवायु गर्म एवं आर्द्र है. ग्रीष्म ऋतु में औसत तापमान 30 डिग्री से 34 डिग्री सेल्सियस एवं शीत ऋतु में 14 डिग्री से 18 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.

वर्षा ऋतु में मानसूनी हवाओं से वर्षा जून से अक्टूबर तक होती है. वर्षा की मात्रा 100 से 150 सेंटीमीटर तक होती है. यहां प्राकृतिक वनस्पति और ग्रीष्म ऋतु एवं पर्याप्त वर्षा के कारण बहुतायत में पाई जाती है. मुख्य वृक्षों में साल, सेमल, ढाक, हल्दू एवं तेंदु आदि वृक्ष है. संघन वनों के मध्य सवाई एवं समसई जैसी लंबी किस्में की घांस यहां उगती है, जिनका उपयोग कागज बनाने में किया जाता है. चावल एवं गन्नों की कृषि के लिए इस प्रदेश की मिट्टी उचित है. लेकिन कृषि फसलों का वनों की अधिकता के कारण अधिक विकास नहीं हो पाया है. इस प्रदेश में विभिन्न नदियों के नल की उपयोगिता के कारण वनों को काट कर कृषि हेतु भूमि तैयार की जा रही है.

गंगा का मध्य मैदानी प्रदेश

इस प्रदेश में विशाल समतल मैदानी प्रदेश स्थित है. जिनकी उंचाई 145 से 225 मीटर तक है. यहां पर मैदानी प्रदेश में बहने वाली नदियों द्वारा कृषि के लिए उपयुक्त है. इस मध्य मैदानी प्रदेश काढाल उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर है. बांगडर क्षेत्रों का निर्माण हुआ है. यहां स्थित प्राचीन कमिटी वाले क्षेत्रों में, जहां नदियां काजल नहीं पहुंच पाता है, जबकि खादर क्षेत्रों का निर्माण समय जलमग्न होने वाले प्रदेशों में हुआ है.

यह क्षेत्र मुख्य रूप से गंगा यमुना दोआब एवं गंगा रामगंगा दोआब में पाए जाते हैं. भुर क्षेत्र का विस्तार गंगा नदी के पूर्वी किनारे पर हो गया है जोकि बलुई मिट्टी के 1 प्रकार के ऊंचे टीले होते हैं. प्लीस्टोसिन युग में नदियों द्वारा इक्कट्ठी बालू के कारण इन भूरो का निर्माण हुआ है. जलवायु प्रदेश की दृष्टि से गंगा का मध्य मैदानी प्रदेश महाद्वीपीय वाला प्रदेश है, जहां पर ग्रीष्म ऋतू में गर्मी एवं शीत ऋतु में सर्दी पड़ती है.

ग्रीष्म ऋतु में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है जबकि औसत तापमान 40 से 42 सेल्सियस तक रहता है. शीत ऋतु में औसत  तापमान 18 से 20 सेल्सियस तक रहता है. जनवरी माह में तापमान सर्वाधिक कम रहता है. इस प्रदेश में बंगाल की खाड़ी की ओर से आने वाली हवाओं के कारण वर्षा होती है, जो की मानसूनी प्रकार की होती है.

शीत ऋतु में चक्रवातों द्वारा अल्प मात्रा में वर्षा होती है. वर्षा की कुल मात्रा लगभग 60 सेंटीमीटर प्रकार के मध्य होती है. फलस्वरुप प्रदेश में प्राकृतिक वनस्पति का अभाव पाया जाता है तथा अधिकांश क्षेत्र पर कृषि की जाती है. फिर भी विभिन्न स्थानों पर वन पाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से आम, जामुन, महुआ, नीम, बबूल, शीशम, पीपल के वृक्ष होते हैं. गंगा के मैदानी प्रदेश में सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरपुर नगर, बुलंदशहर अलीगढ़, मथुरा, आगरा, मैनपुरी, एटा, बदायूं, मुरादाबाद, बरेली आदि जिलों के क्षेत्र आते हैं. इस प्रदेश की मिट्टियां उपजाऊ किस्म की है. बलुई दोमट, मटियार दोमट मिट्टी यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख मिट्टियां में है. काली मिट्टी भी यमुना नदी के पार्श्ववर्ती भागों में पाई जाती है. जिन क्षेत्रों में जलभराव की समस्या है वहां पर रेहयुक्त ऊसर क्षेत्र का विस्तार हो गया है.

गंगा का पूर्वी मैदानी प्रदेश

इस मैदान के उत्तर में तराई क्षेत्र एवं दक्षिण में पूर्वी विनध्य प्रदेश स्थित है. इस प्रदेश में बनारस, गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, बलिया, मिर्ज़ापुर आदि जिले स्थित है. इस भाग में खादर क्षेत्रों का भू-सरंचना की दृष्टि से अधिक विस्तार हुआ है. समुद्र तल से इस मैदानी प्रदेश की ऊंचाई लगभग 80 से 100 मीटर तक है जहां पर गंगा एवं उसकी सहायक नदियां द्वारा बहा कर लाई गई कांप मिट्टी पाई जाती है.

यहां पर विभिन्न स्थानों पर झीलें में पाई जाती है जो की वर्षा ऋतु की समाप्ति के पश्चात सूख जाती है. इस प्रकार की झीलों को इस प्रदेश में चौर तथा शाबर के नाम से जाना जाता है. इन जलप्लावित झीलों के पार्श्ववती बागों में काफी विकसित हुई है. इस क्षेत्र में ग्रीष्म काल में जलवायु की दृष्टि से गर्मी तथा शीतकाल में सर्दी का मौसम पर रहता है, लेकिन विस्तृत मैदान के ऊपरी एवं मध्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां पर इसकी तीव्रता कम होती है.

शीत ऋतु में औसत तापमान 15 से 18 सेल्सियस एवं ग्रीष्म ऋतु में 28 से 31 सेल्सियस के मध्य रहता है. मई-जून में काफी गर्मी पड़ती है तथा तापमान 38 डिग्री तक पहुंच जाता है. यहां पर वर्षा अधिकांश मानसूनी हवाओं से होती है, जिस की मात्रा 4 सेंटीमीटर से 125 सेंटीमीटर तक होती है. इसकी अधिक मात्रा पूर्व पश्चिम में पाई जाती है तथा उत्तर दक्षिण में कम हो जाती है.

जलोढ़ मिट्टी गंगा के पूर्वी मैदानी प्रदेश में मुख्य रूप से पाई जाती है जो कि नदियों द्वारा भाग कर लाए गए अवसादों के निक्षेप से बनी है. यह मिटटी काफी उपजाऊ है लेकिन इसकी परत कम गहरी होने के कारण उर्वरता शीघ्र समाप्त हो जाती है. खादर क्षेत्रों में बलुई, बलुई-दोमट प्रकार की मिट्टियां एवं बांगर क्षेत्रों में मटियार-दोमट मिट्टी आ पाई जाती है. इन मिट्टियों को सिक्ता, करियल एवं धनकर के नाम से जाना जाता है. इन प्रदेशों में प्राकृतिक वनस्पति का अभाव है. नदियों के किनारों पर बहुत थोड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के वृक्ष यथा- नीम, शीशम, सिसु, पीपल आदि पाए जाते हैं. तराई वाले क्षेत्र में लंबी घास भी पाई जाती है.

उत्तर प्रदेश: प्राकृतिक प्रदेश

प्राकृतिक प्रदेश विशेष तथ्य
बुंदेलखंड पठारी क्षेत्र नीस  चट्टानों से निर्मित, औसत ऊंचाई 450 मीटर, वार्षिक वर्षा 100 से.मी., कांस नामक घास पाई जाती है.
बघेलखंड पठारी क्षेत्र मिर्जापुर जिले में स्थित है औसत ऊंचाई 450 मीटर सोन नदी प्रवाहित होती है.
ऊपरी गंगा का मैदान 500 किलोमीटर लंबा एवं 80 किलोमीटर चौड़ा है गंगा, यमुना, घाघरा, गोमती प्रमुख नदियां है. सवाई, समसई घास पाई जाती है. चावल और गन्ने की कृषि होती है. जलवायु गर्म एवं आर्द्र होती है.
मध्य गंगा मैदान कांप मिट्टी द्वारा निर्माण हुआ है और भुर नमक बालू के टीले पाए जाते हैं. महाद्वीपीय प्रकार की जलवायु पाई जाती है. बांगर एवं खादर क्षेत्र पाए जाते हैं.
पूर्वी गंगा का मैदान खादर क्षेत्र की अधिकता है. चौर एवं शाबा झीले पाई जाती है. चावल की कृषि की जाती है और औसत ऊंचाई 80 से 100 मीटर है.

 

Recent Posts

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Paper – 2 Solved Question Paper

निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…

5 months ago

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Solved Question Paper

1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…

6 months ago

अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए – List of Gazetted Officer

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…

6 months ago

Haryana Group D Important Question Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…

6 months ago

HSSC Group D Allocation List – HSSC Group D Result Posting List

अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…

6 months ago

HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern – Haryana Group D

आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…

6 months ago