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उत्तर प्रदेश में कृषि और कृषि जलवायु जोन

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उत्तर प्रदेश में कृषि और कृषि जलवायु जोन

उत्तर प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था ही उत्तर प्रदेश की आर्थिक समानता का आधार है. उत्तर प्रदेश में देश का 18.6% खदान उत्पन्न होता है. उत्तर प्रदेश में गन्ना, तिलहन, चावल, आलू, जो, मक्का, बाजरा का उत्पादन भी व्यापक स्तर पर किया जाता है. यहां की प्रमुख नकदी फसलें मूंगफली गन्ना, कपास, अलसी, चाय, तिल, सरसों और तंबाकू आदि का इसी प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 20% भाग स्थित है.

73% लोगों की जीविका का प्रमुख साधन कृषि व्यवस्था ही है. कृषि क्षेत्र पशुपालन सहित राज्य की अर्थव्यवस्था में लगभग 42% का योगदान है. यह प्रदेश अफीम की खेती करने वाला प्रमुख राज्य है.

राज्य की कुल आय में कृषि एवं पशुपालन द्वारा 41.5% का सबसे अधिक योगदान रहता है. उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों को हरित क्रांति पर विजय प्राप्त करके एक नई दिशा प्रदान की है. राज्य की कृषि व्यवस्था को व्यावहारिक रूप देने के लिए प्रयोगशाला से खेतों तक कार्यक्रम को अधिक महत्व प्रदान किया जा रहा है.

कृषि योग्य क्षेत्रफल का विवरण

मद वर्ष 2003-04 (लाख हेक्टेयर)
प्रदेश का भौगोलिक क्षेत्रफल 240.93
कृषि योग्य क्षेत्रफल 193. 07
कृषि क्षेत्र 178.87
दो फसली क्षेत्र 86.75
वास्तविक बोया गया क्षेत्रफल 167.50
सकल बोया जाने वाला क्षेत्रफल 254.25

उत्तर प्रदेश की कृषि जलवायु जोन

जोन का नाम जलवायु मृदा प्रकार औसत वर्षा (मिमी) तापमान डिग्री से. अधिकतम तापमान डिग्री से. न्यूनतम
विंध्य क्षेत्र समशीतोष्ण मटियारा दोमट बलुई, बलुई दोमट, म्टीयार 11341 48 3
पूर्वी मैदानी क्षेत्र समशीतोष्ण सिल्ट दोमट, मटियारा दोमट. बलुई दोमट 1016.0 42 5
उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र समशीतोष्ण दोमट, मटियार,  दीआर भाट, बलुई दोमट 1218.3 40 6
बुंदेलखंड क्षेत्र अर्ध्द शुष्क अर्ध शुष्क भारत  कावर, रकर, पड़ावा 876.1 46 5
मध्य मैदानी क्षेत्र समशीतोष्ण चिकनी दोमट,  दोमट, बलुई दोमट 848.2 43 4
दक्षिणी पश्चिमी अर्ध शुष्क क्षेत्र अर्ध्द शुष्क जलोढ़ अरावली, दोमट, बलुई दोमट है 663.3 44 4
मध्य पश्चिमी मैदानी क्षेत्र उपोषण दोमट,  मटियार, बलुई,दोमट 1022.2 45 4.5
पश्चिमी मैदानी क्षेत्र उपोषण दोमट,मटियार,दोमट, बलुई 751.7 43 1.5

उत्तर प्रदेश में खेती

मूंगफली खेती

यह सघन खेती का एक रूप है जिसके अंतर्गत 1 वर्ष में किसी खेत में दो या दो से अधिक फसल क्रम से एक के बाद एक बाद एक उगाते हैं- जैसे राज्य में खरीफ की धान की फसल उगाने के बाद रवि की फसल गेहूं का उत्पादन होता है.

अंतर्वती खेती

इस खेती के अंतर्गत दो या दो से अधिक फसलें एक ही फसल मौसम में एक साथ होते हैं। इस प्रकार की खेती में कतारों तथा पंक्ति के व्यवस्था निश्चित होती है। जैसे गन्ना की दो पंक्ति के बीच में आलू की खेती, गेहूं की तीन चार पंक्ति के बीच में सरसों की आदि अनंतवर्ती खेती के उदाहरण है।

मिश्रित खेती

एक ही फसल ऋतु में दो या दो से अधिक फसलें एक साथ करने की पद्धति को मिश्रित खेती कहते हैं। इस प्रकार की खेती में कतारों या पंक्ति की कोई निश्चित व्यवस्था नहीं होती है। जैसे राज्य में रबी फसल के मौसम में गेहूं और सरसों, बरसीम व सरसों की मिश्रित खेती की जाती है।

रिले खेती

रिले खेती बहु फसली खेती का ही एक रूप है, जिसमें एक ही खेत से वर्ष में 4 फसले लेते हैं।  रिले खेती में एक के कटते ही दूसरी फसल लगा दी जाती है। कई बार पहली फसल के कटने के पूर्व ही दूसरी फसल की बुवाई कर दी जाती है।

  1. मूंग, मक्का, आलू, गेहूं
  2. मूंग, मक्का, तोरई, गेहूं

तोरई की बुवाई मक्के की फसल में ही कर दी जाती है और तोरई या आलू की फसल के तुरंत बाद ही गेहूं लगा देते हैं।  गेहूं के कटनी के साथ ही बैसाखी में मूंग की फसल लगा दी जाती है।

फसल चक्र

किसी क्षेत्र में 1 वर्ष के भीतर फसल उगाने का निश्चित कर्म जो समय एवं स्थानीय फसल व्यवस्था दोनों की सूचना दें, फसल चक्र कहलाता है।  प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ प्रमुख फसल चक्र का विवरण निम्न प्रकार है-

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए फसल चक्र

जवार-गेहूं एक वर्षीय
धान, गेहूं, अथवा जो एक वर्षीय
मक्का ,आलू ,गेहूं एक वर्षीय
मक्का ,आलू ,गन्ना 2 वर्षीय
मक्का, आलू, ,प्याज 1 वर्षीय

पूर्वी उत्तर प्रदेश के फसल चक्र

गन्ना-पेडी,हरी खाद 3 वर्षीय
धान-जो एक वर्षीय
धान-गेहूं+सरसों 1 वर्षीय
धान या मक्का-गेहूं 1 वर्षीय है
धान-मटर 1 वर्षीय
जवार+अरहर- गेहूं 2 वर्षीय
धान-मशहूर एक वर्षीय

बुंदेलखंड के लिए फसल चक्र

जवार-जौ एक वर्षीय
कोंदा – चना एक वर्षीय
जवार+अरहर, प्रति गेहूं, तिल-अलसी 3 वर्षीय
जवार+चना एक वर्षीय
जवार+अरहर एक वर्षीय

 

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