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उत्तर प्रदेश में पाए जाने प्रमुख खनिज
लौह अयस्क
यह मिर्जापुर जिले में कुछ मात्रा में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश में और भी अन्य खनिज पाए जाते हैं, जिनका खनन आरंभ किया जा सकता है। किंतु अन्य खनिजों की मात्रा या तो इतनी नगण्य है कि उन पर व्यय मूल्य नहीं हो सकता अथवा कुछ तकनीकी अक्षमताओं के कारण वे भू-गर्भ में दबे पड़े हैं।इनमें कुछ है- यूरेनियम, स्टिबनाइट, बेराइटस, ग्रेफाइट, अभ्रक, गंधक, संखिया, गार्नेट आदि। बांदा में यूरेनियम के बसे तथा हमीरपुर जिले में ग्रेफाइट विधामान होने के प्रमाण मिले हैं।
कंकड़
यह संपूर्ण मैदानी भाग में पाया जाने वाला खनिज है। इसमें चुना और चिकनी मिट्टी का मिश्रण होता है। पहले यह सड़कों के निर्माण के काम आता था किंतु अब इससे हाइड्रोलिक चुना बनता है जो सीमेंट उद्योग के लिए एक आवश्यक वस्तु है।
एस्बेस्टस
यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले से प्राप्त होता है। मुख्य रूप से सीमेंट निर्माण एवं विधुत उपकरनों में इसका प्रयोग किया जाता है। एस्बेस्टस में अधिक ताप सहन करने एवं रासायनिक क्रिया से अधिक प्रभावित होने की क्षमता होती है फलस्वरूप औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रयोग होता है। इसमें मैग्नीशियम और चुने का मिश्रण पाया जाता है।
कंक्रीट
उत्तर प्रदेश के समस्त मैदानी क्षेत्रों में कंक्रीट मुख्य रूप से पाया जाता है। इसमें चुने तथा मिट्टी के मिश्रण से निर्मित किया जाता है। पहले से इसका उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त इस खनिज का उपयोग हाइड्रोलिक चुना बनाने तथा सीमेंट बनाने में भी किया जाता है।
पाईराइटस
यह खनीज मिर्जापुर जिले में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
सेलखड़ी (टाल्क)
सेलखड़ी का उत्पादन हमीरपुर और झांसी जिले में किया जाता है। यह अत्यंत ही कोमल खनिज है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, टेलकम पाउडर, साबुन, कीटनाशक पाउडर, टेक्सटाइल तथा कागज आदि निर्माण किया जाता है।
एंडालूसाइट
एंडालूसाइट खनिज मुख्य रूप से मिर्जापुर में पाया जाता है इसमें लौह अंश अधिक में मिलता है। किन्तु एल्यूमिना तथा क्षार के अंश बहुत कम है। इसका प्रयोग पोसिलिन तथा स्पार्क प्लग उद्योग में किया जाता है।
पोटाश लवण
यह खनिज कानपुर, गाजीपुर, इलाहाबाद वाराणसी क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
इमारती पत्थर
इसका प्रयोग इमारत तथा भवनों के निर्माण में किया जाता है। यह एक प्रकार से चुने का पत्थर है जो मिर्जापुर और चुनार में मिलता है।
पाइरोफिलाइट
ताप सहने और सिरैमिक उद्योग में खनिज का प्रयोग किया जाता है। इसको कीटनाशकों के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। यह झांसी तथा हमीरपुर जिलों से अधिक मात्रा में प्राप्त होता है।
संगमरमर
संगमरमर एक प्रकार का चिकना पत्थर होता है। इसका उपयोग फर्श समान बनाने, मूर्ति बनाने, आदि के लिए होता है। आगरे का विश्व प्रसिद्ध ताजमहल इसी संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है। यह मिर्जापुर एवं सोनभद्र जिलों में पाया जाता है।
बॉक्साइट
बॉक्साइट धातु से एलुमिनियम बनाया जाता है। मिर्जापुर जिले में स्थित रेणुकूट नामक स्थान पर एक फैक्ट्री में बॉक्साइट धातु से निर्मित एलुमिनियम का उपयोग हो रहा है। यह बांदा और वाराणसी जिलों से प्राप्त होता है।
काँच बालू
उत्तर प्रदेश का स्थान इसके उत्पादन में सबसे अग्रणी है। वाराणसी के चकिया क्षेत्र, मुंडारी एवं बाला बेहट और इलाहाबाद बांदा जिले के शंकरगढ़ लोहागढ़, बारगढ़, तथा धान्द्रोल मे स्फुटीक उपयोग में लाया जाता है। उत्तर प्रदेश में गंगा जमुना के रेत बालू से कांच भी बनाया जाता है।
कोयला
इसकी खुदाई सोनभद्र में निचले गोंडवाना पत्थरों के बराबर स्तर पर की जाती है। ऑल इंडिया कंपनी द्वारा मिर्जापुर जिला सिंगरौली क्षेत्र में कोयले की खुदाई की जा रही है। इसका उपयोग ओबरा ताप विद्युत गृह में किया जाता है।
ताँबा
प्रदेश में तांबा उत्पादन के विस्तृत क्षेत्र सोनराई (ललितपुर जिला) में पाए जाते हैं। ये आग्नेय एवं परतदार (अवशादी) चट्टानों में मुख्य रूप से मिलता है। इस धातु में तांबे का अंश 3% से 6% तक पाया जाता है।
रॉक फॉस्फेट
इस खनिज का उपयोग उर्वरक उद्योग और अमलिया मृदा के उपचार में किया जाता है। इसकी प्राप्ति के स्थान दुरमाला, किमोई, मालदेवता, चमसारी, कौल फॉर्मेशन प्रमुख है।
सोना
सोना मुख्य रूप से शारदा और रामगंगा नदियों के रेत में पाया जाता है। इस बहुमूल्य धातु का उपयोग कांच की चूड़ी को चमकीला बनाने, आभूषण बनाने, ओसिया बनाने, फोटोग्राफी तथा इलेक्ट्रो प्लेटिंग में किया जाता है।
हीरा
यह मिर्जापुर के जंगली क्षेत्रों में तथा बांदा में कुछ मात्रा में प्राप्त होता है।
डोलोमाइट
यह मिर्जापुर जिले में प्राप्त होता है। बांदा जिले में भी डोलोमाइट पत्थर मिलता है। इसका प्रयोग इस्पात उद्योग, पोर्टलैंड सीमेंट, प्लास्टर ऑफ पेरिस तथा गंधक का तेजाब बनाने में भी होता है।
चुना -पत्थर
सीमेंट बनाने के लिए चुना पत्थर का उपयोग किया जाता है। मिर्जापुर जिले में स्थित फैक्ट्रियों के लिए विद्यांचल क्षेत्र में स्थित कजराहट तथा रोहतास नामक स्थानों से उच्च श्रेणी के चुना पत्थर का उपयोग सोडा ऐश, कैल्शियम साइनामाईट आदि के लिए भी किया जाता है।
खनिज और उनके खनन क्षेत्र
खनिज | प्रमुख खनन क्षेत्र |
डोलोमाइट | बंधा मिर्जापुर एवं सोनभद्र (मिर्जापुर के कजरा हटा क्षेत्र में उच्च स्तर का डोलोमाइट उपलब्ध है) |
तांबा | सोनराई (ललितपुर जिला) |
जिप्सम | झांसी एवं हमीरपुर |
चाइना क्ले | सोनभद्र |
संगमरमर | मिर्जापुर एवं सोनभद्र |
नॉन प्लास्टिक फायर क्ले | मिर्जापुर |
यूरेनियम | ललितपुर |
बेराटस | मिर्जापुर एवं सोनभद्र |
कोयला | सोनभद्र का निचला गोंडवाना क्षेत्र,सिंगरौली, ( मिर्जापुर) |
कांच बालू | वाराणसी का चकिया क्षेत्र, झांसी का मुंडारी एवं बालाबेहट, इलाहाबाद तथा बांदा जिले का शंकरगढ़, लोहागढ़, बारगढ़ और धाम ध्रोंल क्षेत्र |
एन्डालूसाइट | मिर्जापुर |
पाइराइट | मिर्जापुर |
याद रखने योग्य Facts
- भूतल एवं खनिकर्म निदेशालय की स्थापना 1955 में की गई
- उत्तर प्रदेश राज्य खनिज विकास निगम की स्थापना 23 मार्च 1974 को की गई।
- प्रदेश की पहली खनिज नीति 29 दिसंबर 1998 को घोषित की गई।
- प्रदेश के 10 जिलों को खनिज बहुल क्षेत्र घोषित किया गया है।
- चुना पत्थर के भंडार में देश में उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान है।
- देश के कुल खनिज उत्पादन में उत्तर प्रदेश का लगभग 2.6% योगदान है।
- प्रदेश के हमीरपुर जिले में ग्रेफाइट के ग्रामीण मिले हैं।
- कांच बालू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।
- सोनभद्र चाइना क्ले का प्रमुख स्थान क्षेत्र है।
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